किच्छा(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक आयोजित की, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए। सरकार ने पूर्व विधायकों की पेंशन में वृद्धि की घोषणा की, जो राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया। पूर्व विधायकों की पेंशन पहले 40,000 रुपये थी, जिसे अब 60,000 रुपये कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि पेंशन में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही विधायकों के भत्ते भी बढ़ा दिए गए हैं। हालांकि, इस फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता डॉ. गणेश उपाध्याय ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है और इसका विरोध किया है।
डॉ. गणेश उपाध्याय ने कहा कि राज्य सरकार का ध्यान केवल अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियों की चिंता में है, जबकि राज्य के किसानों और गरीबों के मुद्दे नजरअंदाज किए जा रहे हैं। उन्होंने सरकार के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि जब राज्य के किसानों को 80 करोड़ रुपये से अधिक का धान भुगतान दो महीनों से लंबित पड़ा है, तब यह बढ़ी हुई पेंशन का निर्णय निंदनीय है। राज्य सरकार ने पहले नैनीताल हाई कोर्ट के डबल बेंच के फैसले के तहत यह आश्वासन दिया था कि किसानों का धान और गेहूं का भुगतान 24 घंटे से लेकर एक हफ्ते के भीतर किया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद किसानों को अब तक भुगतान नहीं किया गया है। यह स्थिति सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करती है।
साथ ही, गन्ने की पिराई सत्र समाप्ति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन अब तक गन्ने के नए वर्ष के मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। गन्ने के मूल्य का निर्धारण न होने के कारण किसान अपने फसल की सही कीमत पाने के लिए चिंतित हैं। डॉ. गणेश उपाध्याय ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की निंदा की और कहा कि सरकार की ओर से केवल अपने राजनीतिक फायदे के लिए फैसले लिए जा रहे हैं, जबकि जनता के असली मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य में महंगाई लगातार बढ़ रही है, और इसका असर खासतौर पर किसानों और मजदूरों पर पड़ा है। किसानों के लिए उत्पादन लागत में हर साल 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है। यह आंकड़ा किसानों के लिए चिंताजनक है, क्योंकि महंगाई के कारण उनकी कमाई लगातार घट रही है। इस बढ़ी हुई लागत को देखकर उनका जीवन और भी कठिन हो गया है। इसके बावजूद, राज्य सरकार की ओर से किसानों के मुद्दे की अनदेखी की जा रही है।
मनरेगा मजदूरों की मजदूरी को लेकर भी डॉ. गणेश उपाध्याय ने अपनी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि मनरेगा मजदूरों को पिछले कई वर्षों से 267 रुपये प्रति दिन की मजदूरी मिल रही है, जबकि महंगाई के इस दौर में इस राशि का कोई मूल्य नहीं रह गया है। इस मजदूरी पर काम करने वाले गरीब मजदूरों के लिए यह राशि पर्याप्त नहीं है, खासकर जब वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। डॉ. उपाध्याय ने कहा कि यह स्थिति उन परिवारों के लिए और भी कठिन हो जाती है, जो इस कम मजदूरी से अपने बच्चों का पालन-पोषण करते हैं और उन्हें स्कूल भेजते हैं।
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य से भी संपर्क किया और उनसे आग्रह किया कि वे कांग्रेस पार्टी के सभी सदस्यों को इस मुद्दे पर सरकार का विरोध करने के लिए प्रेरित करें। डॉ. गणेश उपाध्याय ने यह कहा कि राज्य सरकार की ओर से अदालत के आदेशों की अवहेलना की जा रही है और साथ ही राज्य की जनता का अपमान भी किया जा रहा है, जिन्होंने इस सरकार को चुना था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर संघर्ष करेगी और राज्य सरकार से जवाबदेही मांगेगी।
डॉ. उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा ष्सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वासष् का नारा देते आए हैं, लेकिन इस नीति को राज्य स्तर पर लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार को जनहित के मामलों में ठोस कदम उठाने चाहिए और पेंशन बढ़ाने जैसे फैसलों से परे जाकर किसानों, मजदूरों और आम लोगों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
उत्तराखंड में इस समय राजनीति में उबाल है और डॉ. गणेश उपाध्याय के बयानों के बाद कांग्रेस पार्टी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका मानना है कि सरकार को किसानों और मजदूरों के मुद्दों पर गंभीरता से काम करना चाहिए, ताकि राज्य के नागरिकों के लिए जीवन यापन आसान हो सके। उन्होंने राज्य सरकार से यह भी अपील की कि वह किसानों और मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए कार्यवाही करे।
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि राज्य सरकार की प्राथमिकताएं गलत दिशा में जा रही हैं। पेंशन वृद्धि के निर्णय के साथ-साथ, सरकार को किसानों, मजदूरों और गरीबों के मामलों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कांग्रेस का मानना है कि जब तक सरकार जनता के मुद्दों पर काम नहीं करती, तब तक वह जनता का विश्वास नहीं जीत सकती।