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काशीपुर में अवैध शराब पर पुलिस का बड़ा एक्शन आबकारी विभाग की लापरवाही से उठे सवाल

होली से पहले पुलिस की बड़ी कार्रवाई, थार में ले जाई जा रही अवैध बियर जब्त, आबकारी विभाग की चुप्पी पर बढ़ा संदेह

काशीपुर। जिले में अवैध शराब के धंधे पर नकेल कसने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा ने सख्त निर्देश जारी किए थे। इसी क्रम में पुलिस ने चेकिंग अभियान के दौरान बड़ी सफलता हासिल की। काशीपुर पुलिस ने एक थार गाड़ी से अवैध रूप से ले जाई जा रही 09 पेटी बियर के साथ एक आरोपी को धर दबोचा। इस कार्रवाई के तहत वाहन को भी जब्त कर लिया गया। पुलिस की इस कार्रवाई से शराब तस्करों में हड़कंप मच गया है।

कोतवाली पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, जनपद ऊधमसिंहनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा के निर्देशन में अवैध शराब के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत पुलिस अधीक्षक काशीपुर अभय सिंह और क्षेत्राधिकारी दीपक कुमार के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई। इस दौरान कोतवाली पुलिस टीम ने नीतीश चौधरी, पुत्र स्वर्गीय फाल सिंह, निवासी खोखराताल, काशीपुर को 09 पेटी अवैध बियर के साथ गिरफ्तार किया। पुलिस ने मौके पर ही थार वाहन को भी जब्त कर लिया और आरोपी के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 60/72 के तहत मुकदमा दर्ज किया। इस पूरी कार्रवाई में टांडा उज्जैन पुलिस चौकी प्रभारी सुनील सुतेड़ी, उपनिरीक्षक कंचन पडलिया, आरक्षी जगत सिंह और जोगेंद्र सिंह ने अहम भूमिका निभाई।

गौरतलब है कि पुलिस ने तो अवैध शराब के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, लेकिन आबकारी विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। होली के मद्देनजर अवैध शराब की बिक्री पर रोकथाम के लिए आबकारी विभाग को भी सक्रियता दिखानी चाहिए थी, लेकिन इस बार विभाग की ओर से कोई ठोस कदम उठता नहीं दिखा। शहरभर में अवैध शराब की सप्लाई जारी रही, लेकिन आबकारी विभाग की ओर से कहीं भी चेकिंग अभियान नहीं चलाया गया। अब सवाल यह उठता है कि इस लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा? पुलिस जहां अपने स्तर पर कार्रवाई कर रही है, वहीं आबकारी विभाग की निष्क्रियता कई सवाल खड़े कर रही है। क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर आगे कोई कार्रवाई करेगा या फिर हर बार की तरह यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

पुलिस की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि जिले में अवैध शराब का कारोबार कितना तेजी से फल-फूल रहा है। होली जैसे त्योहारों के दौरान यह धंधा और भी तेज हो जाता है, क्योंकि इस दौरान शराब की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में शराब माफिया सक्रिय हो जाते हैं और अवैध रूप से शराब की तस्करी शुरू कर देते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। पुलिस ने समय रहते कार्रवाई करते हुए एक आरोपी को पकड़ लिया, लेकिन यह केवल एक उदाहरण भर है। सवाल यह उठता है कि जो शराब तस्कर अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं, उनका क्या होगा?

पुलिस अधीक्षक काशीपुर अभय सिंह ने इस कार्रवाई पर बयान देते हुए कहा कि जनपद में अवैध शराब के कारोबार पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए पुलिस लगातार अभियान चला रही है। होली के मद्देनजर हमने विशेष चेकिंग अभियान शुरू किया था, जिसके तहत पुलिस टीम को यह सफलता मिली है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। हमारा उद्देश्य है कि किसी भी हाल में अवैध शराब की बिक्री न होने पाए, ताकि समाज में शांति व्यवस्था बनी रहे और किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।

उन्होंने आगे कहा कि हमारी पुलिस टीम लगातार सक्रिय है और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस मामले में आगे की जांच जारी है और हम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस अवैध शराब की सप्लाई कहां से हो रही थी और कौन-कौन इसमें शामिल है। हम आम जनता से भी अपील करते हैं कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।”

वही स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पुलिस नियमित रूप से इस तरह की कार्रवाई करती रहे तो अवैध शराब का धंधा पूरी तरह से खत्म हो सकता है। लेकिन इसके लिए प्रशासन और आबकारी विभाग को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। अकेले पुलिस के दम पर इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। आबकारी विभाग की लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में रोष भी देखने को मिल रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर जब पुलिस कार्रवाई कर सकती है तो आबकारी विभाग क्यों नहीं? क्या विभाग के अधिकारियों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी या फिर जानबूझकर अनदेखी की गई? यह सवाल अब जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

काशीपुर के निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच की जाए और अगर आबकारी विभाग के किसी अधिकारी की लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। शहर के लोग यह भी चाहते हैं कि होली और अन्य बड़े त्योहारों के दौरान अवैध शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाए। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है। क्या आबकारी विभाग की निष्क्रियता को लेकर कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या फिर यह मामला अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा? यह सवाल अब भी बना हुआ है।

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