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गरीबों के लिए बजट का सहारा, जानें सरकार के लिए सब्सिडी क्यों बनी बड़ी चुनौती – बजट 2025

बजट 2025 में सरकार की बड़ी चुनौती – गरीबों और किसानों के लिए सब्सिडी जारी रखते हुए आर्थिक संतुलन बनाए रखना

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। बजट 2025 में सरकार की बड़ी चुनौती दृ गरीबों और किसानों के लिए सब्सिडी जारी रखते हुए आर्थिक संतुलन बनाए रखनाडी के लिए किए गए आवंटन पर होंगी। सब्सिडी, जो गरीब और जरूरतमंद वर्गों को राहत प्रदान करती है, किसी भी सरकार के लिए एक अहम आधार बनती है। केंद्र सरकार फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर के रूप में तीन प्रमुख सब्सिडी प्रदान करती है। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा फूड सब्सिडी का होता है, जिसका उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराना है। इसके बाद फर्टिलाइजर सब्सिडी आती है, जो भारतीय किसानों को सस्ते उर्वरक उपलब्ध कराती है। वहीं, फ्यूल सब्सिडी का उद्देश्य गरीब वर्ग पर ऊर्जा की लागत का बोझ कम करना है।

पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने रिकॉर्ड 48 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जिसमें 37 लाख करोड़ रुपये से अधिक राजस्व खर्च के लिए और 11 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च के लिए आवंटित किए गए। हालांकि, राजस्व खर्च से सरकार के लिए किसी संपत्ति का निर्माण नहीं होता, लेकिन यह वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान और सब्सिडी जैसी योजनाओं के लिए अहम है। इस बार 37 लाख करोड़ रुपये के राजस्व खर्च में से 4.28 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी पर खर्च किए जाने का अनुमान है। सब्सिडी पर सरकार का यह खर्च गरीब और जरूरतमंदों को सीधे तौर पर राहत देने का प्रयास है। यह आंकड़ा बताता है कि हर 10 रुपये के खर्च में से सरकार 1 रुपये को गरीब और जरूरतमंद वर्गों के लिए सब्सिडी के रूप में खर्च करती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत, केंद्र सरकार को हर साल संसद में अपने कुल प्राप्तियों और व्ययों को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में पेश करना आवश्यक है।

फूड सब्सिडी सरकार के सब्सिडी बिल का सबसे बड़ा हिस्सा है। वित्त वर्ष 2022-23 में फूड सब्सिडी के लिए 2.73 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। हालांकि, अगले वर्ष सरकार ने इस खर्च को 75,000 करोड़ रुपये कम करने का लक्ष्य रखा, लेकिन वास्तविक आंकड़ों में यह बढ़कर 2.12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। मौजूदा वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा कितना होगा, यह अगले महीने के बजट में पता चलेगा। फर्टिलाइजर सब्सिडी दूसरा सबसे बड़ा खर्च है। यह सब्सिडी सीधे किसानों को न देकर उर्वरक उत्पादकों को दी जाती है। चालू वित्त वर्ष में फर्टिलाइजर सब्सिडी पर सरकार ने 1.65 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पिछले वर्षों में इस क्षेत्र में बजटीय आवंटन और वास्तविक खर्च में बढ़ोतरी देखने को मिली है। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2023-24 में फर्टिलाइजर सब्सिडी के लिए आवंटित राशि 1.31 लाख करोड़ रुपये थी, लेकिन अंतिम खर्च में यह बढ़कर 1.75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

फ्यूल सब्सिडी का भार पिछले कुछ वर्षों में काफी कम हुआ है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों के विनियमन के बाद सरकार को इस क्षेत्र में राहत मिली है। चालू वित्तीय वर्ष में एलपीजी सब्सिडी पर सरकार ने केवल 12,000 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान लगाया है। हालांकि, बढ़ती महंगाई और घरेलू गैस की मांग को देखते हुए यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। इसके अलावा, केंद्र सरकार अन्य सब्सिडी पर लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। इसमें ब्याज सब्सिडी, छात्रवृत्ति, आवास योजनाएं और मूल्य स्थिरीकरण निधि जैसी योजनाएं शामिल हैं। सरकार बाजार हस्तक्षेप योजनाओं के तहत मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए वस्तुओं की खरीद करती है और उन्हें रियायती दरों पर बेचती है। कुल मिलाकर, सरकार का सब्सिडी बिल गरीबों और किसानों के लिए राहत देने वाला है। लेकिन यह भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य है कि इन सब्सिडी योजनाओं के माध्यम से लक्षित वर्गों तक पूरी सहायता पहुंचे। आगामी बजट में वित्त मंत्री इन सब्सिडी योजनाओं के लिए कितनी राशि आवंटित करती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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