spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडतारा चन्द्र घिल्डियाल का अल्टीमेटम – 15 मार्च तक समाधान वरना 22...

तारा चन्द्र घिल्डियाल का अल्टीमेटम – 15 मार्च तक समाधान वरना 22 मार्च से महाआंदोलन

लेखपालों का सब्र टूटा, राजस्व परिषद के घेराव की तैयारी – सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन तय

देहरादून। उत्तराखंड में राजस्व विभाग की व्यवस्था चरमराने के कगार पर है। लगातार रिक्त पदों और पदोन्नति न होने से आक्रोशित लेखपालों ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। प्रदेशभर में हजारों लेखपाल अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। लेखपाल संघ ने साफ कर दिया है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर तत्काल ध्यान नहीं दिया तो 22 मार्च 2025 को प्रस्तावित प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में आंदोलन की रणनीति तय होगी और राजस्व परिषद का घेराव किया जाएगा।

राजस्व निरीक्षक के 46 स्वीकृत पदों में से 20 पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। इससे न केवल सरकारी कार्य प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि आमजन भी परेशान हैं। विरासत के आदेश लंबित हैं, धारा 41 के अंतर्गत भूमि पैमाइश के मामले रुके पड़े हैं, और अकृषक प्रख्यापन जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं बाधित हो रही हैं। सरकारी कार्यों में हो रही इस देरी से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

राजस्व निरीक्षक पदों पर पदोन्नति की मांग को लेकर उत्तराखंड लेखपाल संघ लंबे समय से प्रयासरत है। संघ के प्रदेश महामंत्री तारा चन्द्र घिल्डियाल ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि 15 मार्च 2025 तक रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति नहीं की जाती, तो प्रदेशभर के लेखपाल आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। इसके लिए 22 मार्च को तहसील काशीपुर में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है, जिसमें बड़े आंदोलन की रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा। घिल्डियाल ने कहा कि हमने लगातार शासन से गुहार लगाई, लेकिन हमारी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। यदि जल्द ही हमारी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो लेखपाल संघ देहरादून स्थित राजस्व परिषद का घेराव करेगा। इसका पूरा दायित्व शासन और राजस्व परिषद पर होगा।

घिल्डियाल ने कहा कि लेखपाल पहले ही विपरीत परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन सरकार की बेरुखी से उनमें भारी असंतोष है। एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया और स्मार्ट प्रशासन की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर स्थिति बदहाल है। राजस्व निरीक्षकों के रिक्त पदों को लेकर न सरकार गंभीर है, न प्रशासन। अब लेखपाल संघ आर-पार की लड़ाई के मूड में है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में लेखपालों की बैठकें हो रही हैं और आंदोलन को लेकर जोश देखा जा रहा है। संघ का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द से जल्द नियमित पदोन्नति नहीं दी, तो आंदोलन इतना व्यापक होगा कि शासन को झुकना ही पड़ेगा।

प्रदेश महामंत्री तारा चन्द्र घिल्डियाल ने इस दौरान ‘सहर प्रजातंत्र’ से बात करते हुये कहा कि उत्तराखंड में राजस्व विभाग की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है। सरकार की अनदेखी के कारण लेखपाल लगातार भारी दबाव में काम कर रहे हैं। राजस्व निरीक्षक के 46 स्वीकृत पदों में से 20 पद लंबे समय से खाली पड़े हैंए जिससे सरकारी कार्यों में गंभीर बाधा आ रही है। विरासत के आदेश लंबित हैंए भूमि पैमाइश और अन्य महत्वपूर्ण कार्य अटके हुए हैं। इससे न केवल सरकारी तंत्र प्रभावित हो रहा हैए बल्कि आम जनता को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

घिल्डियाल ने कहा कि हमने बार-बार शासन से आग्रह किया कि रिक्त पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति होए लेकिन सरकार ने हमारी मांगों को अनदेखा किया है। अब उत्तराखंड लेखपाल संघ चुप बैठने वाला नहीं है। यदि 15 मार्च 2025 तक हमारी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुईए तो हम 22 मार्च को प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में बड़े आंदोलन का ऐलान करेंगे। हम देहरादून स्थित राजस्व परिषद का घेराव करेंगे और सरकार को जवाब देना होगा। उन्होने कहा कि लेखपाल सीमित संसाधनों और विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी ड्यूटी निभा रहे हैंए लेकिन सरकार की बेरुखी से उनमें आक्रोश बढ़ता जा रहा है। हम अब आर.पार की लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यदि सरकार ने जल्द फैसला नहीं लियाए तो इसका खामियाजा प्रशासन को भुगतना पड़ेगा। घिल्डियाल ने कहा कि लेखपालों के कार्य बहिष्कार से प्रदेश का राजस्व तंत्र ठप हो जाएगाए और इसके लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार होगी।

उत्तराखंड सरकार के लिए यह चेतावनी गंभीर है। यदि लेखपालों ने कार्य बहिष्कार किया, तो राजस्व से जुड़े सभी कार्य ठप हो जाएंगे। यह न सिर्फ आम जनता के लिए मुसीबत खड़ी करेगा, बल्कि सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठेंगे। अब सरकार के पास ज्यादा समय नहीं बचा है। यदि 15 मार्च तक समाधान नहीं हुआ, तो 22 मार्च को बड़ा फैसला लिया जाएगा और फिर उत्तराखंड के प्रशासनिक तंत्र में उथल-पुथल मचनी तय है।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!