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कॉर्बेट से राजाजी: बाघों के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम, भेजा जाएगा पांचवां बाघ

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से अब तक 4 बाघ राजाजी नेशनल पार्क भेजे गए, पांचवें बाघ की शिफ्टिंग की तैयारी

रामनगर (एसपी न्यूज)। उत्तराखंड में बाघों के संरक्षण के तहत एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी नेशनल पार्क में एक और बाघ को भेजने की तैयारी पूरी कर ली गई है। यह पांचवां बाघ होगा, जिसे कॉर्बेट से राजाजी स्थानांतरित किया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघों की संख्या में लगातार कमी के कारण राजाजी के पश्चिमी हिस्से में जैव विविधता को गंभीर खतरा था। इसी को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने बाघ पुनर्स्थापन परियोजना की शुरुआत की, जिसके तहत अब तक चार बाघ राजाजी भेजे जा चुके हैं। यह कदम राजाजी नेशनल पार्क में बाघों की घटती संख्या में सुधार की उम्मीदों को बढ़ाता है। इस परियोजना के तहत भेजे गए बाघों में दो नर और दो मादा बाघ शामिल हैं, जो अब पार्क में अच्छे से ढल चुके हैं और प्राकृतिक रूप से प्रजनन कर रहे हैं। इसे एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से बाघों का स्थानांतरण एक बड़ा कदम है। राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिमी हिस्से में पहले बाघों की संख्या बहुत कम थी, जिसके कारण वन्यजीवों का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने का खतरा था। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, पार्क में पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन हैं, लेकिन बाघों की कमी के कारण जैव विविधता को नुकसान हो रहा था। इस संकट को हल करने के लिए 2020 में बाघ पुनर्स्थापन परियोजना (Tiger Reintroduction Project) की शुरुआत की गई थी। अब तक इस परियोजना के तहत 4 बाघों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया जा चुका है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिमी हिस्से में बाघों की संख्या को बढ़ाना है। इससे पार्क के पारिस्थितिकी तंत्र को स्थिर करने में मदद मिलेगी और वन्यजीवों का संरक्षण होगा।

पार्क के प्रबंधन के लिए यह परियोजना बेहद महत्वपूर्ण है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे वहां संसाधनों पर दबाव बढ़ गया है। इस कारण कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से बाघों को राजाजी भेजने का निर्णय लिया गया है। वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल का कहना है कि इस परियोजना का उद्देश्य उन क्षेत्रों में बाघों की संख्या बढ़ाना है, जहां इनका घनत्व बहुत कम था। उन्होंने कहा, “कॉर्बेट में बाघों की अधिक संख्या से संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा था, इसीलिए बाघों को राजाजी भेजने का निर्णय लिया गया है। यह कदम बाघों के भविष्य के लिए फायदेमंद साबित होगा।”

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और भारत सरकार के सहयोग से इस परियोजना को लागू किया जा रहा है। अब तक चार बाघों को राजाजी नेशनल पार्क भेजा जा चुका है, जिसमें दो नर और दो मादा बाघ शामिल हैं। ये बाघ अब अच्छे से पार्क के वातावरण में ढल चुके हैं और प्राकृतिक रूप से प्रजनन कर रहे हैं। यह परियोजना बाघों के संरक्षण के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। बाघों के स्थानांतरण से न केवल राजाजी के पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार होगा, बल्कि बाघों की प्रजाति को भी सुरक्षित किया जाएगा।

अब तक भेजे गए बाघों की सफलता के बाद, वन विभाग आखिरी नर बाघ को स्थानांतरित करने की तैयारी कर रहा है। इसे पहचान कर चिन्हित कर लिया गया है और जल्द ही इसे राजाजी भेजा जाएगा। यह कदम राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिमी क्षेत्र में बाघों की आबादी को संतुलित करेगा। वन अधिकारियों का कहना है कि इससे पार्क में बाघों की संख्या में वृद्धि होगी और पर्यावरणीय संतुलन भी बनाए रखने में मदद मिलेगी। इस परियोजना के तहत स्थानांतरित किए गए बाघों का प्रजनन करना इस बात का संकेत है कि बाघों की संख्या में वृद्धि हो सकती है और वे इस क्षेत्र में सुरक्षित रूप से रह सकते हैं।

राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिमी हिस्से में बाघों के संरक्षण के प्रयासों के अंतर्गत यह परियोजना बहुत महत्व रखती है। वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह कदम न केवल बाघों की संख्या में वृद्धि करेगा, बल्कि पूरे पार्क के पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेगा। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह कदम बेहद आवश्यक था। अब देखना यह होगा कि वन विभाग इस परियोजना को और अधिक सफल बना पाता है या नहीं और क्या इससे राजाजी पार्क में बाघों की संख्या में सुधार होता है।

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