नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने और सड़क पर अवैध पार्किंग की समस्या को खत्म करने के लिए परिवहन विभाग ने कुछ सख्त नियमों में बदलाव किए हैं। 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल और 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को दिल्ली में चलाने की अनुमति नहीं है, और ऐसे वाहनों को जब्त कर लिया जाता है। अब दिल्ली परिवहन विभाग ने दिल्ली पार्किंग और प्रबंधन नियमावली 2019 में संशोधन कर जब्त किए गए वाहनों के निपटान के लिए समयसीमा को घटा दिया है। नए नियमों के मुताबिक, जब्त किए गए वाहनों को छुड़ाने के लिए अब 90 दिन के बजाय केवल 30 दिन का समय दिया जाएगा। यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि वाहन मालिकों को जल्दी से जल्दी अपने वाहनों को छुड़ाने की जिम्मेदारी दी जा सके। अगर इस अवधि के भीतर वाहन नहीं छुड़ाया जाता, तो अब 15 दिन के बजाय सिर्फ सात दिन का नोटिस जारी किया जाएगा। इसके बाद, जब्त किए गए वाहन को सार्वजनिक नीलामी में डाला जाएगा या फिर उसे स्क्रैप कर दिया जाएगा। परिवहन विभाग के अनुसार, जब्त वाहनों को समय पर नहीं छुड़ाने के कारण स्क्रैप वाहनों की संख्या बढ़ रही थी, और इस समस्या को हल करने के लिए यह नया नियम लागू किया गया है।
इसके अलावा, हल्के यात्री वाहनों और मालवाहक वाहनों के लिए भी नए नियमों में बदलाव किए गए हैं। पहले इन वाहनों को छुड़ाने के लिए 90 दिन का समय दिया जाता था, लेकिन अब नए नियमों के अनुसार वाहन मालिकों को केवल 10 दिन का समय मिलेगा, और इसके बाद सात दिन का नोटिस जारी किया जाएगा। इसके बाद, वाहन को नीलामी में भेजा जाएगा या स्क्रैप किया जाएगा। इन बदलावों के बावजूद वाहन खींचने का शुल्क पहले जैसा ही रहेगा, जो वाहनों की श्रेणी के अनुसार 200 से लेकर 1500 रुपये तक लिया जाएगा। यदि वाहन मालिक सात दिन के भीतर वाहन को छुड़ाने में नाकाम रहते हैं, तो शुल्क को दोगुना कर दिया जाएगा। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि विभाग को वाहनों का जल्दी से जल्दी निपटान करने में मदद मिले, और सड़कों पर अवैध पार्किंग के कारण अन्य वाहनों की पार्किंग की जगह ना घटे।

दिल्ली परिवहन विभाग ने यह कदम सख्ती से उठाया है, क्योंकि कई बार वाहन मालिक जब्त किए गए वाहनों को छुड़ाने के लिए विभाग के पास नहीं आते, जिससे पार्किंग स्थल पर वाहनों का ढेर लग जाता है। इस वजह से अन्य वाहनों को पार्क करने के लिए जगह नहीं मिल पाती है, और पार्किंग स्थल की स्थिति बिगड़ जाती है। नए नियमों के तहत जब्त किए गए वाहनों के निपटान में तेजी आएगी, जिससे पार्किंग की समस्या को हल किया जा सकेगा। इसके अलावा, यह कदम दिल्ली में अवैध पार्किंग पर भी अंकुश लगाएगा, जो कि एक गंभीर समस्या बन चुकी है। जब तक पुराने और अवैध वाहन सड़कों पर खड़े रहते हैं, तब तक यह समस्या लगातार बनी रहती है।
दिल्ली में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के संचालन पर अब कड़ा प्रतिबंध लगा दिया गया है, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। ऐसे वाहन अब दिल्ली-एनसीआर में नहीं चलाए जा सकते हैं। इसके साथ ही, इन वाहनों का पंजीकरण स्वतः रद्द मान लिया जाता है। वाहन मालिकों को ऐसे पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए अधिकृत स्क्रैपिंग केंद्रों से संपर्क करना पड़ता है। स्क्रैपिंग के बाद वाहन मालिक को श्जमा प्रमाणपत्रश् मिलता है, जो नए वाहन की खरीद पर रोड टैक्स में छूट का पात्र बनाता है। यह कदम प्रदूषण नियंत्रण के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि पुराने वाहन अधिक प्रदूषण उत्पन्न करते हैं और हवा की गुणवत्ता को और खराब करते हैं।
इन सभी बदलावों का उद्देश्य दिल्ली के नागरिकों को बेहतर परिवहन सुविधा और एक साफ, सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है। जबकि सख्त नियमों से प्रदूषण की समस्या पर काबू पाया जा सकता है, वहीं इससे पार्किंग की व्यवस्था में भी सुधार होगा। परिवहन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि यदि वाहन मालिक इस नए नियम को सख्ती से मानेंगे, तो यह दिल्ली में प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होगा और सड़क पर अवैध पार्किंग की समस्या का समाधान भी होगा।
दिल्ली में पुराने वाहनों को लेकर किए गए ये बदलाव न केवल परिवहन विभाग के कार्यों को आसान बनाएंगे, बल्कि प्रदूषण कम करने की दिशा में भी अहम कदम साबित होंगे। अब दिल्ली-एनसीआर में सड़क पर अवैध रूप से खड़े हुए पुराने वाहनों की संख्या में कमी आएगी, और इससे प्रदूषण पर भी असर पड़ेगा। साथ ही, पार्किंग की समस्या का भी समाधान होगा, जिससे दिल्ली के नागरिकों को राहत मिल सकेगी।