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अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस पर गूंजा प्रकृति संरक्षण का संकल्प, युवाओं ने दिखाई नई राह

वन संरक्षण का महाअभियान, छात्रों ने लिया संकल्प, वन्यजीवों के संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के लिए किया जागरूकता अभियान

रामनगर। पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब छात्र-छात्राओं ने अन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया। पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और वनों के महत्व को समझाने के लिए कार्बेट फाउंडेशन एवं रामनगर वन प्रभाग के संयुक्त तत्वावधान में नगर वन में भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एम.सी. पाण्डे के प्रेरणादायक संबोधन से हुई। उन्होंने छात्रों को प्रकृति और वनों के प्रति जिम्मेदारी का अहसास कराते हुए संरक्षण का संकल्प दिलाया। इस अवसर पर कार्बेट फाउंडेशन की जागरूकता अधिकारी शिखा पाण्डे ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में रामनगर वन प्रभाग के एसडीओ अंकित बडोला ने वनों की अनमोल महत्ता पर प्रकाश डालते हुए इनके संरक्षण को लेकर युवाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि वन केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं, बल्कि यह हमारे जीवन की आधारशिला हैं। वनों के विनाश से केवल पर्यावरण ही नहीं, बल्कि संपूर्ण जीव-जगत प्रभावित होता है। इस अवसर पर महाविद्यालय के भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. डी.एन. जोशी ने भौगोलिक दृष्टिकोण से वनों के महत्व पर गहन चर्चा की। उन्होंने बताया कि वनों का संरक्षण केवल सरकार का कर्तव्य नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। युवाओं को चाहिए कि वे वन्यजीव संरक्षण और वनों के संवर्धन के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं। अन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस के उपलक्ष्य में छात्र-छात्राओं को नगर वन का भ्रमण कराया गया, जहां उन्होंने प्रकृति को करीब से देखा और पर्यावरण के प्रति नई जागरूकता प्राप्त की। इस दौरान वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने छात्रों को वनों में पाए जाने वाले विभिन्न वन्य जीवों, उनके निवास स्थान, विलुप्त हो रही प्रजातियों और उनके संरक्षण के उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

वन्यजीव विशेषज्ञों ने बताया कि जैव विविधता को बनाए रखने के लिए वनों का सुरक्षित रहना अत्यंत आवश्यक है। छात्रों ने न केवल वन्यजीवों को नजदीक से देखा, बल्कि उनके जीवन पर पड़ने वाले मानवीय प्रभावों को भी समझा। इस रोमांचक अनुभव के दौरान छात्रों को बताया गया कि वनों का विनाश न केवल जीव-जंतुओं को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इससे जलवायु परिवर्तन भी तेज होता है। इस ज्ञानवर्धक यात्रा में नेचर गाइड दीप मेलकानी, नरेंद्र सिंह, बलवंत सिंह, मोहन और मनमोहन सिंह का विशेष सहयोग रहा। इस विशेष अवसर पर छात्रों ने संकल्प लिया कि वे न केवल वनों का संरक्षण करेंगे, बल्कि दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। छात्रों ने वनों को बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी साझा किए, जैसेकृप्लास्टिक कचरे को कम करना, अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना, वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों से बचना और जंगलों की सफाई में योगदान देना। कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने अपने विचार भी साझा किए। कई छात्रों ने कहा कि वे इस अनुभव को कभी नहीं भूलेंगे और वन संरक्षण के प्रति उनकी सोच में बड़ा बदलाव आया है।

रामनगर वन प्रभाग के वन अधिकारी चंद्रशेखर तिवारी ने वनों की रक्षा के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने छात्रों को बताया कि वन्यजीव संरक्षण केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि यह पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखने का जरिया है। साथ ही, कार्बेट फाउंडेशन की समीक्षा मनराल और शिखा पाण्डे ने वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने पर जोर दिया। इस आयोजन के दौरान विशेष रूप से वन्यजीव संरक्षण से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की गई, जिसमें जंगलों में मानवीय हस्तक्षेप को कम करने और अवैध शिकार जैसी समस्याओं पर रोक लगाने के उपाय भी शामिल थे। छात्रों को बताया गया कि अगर हम आज वनों की रक्षा नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह गंभीर समस्या बन सकती है।

यह कार्यक्रम केवल एक दिवस का आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक प्रेरणा थी कि हम सभी को अपने आसपास के वनों और वन्यजीवों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। वनों की रक्षा करना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। आज के युवा अगर इस दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो आने वाले वर्षों में इसका सकारात्मक प्रभाव जरूर दिखेगा। कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए और उन्हें वनों की रक्षा हेतु निरंतर कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया।

अन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस पर रामनगर में आयोजित यह विशेष आयोजन छात्रों और युवाओं को प्रकृति से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास था। इस अवसर पर डॉ. नीमा राणा, वन क्षेत्राधिकारी चंद्रशेखर तिवारी, रामनगर वन प्रभाग के अन्य अधिकारी, कार्बेट फाउंडेशन से समीक्षा मनराल, शिखा पाण्डे समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। यह आयोजन हर किसी के लिए एक नई सीख लेकर आया कि अगर हमें धरती को हरा-भरा बनाए रखना है, तो वनों का संरक्षण करना ही होगा। छात्र-छात्राओं का जोश और प्रतिबद्धता यह साबित करती है कि भविष्य में भी वन संरक्षण की इस मुहिम को और मजबूती मिलेगी। यह केवल एक संकल्प नहीं, बल्कि पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है।

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