रामनगर/हल्द्वानी। विदेशों में रह रहे भारतीयों की संपत्तियों पर अब उनकी गैरमौजूदगी में भी गिद्धों की तरह नज़रें गड़ाई जा रही हैं। रामनगर के पीरूमदारा क्षेत्र से सामने आई ताज़ा घटना ने उत्तराखंड में सक्रिय ज़मीन माफिया की नीयत और नेटवर्क को बेनकाब कर दिया है। इस बार शिकंजा कसा है एक एनआरआई महिला की संपत्ति पर, जो फिलहाल दुबई (यूएई) में रह रही हैं। आरोप है कि उनकी ज़मीन को फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर किसी और के नाम पर बेच डाला गया, और जब यह बात सामने आई तो पूरे सिस्टम में हलचल मच गई। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के सचिव व आयुक्त दीपक रावत ने व्यक्तिगत रूप से इसमें दखल दिया और जिलाधिकारी नैनीताल को स्पष्ट निर्देश दिए कि मामले की तह तक जाकर निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सख्त सजा दी जाए। आयुक्त रावत ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए अपनी जनसुनवाई में साफ शब्दों में कहा कि ज़मीन से जुड़ा कोई भी फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी चाहे कोई भी हो, उसे कानून के शिकंजे से नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि ज़मीनों पर धोखे से कब्ज़ा करने वालों को अब जेल की हवा खानी पड़ेगी, क्योंकि सरकार इस विषय में बिल्कुल भी नरमी नहीं बरतेगी।
एक ओर जहां विदेशों में रह रहे लोगों की संपत्ति को निशाना बनाया जा रहा है, वहीं राज्य के अंदर भी बुजुर्गों की पुश्तैनी जमीनों पर समस्याएं कम नहीं हैं। गरमपानी क्षेत्र की एक बुजुर्ग महिला ने भी जनसुनवाई में अपनी पीड़ा साझा की। उनका कहना था कि बागवाली पोखर, बगड़ स्थित उनकी पुश्तैनी जमीन में उनके पति का नाम अब तक दर्ज नहीं किया गया है। वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस पर आयुक्त ने एसडीएम हल्द्वानी को निर्देश दिए कि वे व्यक्तिगत रूप से इस मामले की सच्चाई जानें और सुनिश्चित करें कि महिला को न्याय मिले। बुजुर्गों के साथ होने वाले इस तरह के व्यवहार से यह सवाल भी उठता है कि आखिरकार सरकारी तंत्र कब जागेगा और कब आम जनता को राहत मिलेगी? हर बार जनता को सिर्फ आश्वासन नहीं चाहिए, अब ठोस कार्रवाई की उम्मीद है। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बुजुर्ग नागरिकों की संपत्ति और सम्मान की रक्षा प्राथमिकता में रहे, वरना आने वाले समय में यह गुस्सा बड़ा जन आंदोलन बन सकता है।
इसके साथ ही जनसुनवाई में सामने आए एक और मामले ने दिखा दिया कि आर्थिक शोषण की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने आपात स्थिति में किसी से एक लाख रुपये ब्याज पर लिए थे और वह राशि वापस भी कर दी गई, फिर भी संबंधित व्यक्ति बार-बार पैसे मांग रहा है और धमकियां दे रहा है। इस पर आयुक्त रावत ने न केवल नाराज़गी जताई बल्कि साफ तौर पर कहा कि बिना लाइसेंस के पैसे पर ब्याज लेना या वसूली करना एक अपराध है और ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने निर्देश दिया कि इस मामले में सभी पक्षों को अगली सुनवाई में बुलाया जाए और निष्पक्ष जांच कर उचित कदम उठाया जाए। यह भी साफ किया गया कि सरकार अब ऐसे साहूकारों के खिलाफ सख्त अभियान चलाएगी जो आम नागरिकों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनका आर्थिक शोषण करते हैं। यह संकेत है कि प्रदेश में अब ऐसे आर्थिक अपराधियों के दिन लदने वाले हैं। सरकार की मंशा साफ है दृ चाहे जमीन से जुड़ी धोखाधड़ी हो या ब्याजखोरी, किसी भी सूरत में अब किसी को खुली छूट नहीं दी जाएगी।
हर रोज़ सामने आ रहे ज़मीन कब्जे और फर्जी दस्तावेज़ों के मामले यह दर्शा रहे हैं कि उत्तराखंड में संपत्ति सुरक्षा को लेकर आम लोगों का भरोसा डगमगाने लगा है। जब दुबई में बैठा एक परिवार यह जानता है कि उसकी ज़मीन को उसकी जानकारी के बिना बेच दिया गया है, तो यह एक बेहद डरावनी स्थिति है। प्रशासन के आदेश और निर्देश अपनी जगह हैं, लेकिन अब जनता यह पूछ रही है कि क्या वाकई सख्त कार्रवाई ज़मीन पर नजर आएगी या फिर यह सिर्फ कागज़ी कार्यवाही बनकर रह जाएगी? ऐसे मामलों में अगर एक भी आरोपी को सजा मिलती है, तो यह पूरे प्रदेश के लिए चेतावनी होगी। दीपक रावत जैसे अफसरों की सख्ती की ज़रूरत अब हर जिले में है, ताकि कोई माफिया यह न समझे कि सिस्टम उनकी जेब में है। अब वक्त है कि प्रशासन सिर्फ आदेश देकर नहीं, बल्कि परिणाम दिखाकर जनता का विश्वास बहाल करे।