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उत्तराखंड बना पहला राज्य, समान नागरिक संहिता से जुड़े सवालों का समाधान अब संभव

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के तहत सभी नागरिकों को मिलेगा समान अधिकार, सरकार ने संशयों का समाधान करने के लिए अधिकारियों और हेल्पलाइन नंबर की सुविधा शुरू की।

रामनगर(एस पी न्यूज़)। उत्तराखंड ने देश में एक नई मिसाल पेश करते हुए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने वाला पहला राज्य बनकर इतिहास रच दिया है। हालांकि, यूसीसी को लेकर कई लोगों के मन में संशय और सवाल हैं, जिनका समाधान अब राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है। इन सवालों का जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने सभी छोटे-बड़े अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है ताकि लोग सही जानकारी प्राप्त कर सकें और उनकी शंकाओं का समाधान हो सके।

यूसीसी के बारे में स्पष्टता लाने के लिए अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया है कि हर नागरिक को अपने अधिकार और कर्तव्यों के बारे में पूरी जानकारी मिल सके। अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी को भी इस कानून के बारे में कोई सवाल है, तो वे अपने जिले के जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान या अन्य संबंधित अधिकारियों से सीधे संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा, एक विशेष मोबाइल नंबर भी जारी किया गया है ताकि लोग फोन के माध्यम से भी जानकारी प्राप्त कर सकें।

यूसीसी को लेकर सबसे ज्यादा सवाल और भ्रम मूल निवास और स्थायी निवास के बारे में थे। लोग जानना चाहते थे कि क्या यूसीसी का इन प्रमाणपत्रों से कोई संबंध है। इस पर प्रोफेसर डॉ. सुरेखा डंगवाल, जो यूसीसी नियमावली ड्राफ्ट की सदस्य हैं, ने स्पष्ट किया कि यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण का उत्तराखंड के मूल निवास या स्थायी निवास प्रमाणपत्र से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कानून सिर्फ उन लोगों के लिए लागू है जो उत्तराखंड में कम से कम एक साल से रह रहे हैं, ताकि राज्य की डेमोग्राफी संरक्षित रह सके। इसके माध्यम से राज्य में रहने वाले हर नागरिक को एक समान नागरिक अधिकार मिलेगा, जिससे किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा। इससे राज्य में रहने वाले सभी लोगों को एक समान अवसर मिलेंगे और राज्य की सामाजिक संरचना को भी सुरक्षित रखा जाएगा।

यूसीसी के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य केवल लिव-इन रिलेशनशिप, शादी, तलाक और वसीयत जैसी सेवाओं को रैगुलेट करना है। यह कानून स्थायी निवास या मूल निवास प्रमाणपत्र से जुड़ा हुआ नहीं है। उन्होंने कहा कि यह किसी भी रूप में स्थायी निवास या मूल निवास से जुड़ा नहीं होगा और इसके तहत कोई अतिरिक्त लाभ भी नहीं दिया जाएगा। प्रोफेसर डंगवाल ने यह भी बताया कि उत्तराखंड में स्थायी निवास के लिए पूर्व की शर्तों को ही लागू किया जाएगा। उन्होंने यह कहा कि यूसीसी के तहत पंजीकरण वही होगा जैसे कोई व्यक्ति अपने सामान्य निवास स्थान पर वोटर कार्ड बनवाता है। इससे राज्य में रहने वाले लोगों के व्यक्तिगत कानूनों को रैगुलेट किया जाएगा, ताकि राज्य की संस्कृति और समाज की संरचना सुरक्षित रहे।

समान नागरिक संहिता के लागू होने से अब उन लोगों पर भी नियंत्रण लगाया जा सकेगा जो अपराधिक प्रवृत्तियों में लिप्त हैं। प्रोफेसर डंगवाल ने इस पर भी चर्चा की और बताया कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से लोग आकर रहते हैं, और इन लोगों द्वारा राज्य की सरकारी योजनाओं का फायदा उठाया जाता है। अब इन लोगों को पंजीकरण कराना होगा ताकि वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। इसके अलावा, इन लोगों के विवाह, तलाक, और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों का भी रिकॉर्ड अब राज्य के पास रहेगा, जिससे सरकार को बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

प्रोफेसर डंगवाल ने यह भी कहा कि यूसीसी का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में रहने वाले सभी लोगों को एक समान नागरिक अधिकार प्रदान करना है और राज्य के डेटा बेस को समृद्ध बनाना है। उन्होंने यह भी बताया कि यूसीसी से विवाह जैसी संस्थाओं को मजबूत किया जाएगा, जो समाज की समृद्धि का आधार रही हैं। इसके तहत, सरकार के पास राज्य में निवास करने वाले हर व्यक्ति का विस्तृत डेटा होगा, जिससे प्रशासनिक कामकाजी प्रक्रिया और योजनाओं का संचालन बेहतर तरीके से हो सकेगा।

अगर किसी को भी यूसीसी को लेकर कोई शंका या सवाल हो, तो वे इसके समाधान के लिए विशेष मोबाइल नंबर 9455286881 पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा, उत्तराखंड सरकार ने एक वेबसाइट भी बनाई है, जहां लोग अपनी शंकाओं का समाधान पा सकते हैं और यूसीसी से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकते हैं। इस पहल से न केवल यूसीसी के बारे में जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि राज्य की सामाजिक संरचना भी सुदृढ़ होगी और उत्तराखंड में एक समान नागरिक समाज का निर्माण होगा।

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