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कॉर्बेट में हाथियों की सबसे बड़ी गिनती शुरू, जंगल में वन विभाग की कड़ी निगरानी

जंगल के राजा के बाद अब हाथियों की बारी, कॉर्बेट में सटीक गिनती के लिए वन विभाग की स्पेशल टीमें तैनात

रामनगर।विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में इस महीने के आखिरी हफ्ते से हाथियों की गणना का बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है। हाथियों की सटीक गिनती सुनिश्चित करने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने विशेष टीमें तैनात की हैं। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहां हाथियों की बढ़ती आबादी को ट्रैक करना भी उतना ही जरूरी है। वन विभाग ने तीन दिनों तक चलने वाले इस अभियान को अत्याधुनिक और वैज्ञानिक पद्धति से पूरा करने की योजना बनाई है। हाथियों की गिनती प्रत्यक्ष दृष्टि विधि यानी डायरेक्ट साइटिंग मेथड से की जाएगी। इसका मतलब यह है कि वनकर्मी जंगल में रहकर अपनी आंखों से हर हाथी को गिनेंगे और उसकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करेंगे। गणना के दौरान हाथियों की मूवमेंट पर खास नजर रखी जाएगी, ताकि किसी हाथी को दो बार गिनने की गलती न हो।

इस विशाल कार्य को पूरा करने के लिए कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को 125 बीट्स में बांटा गया है। प्रत्येक बीट में प्रशिक्षित वन अधिकारी और कर्मचारी तैनात रहेंगे। वे न केवल हाथियों की संख्या दर्ज करेंगे, बल्कि यह भी देखेंगे कि हाथी झुंड में हैं या अकेले घूम रहे हैं? उनके स्वाभाविक आवास की स्थिति क्या है? जंगल में भोजन की उपलब्धता कैसी है? इन सभी पहलुओं का गहराई से विश्लेषण किया जाएगा। गौरतलब है कि इस समय कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 1200 से ज्यादा हाथी मौजूद हैं। इनकी सटीक गणना न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए जरूरी है, बल्कि इससे यह भी पता चलेगा कि जंगल का इकोसिस्टम कैसा काम कर रहा है? अगर हाथियों की संख्या असंतुलित होती है तो जंगल की जैव विविधता और पारिस्थितिकी प्रणाली प्रभावित हो सकती है।

कॉर्बेट पार्क प्रशासन के अनुसार, इस गणना से कई अहम जानकारियां सामने आएंगी। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हाथियों की आबादी बढ़ रही है या घट रही है? इससे जंगल में उनकी स्थिरता और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव का विश्लेषण किया जा सकेगा। इसके अलावा, यह भी पता चलेगा कि जंगल में उनके प्राकृतिक आवास की स्थिति कैसी है? क्या उन्हें पर्याप्त भोजन और पानी मिल रहा है, या उनके वास स्थल में कोई बदलाव आ रहा है? इस अध्ययन से वन विभाग को यह समझने में मदद मिलेगी कि भविष्य में हाथियों के संरक्षण के लिए कौन-से कदम उठाने जरूरी हैं। इससे जंगलों की जैव विविधता को बनाए रखने और हाथियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने में सहायता मिलेगी।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक, डॉ. साकेत बडोला ने कहा कि इस बार हाथियों की गणना को पूरी तरह वैज्ञानिक, सटीक और त्रुटिरहित बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह प्रक्रिया पूरी तरह प्रत्यक्ष दृष्टि विधि यानी डायरेक्ट साइटिंग मेथड पर आधारित होगी, जिसमें वनकर्मी अपनी खुद की आंखों से हाथियों की गिनती करेंगे। उन्होंने कहा कि गणना के दौरान हाथियों की गतिविधियों को भी बारीकी से रिकॉर्ड किया जाएगा, ताकि उनकी संख्या और व्यवहार को बेहतर तरीके से समझा जा सके। यह आंकड़े भविष्य में हाथियों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को सही दिशा देने में मदद करेंगे। उन्होंने बताया कि इस बार की गणना को पहले से अधिक व्यवस्थित और वैज्ञानिक आधार पर किया जा रहा है, ताकि वन विभाग को हाथियों की वास्तविक संख्या का सटीक अनुमान लग सके और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने के लिए उचित रणनीतियां बनाई जा सकें।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक, डॉ. साकेत बडोला ने हाथी गणना के बड़े फायदे बताते हुए कहा कि इस साल यह प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक व्यवस्थित और तकनीकी रूप से उन्नत तरीके से की जा रही है। गणना का मुख्य उद्देश्य सिर्फ हाथियों की संख्या जानना नहीं, बल्कि उनके प्राकृतिक आवास और संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्र करना भी है। उन्होंने बताया कि इस गणना से यह स्पष्ट होगा कि पिछले वर्षों की तुलना में हाथियों की संख्या में कितनी वृद्धि या गिरावट हुई है। इसके अलावा, जंगल में हाथियों के लिए भोजन और पानी की उपलब्धता कैसी है, इस पर भी खास ध्यान दिया जाएगा। इसके जरिए वन विभाग यह भी समझ सकेगा कि हाथियों का मूवमेंट किस दिशा में ज्यादा हो रहा है और क्या जंगल में ऐसे कोई बदलाव हुए हैं जो उनके प्राकृतिक आवास को प्रभावित कर सकते हैं। ये आंकड़े संरक्षण योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक होंगे।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हाथियों की गिनती हर साल की जाती है, लेकिन इस बार इसे कई स्तरों पर और अधिक वैज्ञानिक और व्यवस्थित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारी इस बात का खास ख्याल रख रहे हैं कि कोई भी हाथी गलती से दो बार न गिना जाए, ताकि वास्तविक आंकड़े सामने आ सकें। इस बार की गणना में सबसे अहम पहलू यह है कि वनकर्मी हर हाथी की मूवमेंट पर कड़ी नजर रखेंगे। यदि किसी हाथी को दो अलग-अलग बीट्स में देखा जाता है, तो यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसे दो बार न गिना जाए। इसके अलावा, गणना के दौरान यह भी रिकॉर्ड किया जाएगा कि हाथी अकेला घूम रहा है या झुंड में?

इस गणना से न केवल हाथियों की सटीक संख्या का पता चलेगा, बल्कि वन विभाग को उनकी सुरक्षा और संरक्षण से जुड़ी नई रणनीतियां बनाने में मदद मिलेगी। इससे यह भी समझा जा सकेगा कि जंगल में हाथियों के प्राकृतिक आवास को और बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है। निष्कर्ष: हाथियों की गणना का मकसद सिर्फ गिनती नहीं, बल्कि संरक्षण भी! कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का यह विशाल हाथी गणना अभियान सिर्फ एक आंकड़ा जुटाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह हाथियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस पूरी प्रक्रिया को बिल्कुल सटीक और वैज्ञानिक तरीके से अंजाम देने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस गणना के नतीजे हाथियों के संरक्षण की रणनीतियों में किस तरह बदलाव लाते हैं और जंगल के इकोसिस्टम पर इसका क्या असर पड़ता है। हाथियों की असली गिनती क्या निकलती है, यह तो कुछ दिनों बाद ही पता चलेगा

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