रामनगर। वन प्रभाग में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जहां हरे-भरे जंगलों की अवैध कटाई और लकड़ी तस्करी का संगठित रैकेट वर्षों से फल-फूल रहा था। इस पूरे गोरखधंधे में वन विभाग के ही कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है, जो ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर जंगल की कीमती लकड़ी को चोरी-छिपे बाजार में बेचने का खेल खेल रहे थे। करोड़ों की साल और सागौन की लकड़ी तस्करी कर इसे मोटे मुनाफे में बदला जा रहा था, और इस पूरे खेल में टेढ़ा चौकी व बैराज वन चौकी के भ्रष्ट कर्मचारियों की मिलीभगत साफ झलकती है।
इस काले कारोबार का भंडाफोड़ तब हुआ जब एक संदिग्ध ट्रक भंडारपानी से रवाना हुआ और वन निगम जाने के बजाय भवानीगंज के रास्ते पुरानी कोसी रोड स्थित गुप्ता की आरा मशीन में जा घुसा। इससे साफ हो गया कि लकड़ी की यह खेप वन निगम के जरिए वैध रूप से नहीं बल्कि अवैध रूप से सीधे बाजार में खपाने की साजिश थी। जब इस संदिग्ध ट्रक की सूचना डीएफओ दिगनाथ नायक को मिली, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया। लेकिन असली खेल तब खुला जब टेढ़ा चौकी पर ट्रक की निकासी का रिकॉर्ड खंगाला गया। वहां मौजूद कर्मचारी इस सवाल पर हक्का-बक्का रह गया, क्योंकि इस ट्रक की कोई एंट्री वहां दर्ज ही नहीं थी! मामले की गंभीरता को भांपते हुए कर्मचारी ने तुरंत किसी “साहब” को व्हाट्सएप कॉल कर दिया और सूचना दी – “वाहिद वाले ट्रक की निकासी को लेकर दो लोग पूछताछ कर रहे हैं!” इस बातचीत से साफ था कि यह पूरा खेल एक मजबूत नेटवर्क के तहत संचालित किया जा रहा था, जिसमें वन विभाग के कई बड़े अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
टेढ़ा चौकी और बैराज वन चौकी में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों की इस तस्करी में संलिप्तता इस बात से भी जाहिर होती है कि अवैध लकड़ी परिवहन के दौरान न तो कोई पूछताछ होती थी और न ही किसी दस्तावेज की जरूरत पड़ती थी। बस एक इशारा भर मिलता और ट्रक बेधड़क आगे बढ़ जाता। यही नहीं, हर ट्रक के गुजरने के लिए मोटी रकम वसूली जाती, जिससे न केवल अवैध कारोबारियों की जेबें भरती थीं, बल्कि कुछ वन अधिकारी भी इस काली कमाई में अपनी हिस्सेदारी पाते थे।
अब जब इस घोटाले का पर्दाफाश हो चुका है, तो जिम्मेदार अधिकारियों की कुर्सी हिलना तय है। डीएफओ दिगनाथ नायक के निर्देश पर संदिग्ध ट्रक को जब्त कर लिया गया है और इस अवैध धंधे में लिप्त कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इस बड़े घोटाले में और कौन-कौन बेनकाब होंगे और इस जंगल की तस्करी के खेल में शामिल बड़े मगरमच्छों पर कब तक शिकंजा कसा जाएगा!
डीएफओ दिगनाथ नायक ने कहा कि रामनगर वन प्रभाग में अवैध लकड़ी तस्करी की सूचना मिलते ही हमने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। हमारी टीम ने संदिग्ध ट्रक को जब्त कर लिया और प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इस पूरे नेटवर्क में कुछ वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। यह बेहद गंभीर मामला है, क्योंकि जंगलों की सुरक्षा हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पद पर हो, यदि अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। टेढ़ा चौकी और बैराज वन चौकी पर तैनात कर्मचारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है, और जल्द ही इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि वन संपदा की लूट को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी और इस पूरे रैकेट की जड़ तक पहुंचकर इसे खत्म किया जाएगा। हम जंगलों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी तरह की तस्करी पर कड़ा अंकुश लगाया जाएगा।