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उत्तराखंड सरकार की किसान नीति पर बरसे डॉ. गणेश उपाध्याय – ‘किसानों को उलझाकर, परेशान करना ही असली रणनीति

किसानों को उलझाने की राजनीति कब तक? धामी सरकार की नीति पर कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय का बड़ा हमला

किच्छा/शन्तिनगर। उत्तराखंड के कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने प्रदेश की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में धान, गेहूं और गन्ने के मूल्य निर्धारण को लेकर सरकार की नीति पूरी तरह से किसान विरोधी है। सरकार पहले किसानों की फसलों के समर्थन मूल्य को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा करती है, फिर उन पर दबाव बनाकर बोनस देने का दिखावा करती है। यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया जाता है ताकि किसान असली मुद्दों से भटक जाएं और बार-बार सरकार के सामने गिड़गिड़ाने को मजबूर हों।

डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि सरकार किसानों को धान, गेहूं और गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य (डैच्) पर ठोस निर्णय लेने की बजाय उन्हें लंबे समय तक असमंजस में रखती है। जब किसान अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन के लिए मजबूर हो जाते हैं, तब सरकार राहत देने के नाम पर उनके कुछ मुद्दों को हल कर देती है, जिससे ऐसा लगे कि सरकार किसान हितैषी है। लेकिन हकीकत यह है कि सरकार जानबूझकर ऐसा करती है ताकि किसान कभी अपने असली हक की मांग न कर सकें। यह भाजपा सरकार की पुरानी रणनीति बन चुकी है कि पहले किसानों को परेशान करो, फिर जब वे आंदोलन करें तो उन्हीं की समस्या का हल देकर वाहवाही लूटो।

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि सरकार फसल मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता नहीं रखती और किसानों को अपनी समस्याएँ खुलकर कहने का मौका तक नहीं देती। उन्होंने कहा कि किसान हित में कई ऐसे कार्य हैं, जो सरकार को करने चाहिए, लेकिन उन्हें जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार चाहती है कि किसान अपनी असली मांगों से भटक जाएं और परेशान होकर चुप बैठ जाएं। यही कारण है कि कभी गन्ना किसानों का भुगतान लटका दिया जाता है, तो कभी धान और गेहूं की खरीद को लेकर नियम इतने जटिल बना दिए जाते हैं कि किसान सरकारी मंडियों तक पहुँच ही न पाए। यह किसानों के खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र है।

डॉ. गणेश उपाध्याय ने आगे कहा कि सरकार के इस रवैये के कारण किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के बजाय उन्हें और अधिक कर्जदार बना दिया है। महंगाई के इस दौर में जब किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता, तब वे कर्ज में डूबने लगते हैं। लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार सिर्फ बड़े उद्योगपतियों और कॉर्पाेरेट घरानों को लाभ पहुँचाने में लगी हुई है, जबकि किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि वे जल्द ही उत्तराखंड हाईकोर्ट, नैनीताल में किसानों के समर्थन में जनहित याचिका (च्प्स्) दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, ष्मैं जल्द ही हाईकोर्ट में सरकार की किसान विरोधी नीति के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल करने वाला था, लेकिन सरकार की रणनीति अब सबके सामने आ गई है। मेरा पैसा भी बच गया और सच्चाई जनता के सामने भी आ गई।ष्

डॉ. गणेश उपाध्याय ने साफ किया कि कांग्रेस पार्टी किसानों के हक की लड़ाई लड़ती रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर जोरदार विरोध प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों का जवाब जनता 2027 के विधानसभा चुनाव में देगी। किसानों के साथ किया गया अन्याय अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह किया कि वे किसानों के समर्थन मूल्य, बोनस, कर्जमाफी और अन्य कृषि नीतियों पर तुरंत ठोस निर्णय लें, ताकि किसानों का भविष्य सुरक्षित हो सके। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा सरकार वास्तव में किसानों की हितैषी है, तो उसे केवल घोषणाएँ करने के बजाय धरातल पर काम करके दिखाना होगा। किसानों को सिर्फ चुनावी वादों से बहलाने का काम अब नहीं चलेगा।

डॉ. गणेश उपाध्याय ने अंत में कहा कि उत्तराखंड के किसान मेहनती और स्वाभिमानी हैं। वे सिर्फ अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन भाजपा सरकार उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और अगर जरूरत पड़ी, तो कांग्रेस बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का एक ही उद्देश्य है दृ किसानों को उनका हक दिलाना और उत्तराखंड में किसान हितैषी नीतियाँ लागू करवाना। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के किसानों को अब आगे आकर अपने हक की लड़ाई खुद लड़नी होगी और भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।

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