रामनगर(एस पी न्यूज़)। खनन कारोबारियों और स्टोन क्रशर मालिकों के बीच विवाद एक नए स्तर पर पहुंच गया है। कोसी नदी से खनन कार्य करने वाले कारोबारियों ने स्टोन क्रशर स्वामियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए बड़े कदम उठाए हैं। उनकी नाराजगी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने कोसी नदी के प्रमुख खनन निकासी गेट कालू सिद्ध और खड़ंजा गेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। इससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। खनन कार्य प्रभावित होने से सरकार को राजस्व का नुकसान होने की आशंका भी जताई जा रही है।
गुरुवार को रामनगर में खनन कारोबारियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। वे स्टोन क्रशर मालिकों की कथित मनमानी के खिलाफ एकजुट हुए और विरोध स्वरूप निकासी गेट को बंद कर दिया। खनन कारोबारियों का कहना है कि पहले तय किए गए रेट पर भुगतान नहीं किया गया और अब स्टोन क्रशर मालिक नए रेट थोपने की कोशिश कर रहे हैं। इससे उनके व्यवसाय पर गहरा असर पड़ रहा है और उनका आर्थिक संतुलन बिगड़ रहा है।
खनन कारोबारी अनवर मलिक ने इस मुद्दे को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया था, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। जब कोई रास्ता नहीं बचा तो उन्हें मजबूर होकर निकासी गेट बंद करने का कदम उठाना पड़ा। उनका साफ कहना है कि जब तक स्टोन क्रशर मालिक पुराने रेट पर भुगतान करने को तैयार नहीं होते, तब तक यह गेट नहीं खोले जाएंगे।
खनन कारोबारियों का कहना है कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अपने विरोध को और तेज करेंगे। उनका कहना है कि अगर जल्दी कोई समाधान नहीं निकला तो वे प्रशासन के खिलाफ भी प्रदर्शन करेंगे और कानूनी कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। सरकार को इस बंदी के कारण लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है, जिससे हालात और अधिक गंभीर हो सकते हैं।
तराई पश्चिमी के डीएफओ प्रकाश आर्या ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे वन विकास निगम और खनन कारोबारियों के बीच का विवाद बताया। उन्होंने कहा कि निकासी गेट का संचालन निगम के अधीन आता है और इसका फैसला भी निगम को ही करना होगा। इस मामले में जब वन विकास निगम के रीजनल मैनेजर हरीश पाल से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
यह पहली बार नहीं है जब रामनगर में खनन गतिविधियों को लेकर विवाद हुआ है। कुछ ही दिनों पहले कोसी नदी के खड़ंजा, कालू सिद्ध, बंजारी समेत छह प्रमुख गेटों पर लगे तौल कांटों में खराबी आने से खनन निकासी बाधित हुई थी। उस समय भी खनन कारोबारियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी थी। अब एक बार फिर से यह मामला तूल पकड़ रहा है और अगर जल्द समाधान नहीं निकाला गया तो खनन उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है।