रामनगर(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड के रामनगर में कोसी नदी में अवैध खनन के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया, लेकिन इस बार तरीका बिल्कुल अलग था। आमतौर पर खनन विरोधी अभियान में फील्ड स्टाफ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन जब बड़े अधिकारियों को अपनी ही टीम पर भरोसा न हो तो समझ लेना चाहिए कि कहीं न कहीं गड़बड़ी है। इसी संदेह के चलते डीएफओ और एसडीओ ने किसी को भनक तक नहीं लगने दी और खुद बाइक पर सवार होकर जंगल के रास्ते से मौके पर पहुंचे। जब वे वहां पहुंचे, तो जो दृश्य सामने आया, उसने खनन माफिया और विभागीय कर्मचारियों की पोल खोलकर रख दी।
इस छापेमारी में अधिकारियों ने पाया कि अवैध खनन बड़े पैमाने पर चल रहा था, और इसे रोकने के लिए जिम्मेदार फील्ड स्टाफ पूरी तरह से नदारद था। मौके पर पहुंचते ही डीएफओ और एसडीओ ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी और छह वाहनों को जब्त कर लिया। यह छापेमारी इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इसमें अधिकारियों ने अपने ही कर्मचारियों को पूरी तरह से अंधेरे में रखते हुए कार्रवाई की, जिससे साफ जाहिर होता है कि अंदरूनी मिलीभगत का संदेह था। अगर विभागीय कर्मचारी सच में अपने काम को लेकर ईमानदार होते, तो इतनी बड़ी मात्रा में अवैध खनन संभव ही नहीं था।
जांच के दौरान एक और बड़ा खुलासा हुआ जिसने पूरे मामले को और भी गंभीर बना दिया। अधिकारियों को पता चला कि खनन माफिया के पास पहले से ही जानकारी पहुंच रही थी कि कब और कहां कार्रवाई होगी। इस पूरे खेल में व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसमें विभागीय फील्ड स्टाफ भी शामिल था। खनन माफिया को यह पता चलता रहता था कि अधिकारियों की मूवमेंट क्या है और वे किस दिशा में जा रहे हैं। जब इस बात का पता चला, तो डीएफओ ने बिना देर किए फील्डरों के मोबाइल जब्त कर लिए और इस बात की भी जांच शुरू कर दी कि आखिर वे किस-किस के संपर्क में थे।
इस छापेमारी के बाद पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह फील्ड स्टाफ वास्तव में खनन माफिया के साथ मिला हुआ था? अगर हां, तो यह सांठगांठ कब से चल रही थी और इसमें कौन-कौन शामिल था? इस पूरे मामले में बड़े अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या वे भी इस मिलीभगत का हिस्सा थे या फिर वे भी अंजान थे? इन सभी सवालों के जवाब अब जांच के बाद ही सामने आएंगे, लेकिन इतना तय है कि इस कार्रवाई के बाद विभाग में कई लोगों पर गाज गिरने वाली है।
डीएफओ और एसडीओ की इस अप्रत्याशित कार्रवाई से खनन माफिया और विभागीय कर्मचारियों में खलबली मच गई है। अब इस बात की संभावना प्रबल हो गई है कि कई कर्मचारियों को निलंबित किया जा सकता है और कई के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई जा सकती है। स्थानीय लोगों का भी कहना है कि अगर इसी तरह की सख्ती पहले बरती जाती, तो अवैध खनन इस स्तर तक नहीं पहुंच पाता। इस पूरी घटना ने यह भी दिखाया कि भ्रष्टाचार और मिलीभगत किस तरह अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देती है और कैसे एक संगठित नेटवर्क काम करता है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आगे की कार्रवाई क्या होगी। क्या इन फील्ड कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी सजा दी जाएगी? क्या खनन माफिया के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे? और सबसे महत्वपूर्ण सवालकृ क्या उच्च पदस्थ अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी समय के साथ ठंडा पड़ जाएगा? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे, लेकिन इतना तय है कि डीएफओ और एसडीओ की इस सख्त कार्रवाई ने पूरे मामले को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है।