रामनगर। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला रेंज में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है। रविवार सुबह जब वन विभाग की गश्ती टीम जंगल में निगरानी कर रही थी, तभी उन्हें कंपार्टमेंट 6 में एक बाघ का शव दिखाई दिया। इस दृश्य ने वन विभाग की टीम को सकते में डाल दिया। टीम ने तुरंत उच्च अधिकारियों को इस घटना की जानकारी दी। सूचना मिलते ही कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक राहुल मिश्रा, पार्क वार्डन अमित ग्वासाकोटी और वरिष्ठ पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा मौके पर पहुंच गए। प्रारंभिक जांच में जो तथ्य सामने आए, उन्होंने इस घटना को और भी सनसनीखेज बना दिया।
वन अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिले कि यह मौत किसी शिकारी के हमले या प्राकृतिक कारणों से नहीं हुई, बल्कि एक भीषण संघर्ष के कारण हुई है। अधिकारियों का मानना है कि जंगल के दो दिग्गजोंकृबाघ और हाथी के बीच भयंकर टकराव हुआ, जिसमें शक्तिशाली हाथी ने बाघ को कुचलकर मार डाला। विशेषज्ञों के अनुसार, इस इलाके में पिछले कुछ दिनों से एक टस्कर हाथी लगातार घूमता हुआ देखा जा रहा था। वन विभाग की टीम ने पहले ही उसके व्यवहार पर नज़र रखी थी, क्योंकि वह क्षेत्र में अत्यधिक सक्रिय था। माना जा रहा है कि इसी टस्कर हाथी और मादा बाघ के बीच संघर्ष हुआ होगा, जिसमें बाघ की जान चली गई। हालाँकि, जब तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं आती, तब तक इस घटना के पीछे की वास्तविकता पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो सकती। लेकिन जंगल की दुनिया में इस तरह के टकराव दुर्लभ माने जाते हैं, जिससे यह घटना और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
राहुल मिश्रा ने बताया कि इस घटना की सूचना मिलते ही विशेषज्ञों की टीम मौके पर भेजी गई और उन्होंने वहां विस्तृत निरीक्षण किया। शुरुआती जांच के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (छज्ब्।) के दिशा-निर्देशों के तहत आवश्यक परीक्षण किए गए, और विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों की पुष्टि हो सकेगी। वन अधिकारियों ने यह भी खुलासा किया कि मृत बाघ एक मादा थी, जिसकी उम्र करीब चार साल थी। इस घटना के पीछे की वास्तविकता को समझने के लिए बाघ के विभिन्न अंगों के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञ इस घटना को जंगल के इकोसिस्टम का एक दुर्लभ लेकिन संभावित हिस्सा मानते हैं। जंगल में आपसी संघर्ष कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन जब इस स्तर का टकराव सामने आता है, तो यह शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बन जाता है। बाघ और हाथी दोनों ही जंगल की पारिस्थितिकी में अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए इनकी आपसी झड़पों को कम करने के लिए आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में बाघों और अन्य वन्यजीवों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाए जाने चाहिए, ताकि वे अपने प्राकृतिक आवास में बिना किसी बाधा के घूम सकें।
इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण की दिशा में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या इस संघर्ष के पीछे जंगल में भोजन और स्थान की कमी है? क्या बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप के कारण इन विशाल जीवों के बीच टकराव की संभावनाएँ बढ़ गई हैं? क्या टस्कर हाथी के व्यवहार में कोई असामान्य बदलाव आया था? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में विस्तृत जांच के बाद ही मिल पाएंगे। फिलहाल, वन विभाग इस घटना की गहन जांच में जुटा हुआ है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जंगल की यह दुर्लभ दुर्घटना किसी अन्य कारण से तो नहीं हुई।