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12 अवैध मदरसों पर बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई, मुस्लिम संगठनों में आक्रोश

12 मदरसों पर प्रशासन का ताबड़तोड़ एक्शन, सीलिंग के बाद मचा हड़कंप, मुस्लिम संगठनों में उबाल, सरकार पर भेदभाव के आरोप, शिक्षा नीति पर उठे सवाल

काशीपुर। उत्तराखंड में प्रशासन ने अवैध रूप से संचालित मदरसों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मंगलवार को काशीपुर में 12 मदरसों को सील कर दिया। एसडीएम अभय प्रताप सिंह के नेतृत्व में प्रशासनिक और पुलिस टीमों ने यह कार्रवाई की, जिससे अवैध रूप से मदरसे संचालित करने वालों में हड़कंप मच गया। प्रशासन की इस सख्ती से मुस्लिम संगठनों में रोष है और उन्होंने इसे अल्पसंख्यक शिक्षा पर हमला बताया है।

अधिकारियों के मुताबिक, इन मदरसों को बिना किसी पंजीकरण के संचालित किया जा रहा था, जिससे शैक्षिक मानकों और सरकारी नियमों का उल्लंघन हो रहा था। जांच में यह भी सामने आया कि इनमें पढ़ने वाले छात्रों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं था, और कुछ स्थानों पर अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालयों के छात्रों को भी पढ़ाया जा रहा था।

संयुक्त सत्यापन के बाद प्रशासन ने जिन मदरसों को सील किया, उनमें मदरसा गौसिया, मदरसा तालिम-उल-कुरान, मदरसा इस्लामिया अरबिया, मदरसा गुलशन-ए-राना, मदरसा अरबिया सिद्दीक-उल-ऊलूम, मदरसा फैजुल उलूम, मदरसा अरबिया बनातुल मुस्लिमीन, मदरसा अनवार उल-ऊलूम, मदरसा श्यामुल उलूम, मदरसा अरबिया फैजाने-मुस्तफा, मदरसा इस्लामिया जरीवाला जाबार-उल-ऊलूम और मदरसा ख्वाजगाह नूरिया जामिया शामिल हैं।

प्रशासन ने सभी अवैध मदरसों के प्रबंधकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यदि संचालक वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाते, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान कुछ संचालकों ने प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें पहले से कोई चेतावनी नहीं दी गई थी। एसडीएम अभय प्रताप सिंह ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई उच्चाधिकारियों के निर्देश पर की गई है और किसी भी अवैध शिक्षण संस्थान को संचालित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सभी संस्थानों को नियमानुसार पंजीकृत कराना अनिवार्य है। बिना मान्यता के चल रहे मदरसों को सख्ती से बंद किया जाएगा।

प्रशासन की इस कार्रवाई से मुस्लिम संगठनों में आक्रोश है। कई संगठनों ने इसे समुदाय विशेष को निशाना बनाने की साजिश करार दिया। स्थानीय मुस्लिम नेताओं का कहना है कि अगर नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई हो रही है, तो अन्य अवैध स्कूलों और शिक्षण संस्थानों पर भी यही सख्ती होनी चाहिए। एक मुस्लिम संगठन के प्रवक्ता ने कहा कि अगर सरकार शिक्षा को बेहतर बनाना चाहती है, तो पहले इन मदरसों को मान्यता दिलाने की प्रक्रिया को सरल बनाए। अचानक हुई इस कार्रवाई से सैकड़ों छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी।

काशीपुर में हुई इस कार्रवाई पर स्थानीय लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों ने प्रशासन की कार्रवाई का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे छात्रों के भविष्य के लिए खतरा बताया।बएक स्थानीय निवासी ने कहा कि अगर कोई भी शिक्षण संस्थान बिना अनुमति के चल रहा है, तो प्रशासन को उसके खिलाफ कदम उठाना चाहिए। यह छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है। वहीं, एक अन्य व्यक्ति ने चिंता जताते हुए कहा कि बिना कोई नोटिस दिए इस तरह से मदरसों को बंद करना सही नहीं है। सरकार को पहले उचित प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी।

प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में अन्य गैर-पंजीकृत शिक्षण संस्थानों की भी जांच की जाएगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ मदरसों ही नहीं, बल्कि बिना मान्यता के संचालित अन्य स्कूलों और शिक्षण संस्थानों पर भी कार्रवाई होगी। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि हम किसी एक समुदाय को टारगेट नहीं कर रहे हैं। हमारी प्राथमिकता छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त शिक्षा उपलब्ध कराना है।

प्रशासन का कहना है कि अगर मदरसा संचालक आवश्यक दस्तावेज और पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं, तो वे दोबारा संचालन शुरू कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। इस बीच, मुस्लिम संगठनों ने इस कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि अवैध घोषित किए गए मदरसों को पुनः मान्यता देने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए, ताकि छात्रों की शिक्षा बाधित न हो।

काशीपुर में 12 अवैध मदरसों को सील करने की यह कार्रवाई प्रशासन के शिक्षा सुधार अभियान का हिस्सा है। सरकार जहां इसे कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम बता रही है, वहीं मुस्लिम संगठनों ने इसे समुदाय विशेष के खिलाफ दमनकारी नीति बताया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे प्रशासन इस विवाद से कैसे निपटता है और क्या अन्य अवैध शिक्षण संस्थानों पर भी यही सख्ती बरती जाएगी या नहीं।

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