रारमनगर। रामनगर वन प्रभाग में इस बार बाघों की गणना के नतीजे बेहद उत्साहजनक साबित हो सकते हैं। पहली बार फेज 4 के तहत हुई इस गणना में हर कैमरा ट्रैप में बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है। यह संकेत करता है कि इन जंगलों में बाघों की संख्या में इजाफा हो सकता है। यह पहली बार हुआ है जब पूरे 480 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में इतने व्यापक स्तर पर सर्वेक्षण किया गया हो। वन विभाग अब इस आंकड़े का गहराई से विश्लेषण कर रहा है, और जल्द ही इस बारे में आधिकारिक जानकारी जारी की जाएगी। वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी यह पहल इस क्षेत्र में जैव विविधता के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
इस गणना के लिए जनवरी 2025 में कोटा, देचौरी, फतेहपुर और कालाढूंगी रेंज में 350 कैमरा ट्रैप लगाए गए थे। यह पहली बार है जब रामनगर वन प्रभाग में इस स्तर पर गणना की गई है। अब तक यहां के आंकड़ों के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता था, जो हर चार साल में जारी होती थी। लेकिन अब यह संभव हो पाया है कि बाघों की गणना हर साल की जा सकेगी। इससे बाघों की सटीक संख्या जानने में मदद मिलेगी और उनकी सुरक्षा के लिए और भी प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे।

पिछली बार जब गणना की गई थी, तो 2021-22 की ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट में रामनगर वन प्रभाग में कुल 67 बाघ दर्ज किए गए थे। लेकिन इस बार के आंकड़ों ने उम्मीदें बढ़ा दी हैं क्योंकि सभी कैमरा ट्रैप में बाघों की गतिविधियां दर्ज हुई हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि इन जंगलों में बाघों की संख्या बढ़ी है। 480 स्क्वायर किलोमीटर जंगल को 175 पॉइंट पर 350 कैमरा ट्रैप के जरिए कवर किया गया था। अब जब कैमरा ट्रैप हटा लिए गए हैं, तो डेटा का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है और जल्द ही परिणाम घोषित किए जाएंगे। इस पहल को लेकर वन्यजीव प्रेमियों में भी जबरदस्त उत्साह है।
इस पूरी प्रक्रिया को चार चरणों में पूरा किया गया है। पहले चरण में ट्रांजिट लाइन डाली जाती है ताकि बाघों की उपस्थिति के संकेत देखे जा सकें। दूसरे चरण में सैटेलाइट इमेजरी के जरिए उनकी मौजूदगी की पुष्टि की जाती है। तीसरे चरण में कैमरा ट्रैप का इस्तेमाल कर यह पता लगाया जाता है कि किस क्षेत्र में कितने बाघ हैं। और चौथे चरण में इन तीनों तकनीकों को एक साथ मिलाकर सबसे सटीक गणना की जाती है। रामनगर वन प्रभाग में पहली बार इस प्रक्रिया को अपनाया गया और परिणाम काफी उत्साहजनक रहे।

इस पूरे अभियान पर वन्यजीव प्रेमियों की भी नजरें टिकी थीं। इस बारे में वन्यजीव प्रेमी दीप मलकानी का कहना है कि यह एक सराहनीय पहल है, जिससे बाघों की सटीक संख्या का पता चल सकेगा। इससे न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि क्षेत्र का पर्यावरण संतुलन भी बेहतर होगा। इसके अलावा, पर्यटन उद्योग को भी इससे लाभ मिलेगा क्योंकि ज्यादा संख्या में बाघ होने से पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा।
अब जबकि रामनगर वन प्रभाग में हर साल गणना संभव हो पाएगी, तो यह जंगल भी एक सुरक्षित बाघ शरणस्थली के रूप में उभर सकता है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अलावा अब यह इलाका भी बाघों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। बाघों की बढ़ती संख्या से पर्यावरण संतुलन बना रहेगा और इस जंगल का महत्व और भी बढ़ जाएगा। वन विभाग ने साफ कर दिया है कि जल्द ही आधिकारिक आंकड़े जारी किए जाएंगे, जिनका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।