रामनगर। रैगिंग एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जो शैक्षणिक संस्थानों में वर्षों से चली आ रही है और नए छात्रों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक उत्पीड़न का कारण बनती है। इसी गंभीर समस्या के प्रति छात्रों में जागरूकता लाने के लिए पी.एन.जी. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामनगर के एंटी रैगिंग प्रकोष्ठ द्वारा पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्रों को रैगिंग के दुष्प्रभावों से अवगत कराना और उन्हें इस सामाजिक बुराई के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम की संयोजक प्रो. अनुमिता अग्रवाल ने प्रतियोगिता के विषय श्रैगिंग निषेधश् पर विस्तार से प्रकाश डाला और विद्यार्थियों को इस समस्या की गंभीरता समझाई। उन्होंने बताया कि रैगिंग न केवल एक अपराध है, बल्कि यह नए छात्रों के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। इस प्रतियोगिता में छात्रों ने बेहद प्रभावशाली और रचनात्मक पोस्टर बनाए, जिनमें उन्होंने रैगिंग के दुष्प्रभावों को उजागर किया और इसके उन्मूलन के लिए जागरूकता फैलाने का संदेश दिया।
प्रतियोगिता के दौरान छात्रों ने अपने पोस्टरों के माध्यम से स्पष्ट किया कि रैगिंग केवल एक मजाक नहीं, बल्कि एक गंभीर अपराध है, जिसके चलते कई छात्र मानसिक अवसाद में चले जाते हैं और कभी-कभी आत्मघाती कदम तक उठा लेते हैं। इस पहल का उद्देश्य न केवल रैगिंग को रोकना था, बल्कि नए और पुराने छात्रों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करना भी था।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम.सी. पांडे ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रैगिंग में शामिल होने पर छात्रों को गंभीर अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है। इसमें संस्थान से निलंबन या निष्कासन तक की कार्रवाई संभव है। उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी विद्यार्थियों की सराहना की और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे इस कुप्रथा के खिलाफ एकजुट हों और अपने महाविद्यालय को रैगिंग-मुक्त बनाने में सहयोग करें। उन्होंने यह भी बताया कि कॉलेज प्रशासन रैगिंग के खिलाफ श्शून्य सहिष्णुताश् की नीति अपनाए हुए है। अगर कोई भी छात्र रैगिंग का शिकार होता है या इसके बारे में जानता है, तो उसे बिना किसी भय के इसकी शिकायत करनी चाहिए।
इस प्रतियोगिता में छात्रों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया और अपने पोस्टरों के माध्यम से रैगिंग के खिलाफ कड़ा संदेश दिया। प्रतियोगिता का निर्णय करने की जिम्मेदारी संगीत विभाग की डॉ. शिप्रा पंत और अर्थशास्त्र विभाग की डॉ. रश्मि आर्या को सौंपी गई थी। निर्णायक मंडल ने सभी पोस्टरों का मूल्यांकन करने के बाद विजेताओं की घोषणा की।
प्रतियोगिता में डिंपल कौर ने अपनी उत्कृष्ट रचनात्मकता और प्रभावशाली प्रस्तुति के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया। हिमांशी गुप्ता ने अपनी अद्वितीय सोच और कलात्मकता के आधार पर द्वितीय स्थान हासिल किया, जबकि अंकित पाल ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति के दम पर तृतीय स्थान प्राप्त किया। निर्णायक मंडल ने विजेताओं की प्रतिभा की सराहना करते हुए उन्हें सम्मानित किया। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी छात्रों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिससे यह आयोजन बेहद सफल और प्रेरणादायक साबित हुआ। इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को रचनात्मकता के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों के प्रति जागरूक होने का अवसर भी मिला।
इस कार्यक्रम में डॉ. शरद भट्ट, डॉ. कृष्णा भारती, सहित महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। सभी ने इस पहल की सराहना की और इसे एक सफल जागरूकता अभियान बताया। एंटी रैगिंग प्रकोष्ठ के सदस्यों ने यह संदेश दिया कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान में रैगिंग के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने सभी छात्रों से आग्रह किया कि अगर वे रैगिंग जैसी किसी भी गतिविधि को देखें तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें ताकि इस गंभीर अपराध पर प्रभावी रूप से रोक लगाई जा सके।
कार्यक्रम के समापन पर छात्रों ने रैगिंग के बहिष्कार की शपथ लेते हुए इसे समाप्त करने में सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प लिया। उन्होंने न केवल खुद रैगिंग से दूर रहने की प्रतिज्ञा की, बल्कि अपने साथी छात्रों को भी इसके खिलाफ जागरूक करने का प्रण लिया। इस प्रतियोगिता ने यह साबित कर दिया कि जब छात्र सचेत और संगठित होते हैं, तो वे समाज में किसी भी बुराई को जड़ से खत्म करने की ताकत रखते हैं। इस आयोजन ने युवाओं में सकारात्मक सोच, सहयोग और जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित किया, जिससे एक सुरक्षित शैक्षणिक वातावरण का निर्माण संभव होगा।
इस आयोजन ने छात्रों को यह समझने का अवसर दिया कि कॉलेज केवल शिक्षा प्राप्त करने का स्थान नहीं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों को आत्मसात करने की जगह भी है। जब हर छात्र रैगिंग के खिलाफ खड़ा होगा, तभी इस बुराई का अंत संभव होगा।
‘‘रैगिंग पर रोक – शिक्षा का सम्मान!’’ यही मजबूत संदेश लेकर यह प्रतियोगिता न केवल एक रचनात्मक मंच बनी, बल्कि सामाजिक जागरूकता का प्रभावशाली जरिया भी साबित हुई। इस आयोजन ने छात्रों को रैगिंग जैसी कुप्रथा के गंभीर परिणामों से अवगत कराया और उन्हें इसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। विद्यार्थियों ने अपनी रचनात्मकता के माध्यम से यह संदेश दिया कि शिक्षण संस्थान ज्ञान और संस्कार का केंद्र होते हैं, न कि भय और उत्पीड़न का स्थान। यह पहल छात्रों को जागरूक करने के साथ-साथ एक सकारात्मक और सुरक्षित शैक्षणिक वातावरण बनाने में सफल रही।