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2027 महाकुंभ की भव्य तैयारियों की मांग तेज, हरिद्वार में संतों और श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर

हरिद्वार में 2027 महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने की मांग, संतों ने सरकार से तैयारियां तेज करने को कहा

हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। जैसे ही प्रयागराज में महाकुंभ का समापन हुआ, धर्मनगरी हरिद्वार में 2027 में प्रस्तावित अर्धकुंभ की तैयारियों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। साधु-संतों और विभिन्न धार्मिक संगठनों ने सरकार से यह मांग उठाई है कि हरिद्वार में होने वाले अर्धकुंभ को भी कुंभ का दर्जा दिया जाए और इसे दिव्य व भव्य रूप से आयोजित किया जाए। इसको लेकर संत समाज और प्रशासन के बीच बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। युवा भारत साधु समाज ने भी अपनी तरफ से इस आयोजन को लेकर सक्रियता दिखाई है और हरिद्वार के सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ इस पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में महाकुंभ को लेकर कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई, जिसमें कुंभ के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व को बनाए रखने के साथ ही आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर भी विचार-विमर्श किया गया।

युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष शिवम महंत ने इस बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि हरिद्वार में प्रस्तावित कुंभ को लेकर संत समाज के बीच काफी उत्साह है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रयागराज में महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। साथ ही हरिद्वार में होने वाले कुंभ को लेकर भी सरकार से उचित व्यवस्थाएं करने की मांग की गई। चर्चा का मुख्य बिंदु यह था कि किस प्रकार गंगा की स्वच्छता और निर्मलता को और अधिक बनाए रखा जाए ताकि श्रद्धालु यहां आकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर सकें। इसके अलावा, कुंभ में शामिल होने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की सुविधा, आवास, यातायात और सुरक्षा को लेकर भी ठोस योजनाओं पर विचार किया गया।

शिवम महंत ने बताया कि पिछली बार जब हरिद्वार में कुंभ आयोजित हुआ था, तब कोरोना महामारी के कारण आयोजन की भव्यता पर असर पड़ा था। इस बार 2027 के कुंभ को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है, और हर कोई चाहता है कि यह आयोजन ऐतिहासिक रूप में संपन्न हो। उनका कहना है कि प्रयागराज की तरह हरिद्वार कुंभ को भी उसी स्तर पर आयोजित किया जाना चाहिए ताकि दुनियाभर से आने वाले श्रद्धालुओं को एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हो। इस कुंभ में न केवल साधु-संत बल्कि देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाना चाहेंगे, ऐसे में हरिद्वार में बुनियादी ढांचे को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।

हरिद्वार कुंभ को लेकर संतों और प्रशासन का मुख्य फोकस धार्मिक भावना को बनाए रखते हुए शहर के विकास और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने पर भी है। इस आयोजन के दौरान यह सुनिश्चित करना होगा कि मां गंगा की स्वच्छता बनी रहे और यहां आने वाले श्रद्धालु भी स्वच्छता के प्रति जागरूक रहें। संत समाज चाहता है कि सरकार इस आयोजन को लेकर अभी से योजनाएं बनाए ताकि यह कुंभ पूर्व की तुलना में और अधिक दिव्य एवं भव्य बन सके। संतों का कहना है कि कुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, जिसे संजोकर रखना हमारी जिम्मेदारी है।

युवा भारत साधु समाज के साथ बैठक में हरिद्वार के कई वरिष्ठ संत और समाजसेवी भी उपस्थित रहे। इस दौरान उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हरिद्वार में कुंभ के आयोजन को लेकर जो भी योजनाएं बनाई जाएं, उनमें पर्यावरण संरक्षण को विशेष रूप से प्राथमिकता दी जाए। गंगा नदी में औद्योगिक कचरे और प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत पर भी बल दिया गया।

हरिद्वार के साधु-संत और श्रद्धालु 2027 में होने वाले कुंभ को लेकर गहरी उत्सुकता से भरे हुए हैं। वे चाहते हैं कि यह आयोजन प्रयागराज कुंभ की तर्ज पर वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया जाए, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु इस धार्मिक महोत्सव में भाग ले सकें। उनकी मांग है कि इस कुंभ को दिव्य और भव्य रूप दिया जाए, ताकि हरिद्वार की आध्यात्मिक महिमा पूरी दुनिया तक पहुंचे। इस बार कुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक बनाने की पूरी तैयारी की जा रही है। गंगा की निर्मलता और स्वच्छता को लेकर भी विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं, ताकि यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन सके। हरिद्वार की पवित्र भूमि से पूरी दुनिया को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे यह महाकुंभ नई ऊंचाइयों को छू सके।

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