काशीपुर। देश और प्रदेश की उन्नति के साथ-साथ काशीपुर की समृद्धि की मंगलकामना करते हुए महापौर दीपक बाली ने सपरिवार प्रयागराज पहुंचकर पावन कुंभ स्नान किया। इस आध्यात्मिक यात्रा में उनकी धर्मपत्नी उर्वशी दत्त बाली और पुत्री मुद्रा बाली भी उनके साथ थीं। संगम की पवित्र धारा में डुबकी लगाकर उन्होंने समस्त समाज के कल्याण और विकास की प्रार्थना की। इस धार्मिक अनुष्ठान में उन्होंने विधिवत पूजा-अर्चना कर संतों का आशीर्वाद लिया और इस अद्भुत आयोजन के महत्व को हृदय से अनुभूत किया।
महापौर दीपक बाली ने प्रयागराज कुंभ मेले में अद्भुत धार्मिक आस्था और सामाजिक समरसता का अनुभव किया। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेश सरकार द्वारा कुंभ मेले में की गई व्यवस्थाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस भव्य आयोजन की सफलता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रयागराज का कुंभ महज एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो विश्वभर के श्रद्धालुओं को एकजुट करती है। इस आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारत की सनातन परंपराएँ आज भी उतनी ही जीवंत और प्रासंगिक हैं।

महापौर दीपक बाली ने बताया कि प्रयागराज में कुंभ स्नान का अवसर मिलना मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य की बात है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। उन्होने कहा कि संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर मैंने देश, प्रदेश और अपने काशीपुर नगर की समृद्धि एवं उन्नति के लिए प्रार्थना की। मेरी धर्मपत्नी उर्वशी दत्त बाली और पुत्री मुद्रा बाली भी इस पुण्य अवसर पर मेरे साथ थीं, और हमने सपरिवार संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया। महापौर दीपक बाली ने कहा कि कुंभ मेले की दिव्यता और इसकी सांस्कृतिक भव्यता को देखकर हृदय गदगद हो गया। यह आयोजन हमारी सनातन परंपराओं की जीवंतता का प्रतीक है, जो पूरे विश्व को आध्यात्मिकता और मानवता का संदेश देता है। उन्होने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा की गई व्यवस्थाएँ वास्तव में सराहनीय हैं। कुंभ जैसे विराट आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराना एक ऐतिहासिक कार्य है। महापौर दीपक बाली ने बताया कि स्वच्छता, सुरक्षा और भक्तों की सुविधाओं को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार का कुंभ अपने आप में एक मिसाल बना है। मैं काशीपुर और समस्त देशवासियों से आग्रह करता हूँ कि वे अपनी संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिक मूल्यों को सहेजें, क्योंकि यही हमारी पहचान और शक्ति है।
महापौर दीपक बाली ने कहा कि यह स्नान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और सामाजिक उत्थान का भी प्रतीक था। महापौर ने अपनी इस यात्रा को व्यक्तिगत आस्था से कहीं अधिक सार्वजनिक समर्पण और सेवा की भावना से प्रेरित बताया। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया कि हमारी संस्कृति और परंपराएँ केवल हमारे धार्मिक विश्वास का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि यह हमारी सामाजिक एकता और भाईचारे का भी परिचायक हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे आध्यात्मिकता के इस मार्ग पर आगे बढ़ते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें और समाज में सद्भाव बनाए रखें।