देहरादून(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड विधानसभा में चल रहे बजट सत्र में कांग्रेस विधायक और उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी का अनोखा विरोध लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। हर दिन नए अंदाज में सरकार को घेरने के लिए चर्चित हो रहे कापड़ी ने आज मोटे-मोटे कंबल ओढ़कर विधानसभा पहुंचकर सत्ताधारी दल पर तंज कसा। उनका कहना था कि सरकार के विधायकों को गैरसैंण की ठंड बर्दाश्त नहीं होती, इसलिए उन्होंने वहां विधानसभा सत्र आयोजित करने से ही किनारा कर लिया है। उनके इस विरोध प्रदर्शन ने एक बार फिर गैरसैंण में सत्र आयोजित न किए जाने के मुद्दे को गरमा दिया है।
गौरतलब है कि भुवन कापड़ी इससे पहले भी अपने अनोखे विरोध प्रदर्शन को लेकर चर्चा में रहे हैं। कल ही वह विधानसभा में पैरों और हाथों में बेड़ियां डालकर पहुंचे थे, जिससे उन्होंने यह दर्शाने की कोशिश की कि सरकार ने विपक्ष की आवाज को जकड़ रखा है। लेकिन आज जब वह मोटे कंबल ओढ़कर विधानसभा पहुंचे, तो यह नजारा देख सब हैरान रह गए। उनके साथ कई अन्य कांग्रेस विधायकों ने भी कंबल लपेटकर सरकार को घेरने का प्रयास किया। विरोध के इस अनोखे अंदाज ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा को और तेज कर दिया है।
कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर सीधा आरोप लगाया कि वह गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित करने से बच रही है क्योंकि वहां की ठंड उन्हें परेशान करती है। विपक्ष ने इसे सरकार की गैरसैंण विरोधी मानसिकता करार दिया। कांग्रेस का कहना है कि गैरसैंण उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी है और बजट सत्र वहां आयोजित किया जाना चाहिए था, लेकिन सरकार ने जानबूझकर इसे देहरादून में रखा।

विधानसभा सत्र की शुरुआत से ही गैरसैंण कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर जोरदार विरोध जताया था। कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि सरकार गैरसैंण की अनदेखी कर रही है और उसके विकास को ठंडे बस्ते में डाल रही है। अब जब विधानसभा में कांग्रेस विधायकों ने कंबल ओढ़कर विरोध दर्ज कराया, तो यह विरोध और भी मजबूत होता दिख रहा है।
दूसरी ओर, सत्ता पक्ष ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताया है। भाजपा विधायक खजान दास ने कहा कि गैरसैंण में इस वक्त कुछ कार्य प्रगति पर हैं, जिसके कारण इस बार सत्र देहरादून में आयोजित किया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से आश्वासन देते हुए कहा कि आगामी ग्रीष्मकालीन सत्र गैरसैंण में ही आयोजित किया जाएगा। उनका कहना था कि सरकार गैरसैंण के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं।
बहरहाल, कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे को लेकर सियासी घमासान जारी है। कांग्रेस इसे सरकार की गैरसैंण विरोधी नीति करार दे रही है, जबकि भाजपा इसे व्यवस्थागत कारण बता रही है। विधानसभा सत्र में विपक्ष का यह अनोखा विरोध जहां सुर्खियां बटोर रहा है, वहीं यह सवाल भी खड़ा कर रहा है कि क्या वास्तव में सरकार गैरसैंण में सत्र आयोजित करने से बच रही है या फिर इसके पीछे कोई ठोस कारण है? गैरसैंण की जनता भी इस मामले पर सरकार से जवाब चाहती है।