काशीपुर(एस पी न्यूज़)। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर कानूनगोयान स्थित श्याम मॉडर्न जूनियर हाई स्कूल में एक भव्य कवि सम्मेलन ‘एक काव्य संध्या सरस्वती माँ के नाम’ का आयोजन किया गया। यह आयोजन साहित्य प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय संध्या बन गई, जहाँ देशभर से आए प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी अनमोल रचनाओं से समां बांधा। काव्य संध्या के मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय एथलीट चौधरी विजेंद्र सिंह रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि डॉ. सुरेंद्र शर्मा मधुर, श्याम मॉडर्न जूनियर हाई स्कूल की प्रबंधक श्रीमती शालिनी शर्मा, साहित्य दर्पण संस्था काशीपुर के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार कटियार, राजकीय प्राथमिक विद्यालय खरमासा के प्रधानाध्यापक अमित कुमार शर्मा और ब्राह्मण समाज काशीपुर के अध्यक्ष सुभाषचंद्र शर्मा ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। इस आयोजन की अध्यक्षता वीरेन्द्र कुमार मिश्रा ने की, जबकि संचालन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी कवि प्रतोष मिश्रा ने निभाई। कार्यक्रम का शुभारंभ आमंत्रित अतिथियों द्वारा माता सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो उठा।

कार्यक्रम की शुरुआत में कवि प्रतोष मिश्रा ने अपनी सरस्वती वंदना ‘माँ वाणी तेरे अर्चन को कुछ पुष्प मैं लाया हूँ, रूखी-सूखी आधी रोटी का भोग लगाने आया हूँ’ से की, जिससे उपस्थित दर्शकों के मन में भक्ति भाव जागृत हो गया। इसके बाद कवि सोमपाल सिंह प्रजापति ने अपनी ओजस्वी वाणी में ‘शारदे वरदान दे माँ, लिखता रहूँ तेरी छाया में हरदम, गाता रहूँ तेरी छाया में हरदम’ जैसी पंक्तियों से देवी सरस्वती का गुणगान किया। इस काव्य संध्या में हर कवि ने अपनी अलग-अलग शैली और विषयवस्तु से कार्यक्रम को रोचक और सारगर्भित बना दिया। वरिष्ठ कवि डॉ. सुरेंद्र शर्मा मधुर ने अपने मुक्तक ष्आज कैसा माहौल है भाई, दोस्ती बिल्कुल गोल है भाई, जहाँ भी बजता है भीड़ हो जाती है, ये नेता कैसा ढोल है भाईष् सुनाकर समसामयिक राजनीति पर कटाक्ष किया, जिससे श्रोता आनंदित हो उठे।
कवि वीरेन्द्र कुमार मिश्रा ने अपनी ओजस्वी शैली में ‘शराफत को मेरी कमजोरी न समझा जाए, मेरे हाथ में मशाल है, जला के राख कर दूंगा’ जैसी पंक्तियाँ प्रस्तुत कर जोश भर दिया। वहीं, कवि कैलाश यादव ने ‘है राम सिया हृदय में ऐसे पवन पुत्र हनुमान’ के माध्यम से धार्मिक आस्था को सशक्त रूप दिया। कवि प्रतोष मिश्रा ने बसंत के आगमन पर ‘खेतों-खेतों पीला सागर, सखी बसंत फिर आया है’ सुनाकर वसंत के सौंदर्य और उल्लास का अद्भुत चित्रण किया। कवि सुभाषचंद्र शर्मा ने अपनी संवेदनशील रचना ‘अब तक का जीवन था काँटे भरा’ सुनाकर जीवन की कठिनाइयों का सजीव चित्र प्रस्तुत किया। इसी क्रम में, कवि वीरेन्द्र कुमार कटियार ने अपनी कविता ‘नंगे पाँव चले जिस घर में, उसकी यादें बसी हैं मेरे दिल में’ सुनाकर भावनाओं को स्पर्श किया। कवि मुनेश शर्मा ने जीवन के अनुभवों को अपनी रचना ‘जीवन एक समागम है, जिसमें न जाने कितने लोग मिलते हैं’ में खूबसूरती से पिरोया।
इस संध्या में क्षेत्र के कई प्रतिभाशाली कवियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को विशेष बना दिया। इनमें कवि विनोद भगत, वीशू शर्मा, राजकुमार यादव, कैलाश चंद्र प्रजापति, शिवांश गोले, जतिन यादव, तेजस्व गौड़, कर्तव्य गौड़ आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे। हर कवि ने अपनी विशिष्ट शैली में प्रस्तुति देकर काव्य प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरे कार्यक्रम के दौरान श्रोता तालियों की गड़गड़ाहट और वाह-वाह के नारों से उत्साहवर्धन करते रहे। कार्यक्रम अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचा, लेकिन श्रोताओं का मन अभी भी और सुनने को आतुर था। साहित्य, संस्कृति और भक्ति से सराबोर यह काव्य संध्या निश्चित रूप से काशीपुर के साहित्यिक इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गई।