रामनगर। पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के सात दिवसीय विशेष शिविर का पांचवां दिन बेहद खास रहा। इस अवसर पर महाविद्यालय के योग प्रशिक्षक श्री मुरलीधर कापड़ी ने स्वयंसेवकों को योगासन और प्राणायाम की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि स्वस्थ शरीर और शांत मन के लिए योग एक महत्वपूर्ण साधन है। मौजूदा दौर की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने के लिए योग और प्राणायाम को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने स्वयंसेवकों को योगासन और प्रणाम सिखाने के साथ-साथ यह भी बताया कि किस प्रकार नियमित अभ्यास से व्यक्ति न केवल तनावमुक्त रह सकता है, बल्कि बीमारियों से भी दूर रह सकता है। शिविर में उपस्थित सभी स्वयंसेवकों ने पूरे उत्साह के साथ योगाभ्यास किया और प्रशिक्षक द्वारा बताए गए विधि-विधान को आत्मसात करने का संकल्प लिया।
शिविर के दौरान सेवानिवृत्त श्री आर. सी. पांडे जी ने स्वयंसेवकों को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराया। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह यह महाविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुका है। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना की महत्ता और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वयंसेवकों को प्रेरित किया कि वे एनएसएस के मूल्यों को अपने जीवन में अपनाएं और समाज सेवा के माध्यम से अपने व्यक्तित्व को निखारें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज सेवा केवल एक गतिविधि नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। उनकी बातों ने उपस्थित स्वयंसेवकों को गहराई तक प्रभावित किया और उन्होंने इस विचार को आत्मसात करने का संकल्प लिया।

शिविर में रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। स्वयंसेवकों ने मेहंदी और स्लोगन प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतियोगिता के दौरान जहां कुछ प्रतिभागियों ने रंग-बिरंगे और कलात्मक डिजाइन से अपनी मेहंदी कला का प्रदर्शन किया, वहीं अन्य ने राष्ट्रीय सेवा योजना और समाजसेवा पर प्रभावशाली नारे लिखकर अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया। शिविर में प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ आपसी सहयोग और सहभागिता की भावना भी देखने को मिली।
वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुरेश चंद्रा ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) केवल एक शिविर या गतिविधि नहीं, बल्कि समाज सेवा और व्यक्तित्व विकास का माध्यम है। उन्होंने स्वयंसेवकों को प्रेरित करते हुए कहा कि एनएसएस के मूल सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह सेवा, समर्पण और सामाजिक जागरूकता का पाठ पढ़ाता है। उन्होंने आगे कहा कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए युवाओं की भागीदारी आवश्यक है और एनएसएस इसी दिशा में मार्गदर्शन करता है। उन्होंने स्वयंसेवकों से शिक्षा के साथ-साथ समाजसेवा में भी सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। अंत में, उन्होंने शिविर की सफलता के लिए सभी आयोजकों, अतिथियों और स्वयंसेवकों का आभार व्यक्त किया और उन्हें इसी जोश के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुरेश चंद्रा ने मुख्य अतिथि का आभार प्रकट किया और शिविर की सार्थकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वयंसेवकों को यह संदेश दिया कि राष्ट्रीय सेवा योजना केवल एक शिविर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. ममता भदोला जोशी ने किया। शिविर के इस विशेष सत्र में सभी स्वयंसेवक पूरे जोश और उत्साह के साथ उपस्थित रहे और इस आयोजन को यादगार बना दिया।