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रंगों की होली या शराब की होली? हरिद्वार में छलके करोड़ों के जाम

हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। हरिद्वार, धर्म और आध्यात्म की नगरी, इस बार होली के मौके पर कुछ अलग ही रंग में रंगी नजर आई। रंग-गुलाल के साथ यहां मदिरा का भी जबरदस्त दौर चला। आंकड़ों की मानें तो हरिद्वार में इस बार होली पर शराब की बिक्री ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। होली के इस पावन पर्व पर शराब की ऐसी जमकर खपत हुई कि आंकड़े सुनकर हर कोई हैरान रह गया। होली के उत्सव में रंगों की मस्ती के साथ-साथ जाम भी खूब छलके। उत्तराखंड के आबकारी विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो होली के दिन हरिद्वार जिले में लगभग 2 करोड़ 40 लाख रुपये की शराब बेची गई। इसमें से 1 करोड़ 40 लाख रुपये की अंग्रेजी शराब, जबकि 1 करोड़ रुपये की देसी शराब की बिक्री हुई। जिला आबकारी अधिकारी कैलाश बिंजोला ने जानकारी देते हुए बताया कि 13 मार्च को हरिद्वार के सभी ठेकों पर शराब की जबरदस्त बिक्री हुई।

हरिद्वार जिले में कुल 130 शराब के ठेके हैं, जिनमें 78 ठेके अंग्रेजी शराब के हैं और 52 ठेके देसी शराब के। इन सभी ठेकों पर होली के अवसर पर शराब प्रेमियों की लंबी कतारें देखी गईं। सुबह से ही लोग अपने पसंदीदा ब्रांड की शराब खरीदने के लिए उमड़ पड़े थे। धार्मिक नगरी हरिद्वार में शराब की इतनी अधिक खपत ने कई लोगों को चिंतित कर दिया है। होली का पर्व खुशियों और भाईचारे का प्रतीक है, लेकिन यहां जिस तरह से मदिरा का सेवन हुआ, उससे सामाजिक ताने-बाने पर भी सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोग और धार्मिक संगठनों ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हरिद्वार जैसी पवित्र नगरी में शराब की इतनी अधिक खपत कहीं इस शहर की आध्यात्मिक पहचान को नुकसान न पहुंचा दे।

हालांकि, प्रशासन और आबकारी विभाग ने त्योहार को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिला आबकारी अधिकारी कैलाश बिंजोला ने कहा कि उन्होंने लोगों से अवैध शराब और कच्ची शराब के सेवन से बचने की अपील की थी। आंकड़ों के अनुसार, लोग इस अपील पर अमल भी करते नजर आए, क्योंकि इस बार अवैध शराब के मामलों में कमी देखी गई। उन्होंने आगे कहा कि अवैध शराब और कच्ची शराब के खिलाफ अभियान लगातार जारी रहेगा। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भविष्य में इस तरह की कोई घटना न हो, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को खतरा पहुंचे। इस बंपर बिक्री ने न सिर्फ शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया, बल्कि राज्य सरकार के राजस्व में भी बड़ा इजाफा हुआ। सरकार को शराब बिक्री से करोड़ों रुपये का फायदा हुआ, जिससे यह साफ है कि त्योहारों के दौरान शराब की खपत तेजी से बढ़ रही है।

पहले के समय में होली की मस्ती सिर्फ गुलाल, ढोल-नगाड़ों और ठंडाई तक सीमित रहती थी, लेकिन अब शराब का चलन तेजी से बढ़ रहा है। हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थल पर भी शराब की इतनी अधिक खपत यह संकेत देती है कि त्योहारों के मायने धीरे-धीरे बदल रहे हैं। धर्मनगरी हरिद्वार में शराब की इस अप्रत्याशित बिक्री पर लोग अलग-अलग राय रखते हैं। जहां कुछ लोगों का कहना है कि यह महज त्योहार की खुशी का हिस्सा है, वहीं कुछ लोगों को लगता है कि इस पर लगाम लगाने की जरूरत है। हरिद्वार में होली का उत्सव इस बार भी धूमधाम से मनाया गया, लेकिन शराब की बढ़ती खपत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या आने वाले सालों में त्योहारों की मस्ती शराब के बिना अधूरी मानी जाएगी? क्या धार्मिक नगरी में शराब का यह बढ़ता चलन चिंता का विषय नहीं है? प्रशासन और समाज को इस पर मंथन करना जरूरी हो गया है ताकि हमारी सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक पर्व अपनी गरिमा बनाए रख सकें।

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