spot_img
दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए. - महात्मा गांधी
Homeउत्तराखंडउत्तराखंड की राजनीति में गरमाया माहौल, गणेश उपाध्याय का डबल इंजन सरकार...

उत्तराखंड की राजनीति में गरमाया माहौल, गणेश उपाध्याय का डबल इंजन सरकार पर करारा हमला

विधानसभा में बढ़ता विवाद, गणेश उपाध्याय ने सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाए कड़े सवाल

शन्तिनगर(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गणेश उपाध्याय ने एक बेहद तीखी टिप्पणी करते हुए डबल इंजन सरकार के नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की विधानसभा में जो घटनाएँ घट रही हैं, वह प्रदेश की जनता के लिए केवल एक झलक हैं, जिनकी राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। उनके अनुसार, उत्तराखंड की आम जनता को जो कुछ सहना पड़ रहा है, वो बेहद चिंताजनक है और इसका असर राज्य की जनता की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर पड़ रहा है। उनका आरोप है कि राज्य के विकास और जनता के हितों को दरकिनार करके केवल राजनीतिक स्वार्थ साधे जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन नेताओं को राज्य की जनता ने वोट दिया है, वे केवल अपनी निजी लाभ के लिए काम कर रहे हैं और आम जनता की मुश्किलों को नजरअंदाज कर रहे हैं।

गणेश उपाध्याय ने उत्तराखंड की पहचान और इतिहास की ओर भी इशारा किया और कहा कि इस राज्य को केवल राजनीतिक नफ़े-नुकसान के लिए नहीं, बल्कि एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाया गया था। उत्तराखंड राज्य का गठन उस समय हुआ था जब यहां के लोग अपने अधिकारों के लिए आंदोलन कर रहे थे, और यह राज्य संघर्ष के प्रतीक के रूप में खड़ा हुआ। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या राज्य का यह संघर्ष केवल एक राजनैतिक अस्तित्व की ओर बढ़ रहा है या फिर उसका वास्तविक उद्देश्य, यानी जनता का भला, पूरी तरह से हाशिए पर चला गया है। उपाध्याय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस बयान पर भी सवाल उठाया जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश 25 साल पूरे होने पर अब्बल प्रदेश बनने जा रहा है। गणेश उपाध्याय के अनुसार, अगर यही हालात रहे तो उत्तराखंड कभी ष्अब्बल प्रदेशष् नहीं बन सकता। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश के विकास के लिए सही नेतृत्व नहीं मिल रहा है, और जो लोग सत्ता में हैं, वे केवल अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए काम कर रहे हैं।

गणेश उपाध्याय ने विधानसभा अध्यक्ष के व्यवहार पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा के अंदर जो घटनाएँ हो रही हैं, वे न केवल राजनीति की गरिमा को गिराती हैं, बल्कि लोकतंत्र की मूल भावना को भी ठेस पहुंचाती हैं। उपाध्याय ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने जिस तरह से टिप्पणी की और जिस अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया, वह पूरी तरह से निंदनीय है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है, बल्कि पहले भी ऐसे घटनाएँ घट चुकी हैं जब सदन के भीतर नेताओं के प्रति सम्मान और व्यवहार में कमी आई है। उपाध्याय ने यह भी कहा कि अगर संसदीय कार्य मंत्री को सही समय पर स्थिति को संभाल लिया होता, तो आज यह स्थिति पैदा नहीं होती। उनके अनुसार, विधानसभा का एक सदस्य होने के नाते, बुटोला जी का यह कहना कि उन्होंने अपना स्वाभिमान बनाए रखते हुए सदन छोड़ दिया, यह एक साहसी कदम था और इसने उन नेताओं को आईना दिखाया है जो केवल अपनी राजनीति की चमक के लिए काम करते हैं। उपाध्याय ने यह भी कहा कि सही और गलत को पहचानना और उसे खुले तौर पर बोलना ज़रूरी है, ताकि लोकतंत्र का अस्तित्व बना रहे।

इसके बाद, गणेश उपाध्याय ने देवभूमि उत्तराखंड की अहम भूमिका को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड केवल एक राज्य नहीं, बल्कि एक प्रतीक है, जहां भगवान, गुरूनानक जी और मुहम्मद साहब के अलावा अनेक महान हस्तियों का आशीर्वाद है। उपाध्याय ने यह भी कहा कि राज्य की जनता हमेशा अपने हितों के लिए लड़ती रही है और इसे खड़ा करने में जो संघर्ष किया गया, वह कभी भी बेमानी नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जो लोग राज्य के संसाधनों और ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें किसी दिन इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। गणेश उपाध्याय ने कहा कि राज्य की लड़ाई को हम एक दिन देखेंगे और इस राज्य के लिए काम करने वाले नेताओं को एक दिन अपने कर्मों का हिसाब देना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि कोई भी नेता यह न समझे कि उसकी दौलत और ताकत हमेशा उसे बचा लेगी, क्योंकि ऊपर वाला हर किसी को एक दिन सजा देता है। उन्होंने यह भी कहा कि ष्पैसा और शौहरत आते-जाते रहते हैं, लेकिन जब ऊपर वाला दंड देता है, तो किसी के पास भी बचने का रास्ता नहीं होता।ष्

गणेश उपाध्याय ने अपने बयान में राज्य के लिए सच्चे और ईमानदार नेतृत्व की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना था कि उत्तराखंड राज्य को मजबूत और समृद्ध बनाने के लिए नेताओं को अपनी निजी स्वार्थ की राजनीति से बाहर निकलकर जनता के हित में काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो यह राज्य कभी भी अपने वास्तविक उद्देश्य को नहीं पा सकेगा और इसके लिए उत्तराखंड के आम लोग ही जिम्मेदार होंगे। उनका यह संदेश था कि यदि सच्चे नेताओं को नहीं पहचाना गया तो राज्य का भविष्य संकट में हो सकता है।

संबंधित ख़बरें
गणतंत्र दिवस की शुभकामना
75वां गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

लेटेस्ट

ख़ास ख़बरें

error: Content is protected !!