रामनगर(एस पी न्यूज़)। केंद्रीय बजट 2025-26 को लेकर प्रदेश प्रवक्ता और प्रदेश संयोजक विधी प्रकोष्ठ, यूथ कांग्रेस उत्तराखण्ड, फैजुल हक़ ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस बजट ने आम जनता की समस्याओं का समाधान करने के बजाय केवल कुछ विशेष वर्गों को फायदा पहुंचाने पर जोर दिया है। बजट में बेरोजगारी, महंगाई, कृषि क्षेत्र और मध्यम वर्ग जैसी बुनियादी समस्याओं पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिससे लाखों नागरिकों को निराशा हाथ लगी है।
फैजुल हक़ ने अपनी आलोचना में कहा कि रोजगार संकट सबसे बड़ी चिंता है, जो इस बजट में पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और युवाओं के लिए कोई ठोस रोजगार योजनाएं बजट में नहीं शामिल की गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकार की ओर से कोई सटीक रणनीति नहीं दी गई है, जिससे युवाओं को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। महंगाई पर नियंत्रण के मुद्दे को उठाते हुए फैजुल हक़ ने कहा कि बजट में महंगाई से जूझ रही जनता को राहत देने के लिए कोई ठोस नीति या योजना नहीं दी गई है। इससे मध्यम वर्ग को उम्मीद थी कि उन्हें कुछ राहत मिलेगी, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। उनके अनुसार, महंगाई की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं, जबकि आम नागरिक इसके सबसे बड़े शिकार हैं।
कृषि क्षेत्र की अनदेखी पर भी फैजुल हक़ ने सवाल उठाए। उनका कहना था कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कोई स्पष्ट योजना नहीं दी गई है, जो कि किसानों के लिए एक बड़ी निराशा है। कृषि संकट को लेकर सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन बजट में इसका कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया। फैजुल हक़ ने कहा कि यदि इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो किसान समुदाय में असंतोष बढ़ सकता है और देश की कृषि व्यवस्था और ज्यादा संकट में पड़ सकती है। मध्यम वर्ग की उपेक्षा पर भी उन्होंने चिंता जताई। फैजुल हक़ के अनुसार, टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने इस संबंध में कोई ठोस घोषणा नहीं की, जिससे वेतनभोगी वर्ग को काफी निराशा हुई। इससे यह साफ होता है कि सरकार ने इस वर्ग की परेशानियों को नजरअंदाज किया और उन्हें किसी प्रकार की राहत नहीं दी।
स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट के कम आवंटन पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उनका कहना था कि सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए पर्याप्त राशि आवंटित नहीं की गई, जिससे गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को इलाज की सुविधाएं मिलने में समस्या हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दी, जो कि महामारी के बाद एक आवश्यक कदम था। शिक्षा क्षेत्र में भी फैजुल हक़ ने बजट में कटौती की बात कही। उनके अनुसार, उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए पर्याप्त फंडिंग का अभाव था, जिससे युवाओं के भविष्य पर असर पड़ सकता है। शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार को बड़ी राशि का आवंटन करना चाहिए था, लेकिन बजट में ऐसा नहीं हुआ।
राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की कोई ठोस योजना भी बजट में नहीं दी गई है। फैजुल हक़ ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया, क्योंकि राजकोषीय घाटे से देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है। उनका मानना है कि सरकार को इस मामले में एक स्पष्ट रणनीति बनानी चाहिए थी। छोटे उद्योगों की अनदेखी और रियल एस्टेट सेक्टर को राहत न मिलने पर भी उन्होंने सरकार पर निशाना साधा। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) को प्रोत्साहन देने के बजाय बजट में इनका जिक्र तक नहीं किया गया। इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर को कोई विशेष प्रोत्साहन नहीं दिया गया, जिससे इस क्षेत्र में सुस्ती बनी रह सकती है।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान न देने का मुद्दा भी फैजुल हक़ ने उठाया। उनका कहना था कि तकनीकी और डिजिटल क्षेत्र में सुधार की जरूरत थी, लेकिन बजट में इस दिशा में कोई नई पहल नहीं दिखी। डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार को इस क्षेत्र में और सुधार करने चाहिए थे। फैजुल हक़ ने इस केंद्रीय बजट को केवल दिखावटी वादों पर आधारित बताया। उनका मानना था कि इसमें आम जनता की परेशानियों को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह बजट जनता को राहत देने के बजाय सिर्फ कुछ विशेष वर्गों के फायदे के लिए तैयार किया गया है। उनका यह भी कहना था कि इस बजट में दी गई घोषणाएं सिर्फ चुनावी दृष्टिकोण से बनाई गई हैं, जो जनता की असल समस्याओं से दूर हैं।