काशीपुर(एस पी न्यूज़)। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के खिलाफ काशीपुर बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश देखा गया। अधिवक्ताओं का मानना है कि इस बिल के माध्यम से सरकार न केवल उनके संवैधानिक अधिकारों को समाप्त करने का प्रयास कर रही है, बल्कि उनके हितों को भी नुकसान पहुंचाने की साजिश कर रही है। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा के लिए काशीपुर बार एसोसिएशन ने एक आम सभा का आयोजन किया, जिसमें अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर इस बिल का विरोध करने का निर्णय लिया।
सभा में अधिवक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह बिल न केवल वकीलों के खिलाफ है, बल्कि जनता के हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। अधिवक्ताओं ने कहा कि यह संशोधन विधेयक उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित करेगा और उनके कार्य करने की क्षमता को सीमित करेगा। इस सभा के दौरान अधिवक्ताओं ने अपनी आम सहमति व्यक्त की कि सरकार तक इस विरोध को उचित माध्यम से पहुंचाया जाएगा।
अध्यक्ष अवधेश कुमार चौबे ने इस दौरान कहा कि अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 वकीलों के अधिकारों पर सीधा हमला है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। सरकार जिस तरह से अधिवक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, वह न केवल अधिवक्ताओं के लिए बल्कि न्याय प्रणाली के लिए भी घातक सिद्ध होगा। यह विधेयक जनता के अधिकारों पर भी प्रभाव डालेगा, क्योंकि वकीलों की स्वतंत्रता और उनके कार्यों पर प्रतिबंध लगाने से न्याय तक पहुंच बाधित होगी।
हम स्पष्ट रूप से सरकार को चेतावनी देते हैं कि यदि इस विधेयक को तुरंत वापस नहीं लिया गया, तो काशीपुर बार एसोसिएशन इस विरोध को प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए मजबूर होगा। अधिवक्ता समाज केवल अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ रहा, बल्कि यह देश की न्याय प्रणाली को बचाने की लड़ाई है। सरकार को अधिवक्ताओं की मांगों को गंभीरता से लेना होगा अन्यथा हम आंदोलन तेज करने के लिए मजबूर होंगे।ष्
इस सभा की अध्यक्षता काशीपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश कुमार चौबे ने की। सभा में उपाध्यक्ष अनूप शर्मा, सचिव नृपेंद्र कुमार चौधरी, उपसचिव सूरज कुमार, कोषाध्यक्ष सौरभ शर्मा, ऑडिटर हिमांशु बिश्नोई, पुस्तकालय अध्यक्ष सतपाल सिंह बल, प्रेस प्रवक्ता दुष्यंत चौहान, महिला उपाध्यक्ष रश्मि पाल, तहसील उपाध्यक्ष विजय सिंह सहित कार्यकारी सदस्यगण कामिनी श्रीवास्तव, नरेश कुमार पाल, अर्पित कुमार सौदा, अमित कुमार गुप्ता, अमृत पाल सिंह, अमितेश सिसोदिया, अविनाश कुमार, नरदेव सिंह सैनी एवं अन्य अधिवक्तागण उपस्थित रहे।
बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के सदस्य हरि सिंह नेगी, मनोज जोशी, सनत कुमार पैगिया, उमेश जोशी, आनंद रस्तोगी, शैलेंद्र मिश्रा, इंदर सिंह, वीरेंद्र चौहान, धर्मेंद्र सिंह, महावीर सिंह, सुभाष पाल, संजय चौहान, गिरिराज सिंह, अर्पित सिंह चौहान, शिवम् अग्रवाल, धर्मेंद्र तुली, विनोद पंत, दौलत सिंह, सुहैल आलम अंसारी, भुवन चंद्र हरबोला, सुरेंद्र पाल सिंह, सुंदर सिंह, संजय कुमार, रामकुवर चौहान, कविता चौहान, प्रसून वर्मा, महेश कुमार, सुशील चौधरी, अजय सैनी, चांद मोहम्मद, विकास अग्रवाल, विष्णु भटनागर, संजय रुहेला, अनूप विश्नोई, निर्भय चौधरी, लवेन्द्र, शहाना शबाना, परवीन, सुमयला, पूनम गाड़िया, मोहित गुप्ता, सुहाना शर्मा, जितेंद्र सिंह, राहुल दुआ, समर्थ विक्रम, अचल वर्मा, कैलाश बिष्ट, अरविंद सिंह, बलवंत लाल, विवेक मिश्रा, सुनील कुमार, यशवंत सैनी, अचल वर्मा, नागेंद्र सिंह नेगी, अमित रस्तोगी, दौलत सिंह, महेंद्र चौहान, अनिल शर्मा, राजाराम, नईम अहमद, सुंदर सिंह, शैलेन्द्र कुमार मिश्रा, सुरेंद्र पाल सिंह, वकील सिद्दीकी, नरगिस सहित कई वरिष्ठ अधिवक्तागणों ने इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।
सभा में मौजूद सभी अधिवक्ताओं ने एकमत होकर इस विधेयक का कड़ा विरोध किया और मांग की कि सरकार इसे वापस ले। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस विधेयक को लागू करने की कोशिश की, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे। सभा में अधिवक्ताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो वे लोकतांत्रिक तरीकों से विरोध को और व्यापक करेंगे।
सभा के अंत में निर्णय लिया गया कि इस विधेयक के विरोध में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा और सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा। सभी अधिवक्ताओं ने इस अभियान में सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई और यह संकल्प लिया कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।