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चंद्रयान-4: भारत का ऐतिहासिक मिशन, चांद से नमूने लाकर रचेगा नया इतिहास

इसरो की नई उड़ान! 2027 में चंद्रयान-4 मिशन करेगा चांद के रहस्यों का खुलासा, वैज्ञानिकों को मिलेंगे चंद्र सतह के अनमोल नमूने, भारत रचेगा इतिहास

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में एक और बड़ा कदम उठाने का मन बना लिया है, और अब चंद्रयान-4 मिशन की तैयारियां जोरों पर हैं। भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में इस महत्वाकांक्षी मिशन की आधिकारिक घोषणा की, जिससे देशभर में उत्साह की लहर दौड़ गई है। यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि इससे वैश्विक स्तर पर भी देश की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को नई पहचान मिलेगी।

चंद्रयान-4 मिशन को 2027 में लॉन्च किए जाने की योजना बनाई गई है। इसरो इस मिशन के तहत चंद्रमा से चट्टानों के नमूने एकत्र कर उन्हें पृथ्वी पर वापस लाने की महत्वाकांक्षा रखता है। इस मिशन की खासियत यह है कि इसमें भारी लिफ्ट वाली स्टड-3 रॉकेट का उपयोग किया जाएगा, जिसे दो बार लॉन्च किया जाएगा। यह रॉकेट पांच महत्वपूर्ण घटकों को अंतरिक्ष में ले जाएगा और उन्हें कक्षा में असेंबल किया जाएगा। यह प्रक्रिया अत्यंत जटिल होगी, लेकिन इसरो के वैज्ञानिक इस चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हैं। चंद्रयान-4 का प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र से चट्टानों के नमूने इकट्ठा करना और उन्हें पृथ्वी पर अध्ययन के लिए वापस लाना है। यह प्रयास वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इससे चंद्रमा के भूगर्भीय इतिहास और संरचना को समझने में मदद मिलेगी।

मंत्री ने इस मौके पर भारत के अन्य महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष और समुद्री मिशनों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2024 में भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन, गगनयान, लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निम्नतम कक्षा तक जाएंगे और सुरक्षित रूप से वापस लौटेंगे। गगनयान मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, क्योंकि इससे देश मानवयुक्त अंतरिक्ष अन्वेषण में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएगा। यह मिशन भारत को विश्व स्तर पर अंतरिक्ष शक्तियों की श्रेणी में और मजबूती देगा।

इसके अलावा, 2026 में भारत समुद्रयान मिशन भी लॉन्च करने की योजना बना रहा है। यह मिशन वैज्ञानिकों को समुद्र की गहराइयों में भेजने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिशन के तहत तीन वैज्ञानिकों को एक विशेष पनडुब्बी में समुद्र की 6,000 मीटर गहराई तक भेजा जाएगा, जहां वे समुद्र की सबसे निचली सतह की जांच करेंगे। यह मिशन भारत को समुद्री अन्वेषण के क्षेत्र में भी एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा और समुद्र के गहरे रहस्यों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मिशन गहरे समुद्री संसाधनों, जलवायु परिवर्तन और समुद्री जैव विविधता के अध्ययन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

चंद्रयान-4 मिशन भारत का चौथा चंद्र अन्वेषण अभियान होगा। इससे पहले, चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह की विस्तृत जानकारी प्रदान की थी, जबकि चंद्रयान-2 अपने अंतिम चरण में विफल हो गया था। हालांकि, चंद्रयान-3 ने इसरो को वैश्विक मानचित्र पर गौरवपूर्ण स्थान दिलाया। इस मिशन में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बना था। वैज्ञानिकों ने इस मिशन के माध्यम से चंद्रमा के उस भाग की सतह और प्लाज़्मा का गहन अध्ययन किया था और वहां के भूगर्भीय हलचलों को भी रिकॉर्ड किया था।

अब, चंद्रयान-4 मिशन के माध्यम से भारत एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करने की ओर बढ़ रहा है। अब तक, चंद्रमा से चट्टानों के कुछ नमूने केवल अमेरिकी अपोलो और रूसी लूना मिशनों के जरिए पृथ्वी पर लाए गए थे। हालांकि, वे सभी एक समान भूवैज्ञानिक क्षेत्र से प्राप्त किए गए थे, जिससे चंद्रमा की विविध संरचना की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई थी। इसरो अब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र से नमूने लाने की योजना बना रहा है, जिससे हमें चंद्रमा के अतीत और उसकी संरचना को और गहराई से समझने में मदद मिलेगी। यह मिशन भारत को न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में भी भारत की एक महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करेगा।

चंद्रयान-4 मिशन के अलावा, इसरो की योजना भविष्य में मंगल और शुक्र जैसे अन्य ग्रहों के मिशनों पर भी केंद्रित है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रयान-4 मिशन के अनुभव से इसरो को अन्य ग्रहों की सतह से नमूने लाने के लिए जरूरी तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त होगी। इसरो की इस अद्वितीय पहल से भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति को और सुदृढ़ करेगा और अन्य प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के समकक्ष खड़ा होगा। इसरो के वैज्ञानिक और इंजीनियर इस चुनौतीपूर्ण मिशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं, और पूरी दुनिया भारत की इस उपलब्धि को देखने के लिए उत्सुक है।

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