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हंगामे की भेंट चढ़ी नगर निगम बैठक, गरमाई सियासत, गूंजे आरोप-प्रत्यारोप

नगर निगम की पहली बैठक में हंगामा, मतदाता सूची में गड़बड़ी और संपत्तियों पर कब्जे के आरोपों से गरमाई राजनीति

हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। नगर निगम की पहली बैठक में माहौल पूरी तरह गरमाया रहा। बैठक की शुरुआत में ही विपक्षी पार्षदों ने सीवर, बिजली, पानी, पेंशन और राशन कार्ड जैसी बुनियादी समस्याओं को अधिकारियों के सामने रखा। लेकिन उनकी शिकायतें सुनने के बजाय बैठक में भारी हंगामा हो गया। विपक्ष ने इन मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की मांग की, जबकि भाजपा पार्षदों ने इसका विरोध करते हुए बैठक की कार्यवाही को आगे बढ़ाने की कोशिश की। मामला तब और ज्यादा तूल पकड़ गया जब बिना किसी बहस के कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को बहुमत के आधार पर पास कर दिया गया। इनमें टाऊन हॉल के स्थान पर बैकेंट हॉल का निर्माण और निगम की अवैध कब्जे वाली जमीनों को मुक्त कराकर व्यावसायिक उपयोग में लाने से जुड़े प्रस्ताव शामिल थे।

सोमवार को हरिद्वार सीसीआर में आयोजित नगर निगम बोर्ड बैठक में कांग्रेस पार्षदों ने सबसे पहले मुख्य नगर अधिकारी से निकाय मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी पर जवाब मांगा। कांग्रेस पार्षदों का आरोप था कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम जानबूझकर सूची से हटा दिए गए, जिससे कई लोगों को मतदान करने से वंचित रहना पड़ा। इस आरोप पर भाजपा पार्षदों ने जमकर हंगामा किया और कांग्रेस के सवालों को अनदेखा करते हुए सभी प्रस्तावों को बिना किसी बहस के पास कर दिया। इससे नाराज कांग्रेस पार्षदों ने मेला नियंत्रण कक्ष में ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और नगर निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस पार्षदों ने नव-निर्वाचित महापौर और भाजपा पार्षदों पर निगम की भूमि को खुर्द-बुर्द करने का आरोप लगाया और बैठक को एकतरफा करार दिया।

बैठक में हुई इस अव्यवस्था ने नगर निगम प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस पार्षदों का कहना था कि नगर निगम के इस रवैये ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है। उनका आरोप था कि चुनावों के दौरान जानबूझकर मतदाता सूची में अनियमितताएं की गईं और अब सत्ता पक्ष नगर निगम की संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने की साजिश कर रहा है। कई वार्डों में मतदाता सूची से लोगों के नाम गायब होने की शिकायतें पहले भी आ चुकी थीं, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। सोमवार को जब कांग्रेस पार्षदों ने इस मुद्दे पर जवाब मांगा तो भाजपा पार्षदों ने हंगामा कर मामले को दबाने की कोशिश की।

बैठक में जब कांग्रेस पार्षदों ने सहायक नगर आयुक्त श्याम सुंदर से सवाल किया कि वार्डों में मतदाता सूची से वोट क्यों काटे गए, तो भाजपा पार्षदों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। हंगामे के बीच भाजपा की महापौर और बोर्ड ने सभी एजेंडा बिंदुओं को बिना किसी बहस के पास कर दिया और सदन से बाहर निकल गए। इस पर कांग्रेस पार्षदों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं की अवहेलना है।

बैठक की इस पूरी घटना ने नगर निगम में गहरे राजनीतिक मतभेदों को उजागर कर दिया है। जहां भाजपा पार्षद अपनी ओर से पारित प्रस्तावों को नगर निगम के विकास से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि भाजपा विकास की आड़ में निगम की संपत्तियों को निजी कंपनियों के हाथों में देने की कोशिश कर रही है। इस पूरे विवाद से हरिद्वार के स्थानीय नागरिकों के बीच भी चिंता बढ़ गई है, क्योंकि कई महत्वपूर्ण मुद्दे हंगामे की भेंट चढ़ गए और समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

नगर निगम की इस पहली बैठक के बाद यह साफ हो गया है कि आने वाले समय में नगर निगम बोर्ड की बैठकों में भी राजनीतिक खींचतान जारी रहेगी। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच मतभेद इतने गहरे हो चुके हैं कि किसी भी प्रस्ताव पर आम सहमति बन पाना मुश्किल नजर आ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इसी तरह की स्थिति बनी रही, तो शहर की प्रमुख समस्याएं अनदेखी ही रह जाएंगी और राजनीतिक दल केवल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने में व्यस्त रहेंगे। हरिद्वार के नागरिक उम्मीद कर रहे हैं कि नगर निगम प्रशासन आने वाले समय में सभी दलों के साथ मिलकर समाधान निकालने की कोशिश करेगा, ताकि शहर का विकास बाधित न हो।

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