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नमामि गंगे स्वच्छता पखवाड़े में छात्रों की रचनात्मक उड़ान, गंगा स्वच्छता का बुलंद संदेश

छात्रों ने पोस्टर और स्लोगन के जरिए गंगा की स्वच्छता का संकल्प लिया, रचनात्मकता से दिया जागरूकता का संदेश

रामनगर। पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 16 मार्च से 31 मार्च तक चलने वाले नमामि गंगे स्वच्छता पखवाड़े के तहत 21 मार्च 2025 को एक भव्य चार्ट, पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। “स्वच्छ गंगा, स्वच्छ भारत” विषय पर आधारित इस प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने अपनी रचनात्मकता के माध्यम से गंगा स्वच्छता और विकसित भारत की झलक प्रस्तुत की। रंगों और भावनाओं के अद्भुत संयोजन से सजे इन पोस्टरों ने न केवल कला की उत्कृष्टता को दर्शाया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी फैलाई। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम.सी. पांडे के कुशल निर्देशन में यह कार्यक्रम अत्यंत प्रभावशाली ढंग से संपन्न हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि चित्रों के माध्यम से व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को अधिक स्पष्टता और गहराई के साथ व्यक्त कर सकता है। प्रतियोगिता के दौरान छात्रों ने अपनी कल्पनाशीलता का परिचय देते हुए पोस्टरों के जरिए जल संरक्षण और गंगा की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रेरक संदेश दिए।

कार्यक्रम में छात्रों ने अपने विचारों को पोस्टरों और स्लोगनों के माध्यम से जीवंत किया। प्रतिभागियों ने विविध रंगों और प्रतीकों का उपयोग कर गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने का संदेश दिया। कुछ पोस्टरों में गंगा की स्वच्छता को भारत के विकास से जोड़ा गया, तो कुछ ने गंगा में बढ़ते प्रदूषण की भयावह स्थिति को उजागर किया। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्रों में हिमांशु, करण, कुनाल, रजत, श्रुति, मीना, आशा, प्रीति, उर्मिला सहित कई अन्य प्रतिभागियों ने अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति से सबका ध्यान आकर्षित किया।

इस अवसर पर नमामि गंगे के नोडल अधिकारी डॉ. नीमा राणा ने कहा कि यह प्रतियोगिता केवल एक प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने गंगा स्वच्छता अभियान की आवश्यकता और इसकी व्यापकता पर जोर दिया। भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. डी.एन. जोशी ने वनों और नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि जल स्रोतों की स्वच्छता ही जीवन के अस्तित्व की आधारशिला है। डॉ. सुरेश चंद्र, डॉ. रिचा, डॉ. पुनीता कुशवाहा, डॉ. ममता जोशी, डॉ. जे.पी. त्यागी, डॉ. कृष्णा भारती और डॉ. सिराज अहमद ने भी छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है। इसे स्वच्छ और निर्मल बनाए रखना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है।

छात्रों द्वारा बनाए गए पोस्टर और स्लोगन इतने प्रभावशाली थे कि उन्होंने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने की आवश्यकता को गहराई से उजागर किया। एक पोस्टर में गंगा को स्वच्छ रखने की अपील करते हुए लिखा गया था – “गंगा बहे निर्मल और शुद्ध, तभी बनेगा भारत बुद्ध।” वहीं, एक अन्य पोस्टर में जल संरक्षण पर जोर देते हुए संदेश दिया गया – “गंगा हमारी पहचान है, इसे बचाना हमारी शान है।”

यह आयोजन न केवल छात्रों के रचनात्मक कौशल को विकसित करने का माध्यम बना, बल्कि यह स्वच्छ भारत अभियान की ओर एक प्रेरणादायक कदम भी था। इस प्रतियोगिता ने यह संदेश दिया कि यदि युवा पीढ़ी जागरूक हो जाए, तो गंगा संरक्षण और पर्यावरण सुधार की दिशा में बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर योगदान दे, तो गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखना असंभव नहीं। इस प्रतियोगिता ने एक नई ऊर्जा और प्रेरणा के साथ स्वच्छता के इस अभियान को आगे बढ़ाने का संकल्प दिलाया।

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