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उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल, चैंपियन और उमेश कुमार के टकराव से प्रशासन अलर्ट

राजनीतिक टकराव के बीच हरिद्वार में तनाव, सड़कों पर पुलिस का पहरा, चैंपियन जेल में, उमेश कुमार जमानत पर, प्रशासन की सख्ती के बावजूद माहौल गर्माया

हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचाने वाला विवाद अब शासन-प्रशासन के लिए सिरदर्द बन चुका है। हरिद्वार में कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन और विधायक उमेश कुमार के बीच जारी संघर्ष ने कानून व्यवस्था को गंभीर चुनौती दे दी है। इस टकराव के बाद पूरे इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई है कि शहर के मुख्य स्थानों पर आईटीबीपी की दो बटालियन भी मुस्तैदी से डटी हुई हैं। यह विवाद 25 जनवरी को शुरू हुआ था, जब राजनीतिक टकराव ने हिंसक रूप ले लिया। दोनों जनप्रतिनिधियों ने एक-दूसरे के खिलाफ सोशल मीडिया पर तीखे आरोप लगाए, जो जल्द ही सड़क पर संघर्ष में तब्दील हो गया। हरिद्वार के एक जनप्रतिनिधि को खुलेआम गालियां देते देखा गया, जबकि दूसरे नेता को सरेआम फायरिंग करते हुए कैमरों में कैद किया गया। इसके बाद इस टकराव ने पूरे सिस्टम को हिला कर रख दिया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पूरे प्रशासन को इसकी निगरानी के लिए चौकन्ना रहना पड़ रहा है।

पुलिस प्रशासन भी इस तनावपूर्ण स्थिति से जूझने में जुटा हुआ है। एसपी देहात शेखर सुयाल का कहना है कि यह विवाद पुलिस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन चुका है। पहले पुलिस को नेशनल गेम्स की तैयारियों में जुटना पड़ा, फिर चुनाव की तैयारियों में महीनों से मेहनत करनी पड़ी, और इसी बीच गंगा स्नान को भी सफलतापूर्वक संपन्न करवाया गया। अपराध नियंत्रण का भी ध्यान रखा गया, लेकिन अब इस राजनीतिक संघर्ष ने पुलिस को निरंतर सतर्कता बरतने के लिए मजबूर कर दिया है। पूरे क्षेत्र में 500 से अधिक पुलिसकर्मी और आईटीबीपी जवान तैनात किए गए हैं, जो चौबीसों घंटे नजर बनाए हुए हैं। इस विवाद को देखते हुए पुलिस ने शहर की सीमाओं को सील कर दिया है। हर आने-जाने वाले व्यक्ति की सख्ती से जांच की जा रही है। लंढौरा महल के पास सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है। विधायक उमेश कुमार के कार्यालय और घर के आसपास भी पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए हैं। इससे पहले भी इन सुरक्षाकर्मियों को विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और अन्य आयोजनों में लगातार ड्यूटी करनी पड़ी है। अब इस नए विवाद के कारण पुलिसकर्मी दिन-रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जिससे उनके लिए भी यह चुनौतीपूर्ण दौर बन चुका है।

सबसे बड़ी चुनौती तब आएगी जब कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन जेल से बाहर आएंगे। एसपी देहात शेखर सुयाल के अनुसार, इस स्थिति में शांति व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन के लिए सबसे कठिन काम होगा। जनता से लगातार अपील की जा रही है कि वे किसी भी प्रकार की हिंसा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से बचें। प्रशासन इस विवाद को सुलझाने के प्रयास में जुटा है, ताकि शहर की शांति भंग न हो। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर स्थानीय लोग भी काफी चिंतित हैं। रुड़की निवासी अनवर राणा का कहना है कि प्रशासन को इस विवाद को शुरू होते ही गंभीरता से लेना चाहिए था, ताकि स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। अब शहर की गलियों में पुलिस बल का दबदबा है, बॉर्डर पर कड़ी निगरानी की जा रही है, और आए दिन पंचायतों के नाम पर भीड़ इकट्ठा हो रही है। इससे हालात और भी तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। लाठीचार्ज और पत्थरबाजी जैसी घटनाएं भी देखने को मिल रही हैं, जिससे शहर का माहौल खराब हो रहा है। रुड़की अपनी पहचान प्प्ज् जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के लिए रखता है, लेकिन इस विवाद ने शहर की छवि को गहरी चोट पहुंचाई है।

कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन और विधायक उमेश कुमार के बीच लंबे समय से तनातनी बनी हुई थी। सोशल मीडिया पर दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाते आए थे, लेकिन जनवरी में यह विवाद चरम पर पहुंच गया। जब कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन ने एक पोस्ट डाली, तो उमेश कुमार अपने समर्थकों के साथ उनके महल पहुंचे और सोशल मीडिया पर लाइव आकर अपनी प्रतिक्रिया दी। इसके बाद अगली सुबह चौंपियन ने विधायक उमेश कुमार के कार्यालय पहुंचकर खुलेआम फायरिंग कर दी, जिससे मामला और भी गरमा गया।

इसके बाद स्थिति और बिगड़ गई। विधायक उमेश कुमार को पुलिस के बीच हथियार लहराते और झगड़ते हुए देखा गया। इस घटना के बाद दोनों नेताओं को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उमेश कुमार को अगले ही दिन जमानत मिल गई। वहीं, कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन अब भी जेल में बंद हैं। इस विवाद को शांत करने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत भी उत्तराखंड आए, लेकिन दोनों पक्षों में कोई समझौता नहीं हो सका। राकेश टिकैत के जाने के बाद भी सोशल मीडिया पर बयानबाजी जारी रही, जिससे मामला शांत होने के बजाय और तूल पकड़ता गया। अब अदालत ने कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन के मामले में 7 फरवरी को सुनवाई की तारीख तय की है। इस पूरे घटनाक्रम से उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है। इस संघर्ष का असर आम जनता पर भी पड़ रहा है। लगातार बढ़ती हिंसा और तनावपूर्ण माहौल के कारण स्थानीय नागरिक भय के साए में जीने को मजबूर हो गए हैं। पुलिस प्रशासन को उम्मीद है कि जल्द ही इस विवाद का हल निकलेगा, लेकिन फिलहाल शहर में तनाव की स्थिति बनी हुई है।

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