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उद्यमिता विकास कार्यक्रम के सातवें दिन छात्रों को रोजगार के लिए किया गया प्रेरित

युवा उद्यमियों के लिए सुनहरा अवसर: विशेषज्ञों ने बताए सफलता के रहस्य और सरकारी योजनाओं के लाभ

रामनगर(एस पी न्यूज़)। उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत रामनगर स्थित पीएनजी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में चल रहे 12 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के सातवें दिन विद्यार्थियों को सफल व्यवसायिक कौशल और बाजारीकरण की प्रतिस्पर्धा को समझने के लिए प्रेरित किया गया। इस अवसर पर नोडल अधिकारी प्रो. जगमोहन सिंह नेगी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक सफल उद्यमी बनने के लिए बाजार की आवश्यकताओं को समझना अनिवार्य होता है। उन्होंने यह भी बताया कि व्यवसाय शुरू करने से पूर्व उभरते बाजारों में निवेश करने की समझ विकसित करनी आवश्यक है ताकि समय के अनुसार व्यापार का विस्तार किया जा सके। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बिना सही योजना और मार्केटिंग की जानकारी के कोई भी व्यापार सफल नहीं हो सकता। बाजार की प्रतिस्पर्धा को समझने की क्षमता ही एक सफल उद्यमी की असली पहचान होती है।

कार्यक्रम के दौरान संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मूलचन्द्र शुक्ल ने संस्कृत श्लोक “उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः” के माध्यम से यह बताया कि किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए मात्र इच्छा शक्ति ही नहीं, बल्कि निरंतर परिश्रम और समर्पण की आवश्यकता होती है। उन्होंने विद्यार्थियों को सफलता के चार प्रमुख स्तंभों – समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि जो भी विद्यार्थी इन चार मूल सिद्धांतों का पालन करेगा, वह निश्चित रूप से जीवन में सफलता प्राप्त करेगा। कार्यक्रम के अगले सत्र में डॉ. जेपी त्यागी ने उद्यमिता योजनाओं पर चर्चा की और विद्यार्थियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं से अवगत कराया जो उद्यमियों को सहायता प्रदान करने के लिए चलाई जा रही हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एक मजबूत उद्यमिता योजना न केवल व्यक्तिगत सफलता को बढ़ाती है, बल्कि समाज और देश के आर्थिक विकास में भी योगदान देती है।

प्राचार्य प्रो. एम. सी. पाण्डे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उद्यमिता केवल एक व्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह नवाचार, साहस, धैर्य और सही रणनीति का संयोजन है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में उद्यमिता देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और युवा वर्ग को इसे एक सशक्त करियर विकल्प के रूप में अपनाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए बताया कि आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक है कि वे अपनी रचनात्मकता को पहचाने और अपनी सोच को सीमित न रखें। प्रो. पाण्डे ने यह भी कहा कि उद्यमिता न केवल रोजगार के अवसर पैदा करती है, बल्कि समाज के आर्थिक विकास को भी मजबूत बनाती है। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे उद्यमशील बनने की दिशा में कदम बढ़ाएं और सरकार द्वारा प्रदान की जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी स्टार्टअप या बिजनेस की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसे कितनी सही योजना और रणनीति के साथ संचालित किया जाता है।

दूसरे सत्र के मुख्यवक्ता नयन ज्योति तालुकदार, जो कि एक वैज्ञानिक अधिकारी हैं, ने उद्यमिता के छह प्रमुख कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि उद्यमिता केवल आर्थिक लाभ कमाने तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह किसी भी देश के आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण रीढ़ होती है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि यदि कोई व्यक्ति सही दिशा में अपनी उद्यमशीलता की क्षमता को विकसित करता है, तो वह लंबे समय तक न केवल अपनी बल्कि देश की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ कर सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों को एस डब्ल्यू ओ टी विश्लेषण के माध्यम से यह समझाया कि किसी भी व्यवसाय के लिए मजबूत और कमजोर पक्षों की पहचान करना आवश्यक होता है। उन्होंने स्टार्टअप के विभिन्न प्रकारों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं तथा उनके लाभों पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सरकार की ओर से कई योजनाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जिनका लाभ उठाकर युवा सफल व्यवसायी बन सकते हैं।

इस अवसर पर महाविद्यालय के एस. एस. मौर्य, डॉ. प्रमोद जोशी, डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, डॉ. दीपक खाती, डॉ. डी.एन. जोशी, डॉ. सुभाष पोखरियाल, डॉ. पी. सी. पालीवाल, डॉ. नवभा जोशी और दीपक सिंह समेत अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे। महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने उद्यमशीलता कौशल को निखारने के लिए विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया।

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