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Homeभारतयमुना को बचाने की जंग तेज, नई तकनीक से होगा जल शुद्धिकरण

यमुना को बचाने की जंग तेज, नई तकनीक से होगा जल शुद्धिकरण

टेडाक्स तकनीक से यमुना में नई जान, तीन साल में दिखेगा बड़ा बदलाव

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। दिल्ली में यमुना नदी की सफाई को लेकर सरकारी प्रयासों में अब एक नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। जल प्रदूषण की समस्या से जूझ रही यमुना को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए कई संस्थाएं मिलकर काम कर रही हैं। इसी कड़ी में, एनवायरनमेंटल रिसर्च एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी संस्था टेरी (द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट) ने दिल्ली सरकार को एक व्यापक योजना सौंपी है, जिसके तहत उन्नत तकनीकों की मदद से नदी की सफाई का अभियान चलाया जाएगा। टेरी की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. नूपुर बहादुर का कहना है कि संस्था पहले ही गंगा सफाई परियोजना में अहम भूमिका निभा चुकी है और अब यमुना को निर्मल बनाने की दिशा में भी ठोस रणनीति अपनाई जा रही है। उनके अनुसार, टेरी ने ‘टेरी एडवांस्ड ऑक्सिडेशन टेक्नोलॉजी’ (टेडाक्स) नामक एक विशेष तकनीक विकसित की है, जिसने जल शुद्धिकरण के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिणाम दिए हैं। इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग कानपुर के टेक्सटाइल क्लस्टर और गुरुग्राम में किया जा चुका है।

टेडाक्स तकनीक जल में घुले हानिकारक तत्वों को नष्ट करने में बेहद प्रभावी मानी जाती है। यह जल में मौजूद रंग, ऑर्गेनिक तत्व और अन्य दूषित पदार्थों को खत्म करने की क्षमता रखती है। यह न केवल किफायती है, बल्कि बड़े स्तर पर प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम भी है। इस तकनीक को जल शुद्धिकरण संयंत्रों में आसानी से स्थापित किया जा सकता है, जिससे यमुना में गिरने वाले प्रदूषित जल को पहले साफ किया जा सकेगा। यमुना नदी की सफाई को लेकर दिल्ली सरकार और टेरी के संयुक्त प्रयासों में एक बड़ी चुनौती औद्योगिक कचरे और अवैध सीवेज डिस्चार्ज की समस्या भी है। डॉ. नूपुर बहादुर का कहना है कि जैसे ही यमुना पल्ला बॉर्डर से दिल्ली में प्रवेश करती है, उसका जल अत्यधिक प्रदूषित हो जाता है। कई स्थानों पर नदी का ऑक्सीजन स्तर शून्य तक पहुंच जाता है, जिससे जलचर जीवों के लिए संकट उत्पन्न हो जाता है। ऐसे में, यमुना की सफाई को प्रभावी बनाने के लिए जरूरी है कि नदी में पर्याप्त प्राकृतिक प्रवाह को बरकरार रखा जाए।

दिल्ली में यमुना की सफाई के लिए केवल राजधानी में ही नहीं, बल्कि उन सभी राज्यों को भी मिलकर प्रयास करने होंगे जहां से यह नदी गुजरती है। डॉ. नूपुर बहादुर का मानना है कि इस कार्य को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी का गठन भी जरूरी है, जो यमुना सफाई परियोजना पर नजर रख सके और इसके विभिन्न पहलुओं की निगरानी कर सके। इसके अलावा, दिल्ली सरकार यमुना रिवरफ्रंट विकसित करने की योजना पर भी कार्य कर रही है। इस परियोजना से न केवल नदी के किनारे सौंदर्यीकरण किया जाएगा, बल्कि इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। डॉ. नूपुर बहादुर का कहना है कि यदि इस योजना को सही दिशा में आगे बढ़ाया गया तो यह साबरमती रिवरफ्रंट की तरह एक सफल मॉडल बन सकता है।

टेरी की ओर से यमुना की सफाई के लिए 10 बिंदुओं पर आधारित एक विस्तृत योजना तैयार की गई है, जिसे दिल्ली सरकार को प्रस्तुत किया गया है। इस योजना में जल की गुणवत्ता सुधारने, अमोनियम और फॉस्फेट नियंत्रण, आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना और औद्योगिक कचरे के उन्नत तकनीकों से शुद्धिकरण के बाद ही नदी में डिस्चार्ज की प्रक्रिया को अपनाने पर जोर दिया गया है। अगर इस योजना को सही तरीके से लागू किया जाए और प्रभावी नीतियों का अनुसरण किया जाए तो अगले तीन वर्षों में यमुना को स्वच्छ बनाने की दिशा में बड़े और सार्थक बदलाव देखे जा सकते हैं। टेरी अपने अनुभव और तकनीकी विशेषज्ञता के साथ इस परियोजना में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार और अन्य संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने का यह सपना कब तक साकार हो पाता है।

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