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महाभारत काल से जुड़ा गरल कंठेश्वर महादेव मंदिर: आस्था, इतिहास और प्रकृति का दिव्य संगम

जहां भीम ने किया था शिवलिंग स्थापित, वहीँ आज भी गूंजती है आस्था की गूंज

रामनगर(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड की पावन धरा न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि यहां का हर कोना इतिहास, पुरातत्व और आस्था की अनूठी गाथाएं कहता है। नैनीताल जिले के रामनगर स्थित ढिकुली गांव का गरल कंठेश्वर महादेव मंदिर इसका एक अद्भुत उदाहरण है। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्ता इसे और भी खास बनाती है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से है, और कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां भगवान शिव की आराधना की थी।

मंदिर का शिवलिंग स्वयं महाबली भीम द्वारा स्थापित किया गया माना जाता है, और यही कारण है कि यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पूजनीय है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन में स्थित इस स्थान पर कई ऐतिहासिक अवशेष और मूर्तियां देखी जा सकती हैं, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाती हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह क्षेत्र प्राचीन विराट नगर है, जहां राजा विराट का शासन था। यह वही स्थान है, जहां पांडवों ने अपने अज्ञातवास का अंतिम वर्ष बिताया था। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इस स्थल का उल्लेख अपने यात्रा वृत्तांत में किया था, जिससे इसकी ऐतिहासिकता और प्रमाणित होती है। मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान कई प्राचीन मूर्तियां, स्तंभ और अन्य अवशेष मिले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि यह स्थान एक समृद्ध सभ्यता का केंद्र रहा होगा।

गरल कंठेश्वर महादेव मंदिर केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी इसे विशेष बनाता है। घने जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु यहां की आध्यात्मिक शांति में लीन हो जाते हैं। यह क्षेत्र वन्यजीवों के लिए भी अनुकूल है, और यहां हाथी, बाघ, हिरण और अन्य जीवों का सहज दर्शन हो जाता है। वर्षों से यहां मंगलदास जी पूजा-अर्चना कर रहे हैं, और उनका कहना है कि महाशिवरात्रि और सावन मास के दौरान यहां हजारों भक्त जलाभिषेक करने आते हैं। यह मंदिर उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति का स्थान माना जाता है, और भक्त यहां आकर भगवान शिव से अपनी इच्छाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। संस्कृत विद्यालय के प्राचार्य डॉ. दिनेश चंद्र हरबोला का भी मानना है कि इस स्थान पर भगवान शिव का साक्षात वास है। मंदिर के समीप स्थित भीम द्वारा निर्मित चमत्कारी कुआं और अविरल जलधारा इसे अन्य धार्मिक स्थलों से अलग बनाते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार गणेश रावत बताते हैं कि रामनगर से मात्र 9 किलोमीटर दूर स्थित वैराटपट्टन भी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। लेकिन उचित संरक्षण के अभाव में कई महत्वपूर्ण धरोहरें नष्ट होने के कगार पर हैं। इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता को संरक्षित करने के लिए स्थानीय प्रशासन को और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। यह केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

गरल कंठेश्वर महादेव मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थान नहीं, बल्कि भारत के प्राचीन गौरव और सभ्यता का जीवंत प्रमाण भी है। इस मंदिर की महिमा और इसके ऐतिहासिक महत्व को समझने के लिए यहां आकर ही अनुभव किया जा सकता है। यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल भगवान शिव के आशीर्वाद से अभिभूत हो जाते हैं, बल्कि इस स्थान की दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से भी मंत्रमुग्ध हो उठते हैं। महाभारत काल से जुड़े इस मंदिर में हर भक्त को एक अलग तरह की आध्यात्मिक अनुभूति होती है, और यही कारण है कि यह स्थान वर्षों से आस्था, श्रद्धा और इतिहास का प्रतीक बना हुआ है।

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