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मनमानी कीमतों पर सख्ती, एक्सपोर्ट ड्यूटी में राहत, राजस्व बढ़ाने पर फोकस, जानिए नई शराब नीति की अहम बातें

"मदिरा उद्योग में बड़े बदलाव, निवेश को बढ़ावा और राजस्व में उछाल लाने के लिए सरकार का मास्टरस्ट्रोक

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने अपनी कैबिनेट बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत नई शराब नीति 2025-26 को मंजूरी दे दी है। लंबे समय से इस नीति पर मंथन किया जा रहा था और विभिन्न स्तरों पर मंथन और विचार-विमर्श के बाद आखिरकार धामी सरकार ने इसे स्वीकृति प्रदान कर दी। इस नीति में कई क्रांतिकारी बदलाव किए गए हैं जो न केवल स्थानीय निवासियों को फायदा पहुंचाएंगे, बल्कि राज्य में शराब उद्योग को भी एक नई दिशा देंगे। खास बात यह है कि इस नीति के तहत स्थानीय लोगों को खास प्राथमिकता दी गई है, जिससे वे थोक शराब अनुज्ञापन के लाभार्थी बन सकें।

इस नई नीति के अनुसार, उत्तराखंड में उत्पादित फलों से बनने वाली वाइन की इकाइयों को विशेष छूट दी गई है। ऐसे उद्यमों को आगामी 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क से मुक्त रखने का प्रावधान किया गया है, ताकि स्थानीय स्तर पर वाइन उद्योग को बढ़ावा मिले और यह प्रदेश के आर्थिक विकास में योगदान दे सके। यही नहीं, निर्यात शुल्क में कटौती के भी इंतजाम किए गए हैं, जिससे शराब उद्योग में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और इससे उत्तराखंड में मदिरा कारोबार का विस्तार संभव हो सकेगा।

इसके अलावा, नई आबकारी नीति के तहत मॉल्ट और स्पिरिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में स्थापित करने के लिए विशेष सहूलियतें दी जाएंगी। इन पहाड़ी इलाकों में नए उद्योगों की स्थापना से न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। एक और अहम फैसला यह लिया गया है कि शराब की दुकानों का नवीनीकरण दो वर्षों तक किया जा सकेगा, लेकिन इसका लाभ केवल उत्तराखंड के स्थायी निवासियों को ही मिलेगा।

इस नीति में सबसे खास बात यह है कि मदिरा के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जिम्मेदार मदिरा सेवन को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। राज्य सरकार ने इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर शामिल किया है ताकि नशे की लत से प्रदेश की जनता को बचाया जा सके। इसके तहत विभिन्न प्रचार माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे और मदिरा सेवन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से आम जनता को अवगत कराया जाएगा।

उत्तराखंड सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आबकारी राजस्व लक्ष्य 5060 करोड़ रुपये तय किया है। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह लक्ष्य 4439 करोड़ रुपये रखा गया था, जिसमें से अब तक 4000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए निर्धारित 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4038 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। इससे साफ जाहिर होता है कि शराब से मिलने वाला राजस्व लगातार बढ़ रहा है और सरकार इसे और अधिक सुदृढ़ करने के लिए नई नीति लेकर आई है।

सरकार ने इस बार डिपार्टमेंटल स्टोर्स में मदिरा की बिक्री पर अधिकतम खुदरा मूल्य को अनिवार्य कर दिया है। यानी अब इन स्टोर्स पर मदिरा उत्पादों को तय दरों पर बेचना अनिवार्य होगा। इससे ओवररेटिंग की समस्या पर लगाम लगेगी और उपभोक्ताओं को तय कीमत पर ही शराब उपलब्ध कराई जाएगी। यही नहीं, यदि किसी दुकान पर ओवररेटिंग की शिकायत मिलती है, तो उस दुकान का लाइसेंस निरस्त करने का भी प्रावधान रखा गया है। यह कदम पूरी तरह से उपभोक्ताओं के हित में लिया गया है, ताकि उन्हें अनावश्यक रूप से अधिक कीमत चुकाने के लिए मजबूर न किया जा सके।

एक और बड़े फैसले के तहत सरकार ने मेट्रो शराब बिक्री पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। यानी अब उत्तराखंड में मेट्रो शराब की बिक्री नहीं हो सकेगी। साथ ही, नई नीति में उप दुकान की व्यवस्था को भी पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है, जिससे शराब की बिक्री को लेकर ज्यादा पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। यही नहीं, उन क्षेत्रों को जहां पर शराब की बिक्री निषिद्ध है, पूरी तरह से शराब मुक्त रखने का भी सख्त प्रावधान किया गया है।

इस बार की नीति में सरकार ने 14ः का अतिरिक्त राजस्व लक्ष्य बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति को और अधिक मजबूती दी जा सके। यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कई सख्त कदम उठाए गए हैं, जिनमें लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाना और शराब बिक्री से जुड़े सभी नियमों को और अधिक कड़ा करना शामिल है।

सरकार के इस फैसले से जहां एक ओर उत्तराखंड में शराब उद्योग को नई दिशा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर अवैध शराब बिक्री पर भी प्रभावी अंकुश लगेगा। इस नीति को लागू करने से प्रदेश के शराब कारोबार को और अधिक संगठित किया जा सकेगा और इससे सरकार को आर्थिक रूप से भी मजबूती मिलेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि नई नीति का राज्य पर क्या प्रभाव पड़ता है और शराब कारोबारियों व उपभोक्ताओं के लिए यह कितनी फायदेमंद साबित होती है।

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