नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने केंद्रीय बजट 2025-26 में कई अहम घोषणाएँ की हैं, जो महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के उद्यमियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से की गई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने पहली बार उद्यम शुरू करने वाली पांच लाख महिलाओं और SC/ST उद्यमियों को दो करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। यह पहल महिला उद्यमियों के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई है, जिससे उन्हें अपने व्यापार को स्थापित करने और उसे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस नई योजना के तहत, महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि समाज में उनकी भूमिका भी सशक्त होगी।
महिलाओं के लिए ऋण सुविधा को सरल और सुलभ बनाने के उद्देश्य से, सरकार ने ऋण गारंटी कवर को दोगुना कर 20 करोड़ रुपये करने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त, गारंटी शुल्क को घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे महिलाओं को ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी। इस कदम से महिला उद्यमियों के बीच आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और वे वित्तीय संस्थानों से जुड़कर अपने व्यापार का विस्तार कर सकेंगी। यह योजना महिलाओं के लिए एक वरदान साबित होगी, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ महिलाओं के पास आर्थिक स्वतंत्रता के अवसर कम हैं। ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में महिला उद्यमियों को इसका विशेष लाभ मिलेगा, जिससे वे अपने समुदायों में आर्थिक योगदान दे सकेंगी।
वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि एसएमई (लघु और मध्यम उद्यम) और बड़े उद्योगों के लिए एक विनिर्माण मिशन स्थापित किया जाएगा। इस मिशन के तहत उद्योगों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और उन्हें अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कई प्रोत्साहन दिए जाएंगे। श्रम-प्रधान क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार ने सुविधाजनक उपाय करने का भी निर्णय लिया है। इन उपायों से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि उद्योगों की आय में भी वृद्धि होगी। महिला उद्यमियों के लिए यह योजना विशेष रूप से लाभकारी होगी, क्योंकि वे इन उद्योगों में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकेंगी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान की स्थापना भी एक महत्वपूर्ण पहल है, जो स्थानीय उद्यमियों को आधुनिक तकनीक और प्रबंधन कौशल से सुसज्जित करेगी। इस संस्थान के माध्यम से महिलाओं को खाद्य प्रौद्योगिकी में नवीनतम जानकारी और तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त होगी, जिससे वे अपने उद्यम को सफलतापूर्वक चला सकेंगी। यह संस्थान महिलाओं के लिए एक सीखने का केंद्र बनेगा, जहां से वे नए व्यवसायिक अवसरों का लाभ उठा सकेंगी। इस प्रकार की संस्थाएं महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी और उन्हें व्यवसाय में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगी।
विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लैंगिक समानता के मामले में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन यह अभी भी वैश्विक स्तर पर नीचे के स्थानों पर है। आर्थिक असमानता के चलते महिलाओं को समान अवसर प्राप्त नहीं हो रहे हैं, जिससे उनके उद्यमिता में शामिल होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं। वित्त मंत्री की घोषणा के बाद, इस असमानता को कम करने के प्रयासों में तेजी आएगी और महिलाओं को उनके व्यवसायिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। महिलाओं के लिए वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती होती है, और यह नई योजना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित होगी।
2022 में प्रकाशित IFC की रिपोर्ट में यह पाया गया कि भारत में लगभग 90 प्रतिशत महिला उद्यमियों ने किसी औपचारिक वित्तीय संस्थान से उधार नहीं लिया था। 2020 के लॉकडाउन के दौरान 72 प्रतिशत महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों के पास वित्तीय भंडार की कमी थी, जबकि 53 प्रतिशत पुरुष-स्वामित्व वाले व्यवसायों के पास वित्तीय भंडार नहीं था। यह आँकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि महिला उद्यमियों के पास वित्तीय संसाधनों की कमी होती है, जो उनके व्यवसाय की वृद्धि में बाधा बनती है। इस नई ऋण योजना के माध्यम से महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में सहायता मिलेगी, जिससे वे अपने उद्यम को स्थायित्व प्रदान कर सकेंगी।
भारत में महिलाओं को उनके द्वारा दी जाने वाली जमा राशि के केवल 27 प्रतिशत के बराबर ऋण मिलता है, जबकि पुरुषों को उनकी जमा राशि के 52 प्रतिशत के बराबर ऋण मिलता है। यह असमानता वित्तीय संस्थानों में व्याप्त लैंगिक भेदभाव को उजागर करती है। इस नई योजना से महिलाओं को समान रूप से ऋण प्राप्त करने का अवसर मिलेगा और वित्तीय संस्थानों में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा। महिलाओं को व्यवसाय में प्रवेश करने और सफल होने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों का लाभ मिलेगा, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे अधिक सक्षम बनेंगी।
कुल मिलाकर, बजट 2025-26 में की गई ये घोषणाएँ महिला उद्यमियों के लिए एक नई राह खोलती हैं। सरकार का यह कदम महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ समाज में उनकी प्रतिष्ठा और सम्मान को भी बढ़ावा देगा। महिलाओं के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर है, जिससे वे अपने सपनों को साकार कर सकती हैं और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत ये योजनाएँ न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगी, बल्कि भारत को एक समृद्ध और समानता से युक्त समाज बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी।