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विश्व जल दिवस पर महाविद्यालय में जागरूकता कार्यक्रम, जल संरक्षण पर दिया गया संदेश

जल संकट के समाधान पर मंथन, NSS स्वयं सेवकों ने जल संरक्षण का दिया संदेश, जागरूकता फैलाने का लिया संकल्प, भविष्य के लिए पानी बचाने की अपील।

रामनगर। पानी की हर बूंद अनमोल है, और इसका संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुकी है। बढ़ते जल संकट को देखते हुए समाज में जल बचाने की जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी हो गया है। इसी उद्देश्य से राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) इकाई द्वारा महाविद्यालय में विश्व जल दिवस के अवसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से जल संरक्षण के महत्व और आवश्यक उपायों पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम.सी. पांडे एवं गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम में NSS स्वयं सेवकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और जल संरक्षण को लेकर अपने विचार साझा किए। इस दौरान स्वयं सेवकों ने सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और जल बचाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। कार्यक्रम में जल संकट की गंभीरता पर चर्चा की गई और इसके समाधान हेतु सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया गया।

कार्यक्रम में डॉ. नरेश कुमार, सहायक प्रोफेसर (इतिहास), ने जल की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जल केवल एक प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन का आधार है। इसके बिना जीवन की कल्पना असंभव है। उन्होंने जल संकट की गंभीरता को समझाते हुए कहा कि यदि समय रहते हमने जल संरक्षण के उपाय नहीं अपनाए, तो आने वाली पीढ़ियों को भारी संकट का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने जल के विवेकपूर्ण उपयोग पर जोर देते हुए दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करने की अपील की, जैसे नल को अनावश्यक न खुला छोड़ना, वर्षा जल संचयन करना और जल अपव्यय को रोकना। उन्होंने बताया कि सामूहिक प्रयासों से जल संकट को टाला जा सकता है और राष्ट्रीय सेवा योजना जैसे संगठनों को इसमें अहम भूमिका निभानी चाहिए।

जिला समन्वयक प्रो. जे.एस. नेगी ने जल के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि जल इस पृथ्वी पर हर जीव के लिए एक अमूल्य संपत्ति है, जिसके बिना जीवन संभव नहीं। उन्होंने जल संकट की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि हमने अभी से जल संरक्षण के ठोस प्रयास नहीं किए, तो भविष्य में भारी समस्या का सामना करना पड़ेगा। जल की बर्बादी रोकना और इसके सतत उपयोग को सुनिश्चित करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने स्वयं सेवकों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे जल संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाएं और समाज में इसके प्रति जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाएं। इसके लिए उन्हें लोगों को जल बचाने के विभिन्न उपायों से अवगत कराना होगा और अधिक से अधिक लोगों को इस अभियान से जोड़ना होगा।

जल संकट और समाधानवर्तमान समय में जल संकट गंभीर समस्या बन चुका है। सूखते जल स्रोत, गिरता भूजल स्तर और बढ़ती जल बर्बादी ने इंसान के अस्तित्व पर खतरा खड़ा कर दिया है। जल संरक्षण को लेकर लोगों की उदासीनता आने वाले समय में बड़ी परेशानी खड़ी कर सकती है। इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुरेश चंद्रा ने सभी अतिथियों, शिक्षकों और स्वयं सेवकों का धन्यवाद ज्ञापित किया और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने की अपील की।

स्वयं सेवकों की भागीदारी और जागरूकता अभियान इस अवसर पर स्वयं सेवकों ने भी जल संरक्षण और जागरूकता से संबंधित विभिन्न विचार प्रस्तुत किए। कुछ स्वयं सेवकों ने नारे लगाकर और पोस्टर के माध्यम से जल बचाने का संदेश दिया, वहीं कुछ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि अभी से जल बचाने की मुहिम नहीं चलाई गई, तो भविष्य में पीने योग्य पानी की भारी कमी हो सकती है।

कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षाविदों ने जल संरक्षण की महत्ता को रेखांकित करते हुए सभी को जल बचाने की शपथ दिलाई। डॉ. सुमन कुमार, डॉ. अलका राजोरिया, डॉ. जे.पी. त्यागी, डॉ. डी.एन. जोशी और डॉ. नीमा राणा सहित अन्य शिक्षकों ने जल संकट की गंभीरता पर चिंता जताई और जल संरक्षण को अनिवार्य बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि जीवन का मूल आधार है, जिसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है। शिक्षकों ने स्वयं सेवकों से आग्रह किया कि वे अपने परिवार, मित्रों और समुदाय में जल बचाने का संदेश फैलाएं। जल की प्रत्येक बूंद अनमोल है, इसलिए सभी को अपने स्तर पर जल अपव्यय रोकने के प्रयास करने चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षित रह सके।

कार्यक्रम के समापन पर सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया कि जल संरक्षण को प्रत्येक स्तर पर प्राथमिकता दी जाएगी और समाज में इस जागरूकता को फैलाने के लिए NSS स्वयं सेवक अहम भूमिका निभाएंगे। जल केवल एक प्राकृतिक संसाधन नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन का आधार है, इसलिए इसे संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। उपस्थित शिक्षकों और अतिथियों ने जल बचाने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों पर जोर देते हुए कहा कि जल संकट से बचने के लिए हमें अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाने होंगे। वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण और अपव्यय को रोकने जैसे उपायों को अपनाना अनिवार्य है। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि जल ही जीवन है, और इसे बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य मिल सके।

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