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काशीपुर में मां बाल सुंदरी के डोले संग उमड़ा आस्था का सैलाब सड़क पर

भक्ति, उल्लास और आस्था के रंग में रंगा काशीपुर, मां बाल सुंदरी के स्वर्ण डोले ने रच दिया श्रद्धा और परंपरा का भव्य संगम

काशीपुर। काशीपुर की पावन भूमि एक बार फिर भक्तिमय माहौल से गूंज उठी, जब चैत्र मास में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक और उत्तर भारत के प्रतिष्ठित मेलों में शामिल चौती मेले की शुरुआत मां बाल सुंदरी देवी के भव्य डोले के नगर भ्रमण से हुई। अलसुबह तड़के की ठंडक और धुंध के बीच जब ढोल-नगाड़ों, डीजे की तेज धुनों और भक्तों की जयकारों से पूरा शहर गूंजने लगा, तो ऐसा लगा मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। मां बाल सुंदरी देवी की स्वर्ण प्रतिमा को पालकी रूपी डोले में सुसज्जित कर नगर मंदिर मोहल्ला पक्का कोट से सहायक प्रधान पंडा पंडा मनोज कुमार अग्निहोत्री के अगुवाई में हजारों भक्तों के साथ चौती मंदिर भवन तक ले जाया गया।

इस पवित्र यात्रा में भक्त झूमते-गाते चल रहे थे, जिनके चेहरों पर मां के प्रति अगाध श्रद्धा और प्रेम की झलक साफ देखी जा सकती थी। सुबह लगभग सवा तीन बजे नगर मंदिर से डोले की यात्रा शुरू हुई, जो निर्धारित मार्गों से होती हुई सवा चार बजे चैती मंदिर भवन पहुंची। इस मार्ग में मां का डोला मां मनसा देवी रोड, मुख्य बाजार, नगर निगम रोड, महाराणा प्रताप चौक और द्रोणा सागर के पीछे टीले वाली सड़क से होकर गुज़रा, जहां भक्तों की अपार भीड़ मां के स्वागत में खड़ी दिखाई दी। पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था में कोई कसर नहीं छोड़ी और डोले की पूरी यात्रा के दौरान हर मोर्चे पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी।

बीती रात से ही नगर मंदिर में मां बाल सुंदरी देवी के भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था। मां की स्वर्ण प्रतिमा को भव्य रूप से सजे हुए नगर मंदिर में सार्वजनिक दर्शनार्थ रखा गया था, जहां स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ दूरदराज़ से आए श्रद्धालु भी दर्शन कर धन्य हो रहे थे। रात्रि 12 बजे विशेष पूजन, कलश स्थापना, हवन और सांकेतिक बलि के साथ आध्यात्मिक माहौल और भी गहन हो गया। इसके बाद मां की पालकी को विधिवत सुसज्जित कर उसे नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया। डोले के साथ चल रहे श्रद्धालु ना सिर्फ मां के जयकारे लगा रहे थे, बल्कि ढोल, डीजे और बैंड बाजों की धुनों पर नाचते-गाते मां की महिमा का गुणगान कर रहे थे।

मां की यह पालकी यात्रा केवल धार्मिक भावना का प्रतीक नहीं थी, बल्कि यह श्रद्धा, संस्कृति और काशीपुर की सामाजिक एकता का परिचायक भी थी। भक्तों का यह उमंग और उल्लास इस बात का प्रमाण था कि मां बाल सुंदरी देवी का डोला न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समूचे नगर की आस्था का केंद्र बन चुका है। अष्टमी के पावन अवसर पर चौती मेले में प्रसाद चढ़ाने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी और मंदिर प्रांगण ‘जय माता दी’ के जयघोष से गूंजता रहा।

चौती मंदिर में मां बाल सुंदरी देवी की स्वर्ण प्रतिमा की स्थापना के बाद मंदिर परिसर में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। पूरे पांच दिन तक मां यहीं विराजमान रहेंगी और श्रद्धालु दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। विशेष बात यह रही कि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर इस बार प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद दिखा। मंदिर परिसर के भीतर और बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। महिला पुलिस की भी अलग से तैनाती की गई, जिससे महिला श्रद्धालुओं को सहजता और सुरक्षा का अनुभव मिल सके। मंदिर में दर्शन की व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए विशेष पंक्तियों और बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई थी।

मां के डोले के पहुंचने के बाद मंदिर में भव्य आरती और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ, जिसमें सहायक प्रधान पंडा पंडा मनोज कुमार अग्निहोत्री ने पारंपरिक विधियों से पूजा संपन्न करवाई। मां की दिव्यता और तेज से भरे इस आयोजन में भक्तों की आंखें नम थीं और चेहरों पर आस्था का उजास। त्रयोदशी और चतुर्दशी की मध्यरात्रि यानी 10 और 11 अप्रैल को मां पुनः नगर मंदिर के लिए भव्य शोभायात्रा के साथ प्रस्थान करेंगी, जिससे पहले मंदिर में विशेष हवन, पूजन और आरती के कार्यक्रम होंगे। इस आयोजन ने न केवल काशीपुर को एक धार्मिक केंद्र के रूप में फिर से स्थापित किया है, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने की एक प्रेरणादायक मिसाल भी पेश की है।

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