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उत्तराखंड के उद्यान विभाग में घोटाले की गूंज कृषि मंत्री ने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का किया ऐलान

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने उद्यान विभाग में हुई लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की घोषणा, दोषियों पर आरोप पत्र जारी

देहरादून(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड के उद्यान विभाग से जुड़ा एक नया विवाद सामने आया है, जो अब तूल पकड़ता जा रहा है। मामला रुद्रप्रयाग जिले का है, जहां वर्ष 2020 में कागजी नींबू के पौधे किसानों को वितरित किए गए थे, लेकिन इन पौधों से जो फल उत्पन्न हुए, वे जंगली जामीर के थे। जब यह मामला सामने आया, तो जिलाधिकारी द्वारा इसकी जांच कराई गई। अब जांच रिपोर्ट के बाद, संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है। कृषि एवं उद्यान विभाग के इस घोटाले में प्रदेश के अपर निदेशक डॉ. आरके सिंह और तात्कालिक जिला उद्यान अधिकारी (सेवानिवृत्त) योगेंद्र सिंह चौधरी के खिलाफ आरोप पत्र जारी किए गए हैं। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने इस मामले को लेकर गंभीरता से प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि इस प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मंत्री गणेश जोशी ने 13 फरवरी को कृषि एवं उद्यान विभाग की उपलब्धियों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि रुद्रप्रयाग जिले में नर्सरी के चयन और पौधों के सत्यापन में जो लापरवाही बरती गई है, उसके लिए डॉ. आरके सिंह और योगेंद्र सिंह चौधरी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जा रही है। मंत्री ने यह भी बताया कि संबंधित नर्सरी के खिलाफ नर्सरी एक्ट और अन्य प्रचलित नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही नर्सरी को काली सूची में डालने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। इस विवाद ने राज्य के कृषि एवं उद्यान विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं, और इसे लेकर राज्य सरकार अब सख्त कदम उठा रही है।

गणेश जोशी ने कहा कि किसानों के लिए पौधे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, और इस प्रकार की लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने अब तक सभी शिकायतों पर कार्रवाई की है और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए अन्य नर्सरी और अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्री ने किसानों की जीवन-यापन की स्थिति को सुधारने के लिए कई योजनाओं का जिक्र भी किया। इस बीच, मंत्री ने खासतौर से हरिद्वार और उधम सिंह नगर में अमृत सरोवर योजना के तहत मखाना की खेती और सिंघाड़ा के उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना का भी उल्लेख किया। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा आगामी बजट में किसानों के लाभ के लिए कई नए प्रावधान किए गए हैं।

उत्तराखंड की कृषि जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां किसानों के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती हैं, और यह मंत्री गणेश जोशी ने भी अपने संबोधन में कहा। राज्य में तमाम औद्यानिक फसलों का विकास करने के लिए विभाग की ओर से कई योजनाएं बनाई गई हैं। गणेश जोशी ने खासतौर से सेब की खेती पर जोर देते हुए बताया कि राज्य में सेब के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने एक बड़ी योजना बनाई है। इस योजना के तहत 808.79 करोड़ रुपए की लागत से 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना का उद्देश्य सेब के वर्तमान 200 करोड़ रुपए के व्यवसाय को बढ़ाकर 2000 करोड़ रुपए तक पहुंचाना है।

गणेश जोशी ने कहा कि इस योजना में किसानों को 60 फीसदी राज सहायता दी जाएगी, और इससे लगभग 45 हजार से 50 हजार रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने बताया कि पिछले साल राज्य में 2 लाख सेब के पौधे लगाए गए थे, जबकि इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 12 लाख पौधों तक पहुंच गया है। इसके अलावा, राज्य में 50 हजार से अधिक पॉलीहाउस लगाने की योजना बनाई गई है, जिसके लिए 300 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। मंत्री ने बताया कि उत्तराखंड में उच्च मूल्य वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना के तहत 16.56 करोड़ रुपए की कीवी योजना स्वीकृत की गई है। इस योजना के तहत 10 करोड़ रुपए पहले ही अवमुक्त किए जा चुके हैं।

इससे साफ जाहिर होता है कि राज्य सरकार का फोकस अब कृषि के क्षेत्र में और अधिक विकास करने पर है। गणेश जोशी ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा पर्वतीय जिलों में कीवी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कीवी मिशन योजना तैयार की जा रही है। इस मिशन के तहत राज्य में कीवी की खेती को एक नई दिशा देने का लक्ष्य रखा गया है। कुल मिलाकर, उत्तराखंड की कृषि नीति अब किसानों को लाभ देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण योजनाओं के साथ आगे बढ़ रही है। मंत्री ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार की ओर से सभी जरूरी कदम उठाने का भरोसा दिया है।

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