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विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एनसीसी की जबरदस्त पहल जागरूकता और योग से सजीव हुआ परिसर

एनसीसी कैडेट्स ने स्वास्थ्य के प्रति जगाई अलख, योग, प्राणायाम और जागरूकता के साथ लिया स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का संकल्प और संदेश फैलाया

रामनगर। पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में उस समय एक विशेष ऊर्जा देखने को मिली, जब 79 यूके बटालियन एनसीसी इकाई द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस को लेकर एक भव्य और प्रेरक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सामाजिक सेवा एवं सामुदायिक विकास गतिविधियों के अंतर्गत ‘सक्रिय रहे, सजीव रहे’ शीर्षक से इस स्वास्थ्य जागरूकता अभियान की अगुवाई एएनओ लेफ्टिनेंट डॉ. डी.एन. जोशी ने की। महाविद्यालय परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में युवा कैडेट्स ने सहभागिता के साथ अपने स्वास्थ्य और जीवनशैली के प्रति नई सोच विकसित करने का संकल्प लिया। इस विशेष अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर ही व्यक्ति के जीवन की असली पूंजी है और इसे बनाए रखने के लिए आत्मानुशासन, नियमित दिनचर्या और व्यायाम अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने उपस्थित कैडेट्स से आग्रह किया कि वे अपने दैनिक जीवन में अनुशासन और स्वास्थ्य संबंधी आदतों को शामिल करें ताकि न केवल वे खुद स्वस्थ रहें बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनें।

कार्यक्रम की सबसे रोचक झलक तब देखने को मिली जब स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें छात्रों ने जोश और जानकारी के साथ भाग लिया। इसके साथ ही मानव जीवन में योग की उपयोगिता और भूमिका पर एक अतिथि व्याख्यान ने सभी को गहराई से प्रभावित किया। डॉ. मुरलीधर कापड़ी, जो कि योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा विभाग के अनुभवी प्रशिक्षक हैं, ने इस व्याख्यान में ना केवल योग की ऐतिहासिक और वैज्ञानिक उपयोगिता को समझाया बल्कि इसे स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन के लिए अत्यंत लाभकारी बताया। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका और स्वास्थ्य दिवस की वैश्विक प्रासंगिकता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। उनका यह भी कहना था कि वर्तमान समय में जहाँ मानसिक तनाव, अव्यवस्थित खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली से लोग जूझ रहे हैं, ऐसे में योग, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, संतुलित आहार, सकारात्मक सोच और नियमित खेल गतिविधियाँ एक मजबूत ढाल के रूप में कार्य कर सकती हैं। इस संवाद में उन्होंने “प्राणिक हीलिंग” जैसी आधुनिक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की भी चर्चा की, जो लोगों में उत्सुकता का विषय बनी।

डॉ. मुरलीधर कापड़ी ने अपने वक्तव्य में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में जीवनशैली में आए बदलावों के कारण शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तरों पर लोगों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार नियमित योगाभ्यास, प्राणायाम और संतुलित आहार के जरिए हम न केवल बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि मानसिक तनाव को भी काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। योग की महत्ता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि जीवन को संतुलित, शांत और ऊर्जावान बनाने की कला है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य दिवस की थीम पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य को लेकर यह विषय न केवल सामयिक है बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने सूर्य नमस्कार, पौष्टिक भोजन, सकारात्मक सोच, प्राणिक हीलिंग और खेल गतिविधियों को जीवन का हिस्सा बनाने की अपील की। उनका संपूर्ण वक्तव्य प्रेरणादायक था, जिसने उपस्थित सभी कैडेट्स और विद्यार्थियों को अपने स्वास्थ्य को लेकर अधिक गंभीर और सक्रिय बनने के लिए प्रेरित किया।

स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश लेकर आए इस आयोजन में एएनओ लेफ्टिनेंट डॉ. डी.एन. जोशी ने अपने वक्तव्य में बताया कि इस दिवस का मूल उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के महत्व के प्रति सजग करना और उन्हें एक सक्रिय, जागरूक तथा जिम्मेदार जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम ष्स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्यष् रखी गई है, जो माताओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर केंद्रित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषयवस्तु के माध्यम से विश्व स्तर पर शिशु और मातृत्व मृत्यु दर को घटाने, रोकथाम को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवाओं को समावेशी बनाने की दिशा में वैश्विक प्रयासों को बल मिल रहा है। यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं बल्कि समाज में जागरूकता का नया संकल्प बनकर उभरा। लोगों को न केवल अपने शरीर के स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन की अहमियत को भी समझने का मौका मिला।

इस मौके पर यह भी संदेश दिया गया कि विश्व स्वास्थ्य दिवस केवल एक दिन मनाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम है। यह दिन विभिन्न रोगों की रोकथाम, इलाज और जनसामान्य में स्वास्थ्य संबंधित जानकारी फैलाने का प्रभावी जरिया बनता जा रहा है। साथ ही यह सरकारों और विभिन्न संगठनों को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, उनकी पहुंच को सरल और सभी वर्गों के लिए सुलभ बनाने के लिए प्रेरित करता है। स्वास्थ्य नीतियों में नवाचार, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, और सतत विकास की दिशा में काम करने की आवश्यकता को इस दिन और मजबूत किया जाता है। जागरूकता, सक्रियता और स्वास्थ्य के प्रति समर्पण की भावना इस आयोजन से हर किसी के दिल में घर कर गई। कार्यक्रम के समापन तक एनसीसी कैडेट्स, योग विभाग के विद्यार्थी तथा अन्य छात्र-छात्राओं में स्वास्थ्य के प्रति उत्साह और जागरूकता की एक नई लहर साफ महसूस की जा सकती थी।

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