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ढिकाला: बाघों की नर्सरी में रोमांचक सफारी, जहां हर कदम पर धड़कनें तेज़ हो जाएं

कॉर्बेट के ढिकाला जोन में जंगल की गहराइयों में बाघों से रुबरू होने का अद्भुत मौका

रामनगर(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का ढिकाला पर्यटन जोन वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक रोमांचक और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। यह क्षेत्र बाघों की घनी आबादी के कारण वैश्विक पहचान रखता है और यहां प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक जंगल सफारी का आनंद लेने पहुंचते हैं। ढिकाला पर्यटन जोन अपने अद्वितीय प्राकृतिक परिदृश्य, विशाल घास के मैदान और रामगंगा नदी के कारण विशेष रूप से लोकप्रिय है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉ. साकेत बडोला का कहना है कि ढिकाला जोन न केवल बाघों बल्कि अन्य वन्यजीवों के लिए भी आदर्श आवास प्रदान करता है। यहां लगभग 260 बाघ, 1200 से अधिक हाथी, लेपर्ड, भालू, हिरण और 600 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो इसे एक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र बनाती हैं।

विदेशी पर्यटकों के बीच भी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का आकर्षण लगातार बढ़ता जा रहा है। नॉर्वे से आई पर्यटक मरियम ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह उनकी भारत की दूसरी यात्रा है, लेकिन पहली बार वह कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंची हैं और यहां की प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों की नज़दीकी झलक ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया। नॉर्वे की ही पर्यटक ईनस ने बताया कि कॉर्बेट में बाघों को इतने पास से देखना उनके जीवन का सबसे अविस्मरणीय अनुभव रहा। वन्यजीव प्रेमी और वरिष्ठ नेचर गाइड संजय छिम्वाल ने ढिकाला जोन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह क्षेत्र बाघों के प्राकृतिक वास के लिए सबसे उपयुक्त स्थानों में से एक है। इस जोन को बाघों की नर्सरी कहा जाता है क्योंकि यह क्षेत्र उन्हें पनपने और पूरे जंगल में फैलने का अवसर प्रदान करता है। इसकी सफलता के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं- रामगंगा नदी जो वन्यजीवों को पानी और भोजन प्रदान करती है, विशाल घास के मैदान जो शिकार और रहने के लिए अनुकूल वातावरण देते हैं और जलाशयों की भरमार जो बाघों समेत अन्य जीवों को आकर्षित करती है।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कुल आठ प्रमुख पर्यटन जोन मौजूद हैं जिनमें ढिकाला, दुर्गा देवी, गर्जिया, बिजरानी, ढेला, झिरना, पाखरो और सोना नदी जोन शामिल हैं। इसके अलावा, रामनगर वन प्रभाग और तराई पश्चिमी वन क्षेत्र में भी कई वाइल्डलाइफ जोन स्थित हैं। रामनगर वन प्रभाग में चार प्रमुख पर्यटन जोन- टेड़ा जोन, भण्डारपानी जोन, पवलगढ़ जोन और कालाढुंगी हेरिटेज जोन हैं, जो विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं। वहीं तराई पश्चिमी वन क्षेत्र में फाटो पर्यटन जोन और हाथीडंगर पर्यटन जोन शामिल हैं, जो बाघों और अन्य वन्यजीवों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ढिकाला जोन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह क्षेत्र वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल प्रदान करता है। यहां घूमने आने वाले पर्यटक विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का अवलोकन कर सकते हैं। इसके अलावा, यहां पक्षी प्रेमियों के लिए भी अनगिनत संभावनाएं हैं क्योंकि 600 से अधिक पक्षी प्रजातियां इस क्षेत्र में निवास करती हैं।

पर्यटन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रशासन ने यहां पर कई महत्वपूर्ण नियम लागू किए हैं ताकि जंगल की जैव विविधता संरक्षित रह सके। पर्यटकों को यहां सफारी के दौरान नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्लास्टिक उपयोग पर प्रतिबंध है और वन्यजीवों को किसी भी प्रकार की हानि पहुंचाने की अनुमति नहीं है। साथ ही, पर्यटकों के लिए गाइड की सहायता लेना अनिवार्य किया गया है ताकि वे सुरक्षित तरीके से जंगल सफारी का आनंद उठा सकें।

अगर आप किसी ऐसे स्थान की तलाश में हैं जहां जंगल की रहस्यमयी दुनिया के बीच बाघों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में निहार सकें, तो कॉर्बेट का ढिकाला पर्यटन जोन आपकी पहली पसंद होनी चाहिए। यहां के घने जंगल, बहती नदी और अनोखी जैव विविधता इसे एक अनूठा रोमांच प्रदान करती हैं, जिसे देखने के लिए हर साल न केवल देश बल्कि विदेशों से भी पर्यटक उमड़ पड़ते हैं। ढिकाला की खूबसूरती, वन्यजीवों का अद्भुत संसार और प्रकृति के अनुपम नजारों को देखने का सपना अगर आप भी संजोए हुए हैं, तो यह स्थान आपके लिए एक आदर्श गंतव्य साबित हो सकता है।

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