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कुंवर प्रणव चौंपियन ने पत्र भेजकर लक्सर महापंचायत को टालने की अपील की, बेटे को आशीर्वाद देने का आग्रह

प्रणव चैंपियन का महापंचायत टालने का अनुरोध, बेटे की सफलता और सम्मान की रक्षा की अपील

हरिद्वार(सुरेन्द्र कुमार)। उत्तराखंड के चर्चित नेता और पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन, जो इन दिनों हरिद्वार की रोशनाबाद जेल में बंद हैं, ने एक पत्र भेजकर लक्सर में होने वाली महापंचायत को टालने की अपील की है। उन्होंने अपनी पत्नी देवयानी के माध्यम से यह संदेश गुर्जर समाज के लोगों तक पहुँचाया, जिसमें उन्होंने 29 जनवरी को आयोजित होने वाली महापंचायत को टालने की विनती की। उनका कहना था कि इस समय प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राष्ट्रीय खेलों का आयोजन करवा रहे हैं और उनका बेटा कुंवर दिव्य प्रताप सिंह भी इस आयोजन में शूटिंग प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहा है। ऐसे में वह चाहते हैं कि महापंचायत को कुछ समय के लिए स्थगित किया जाए, ताकि समाज की एकजुटता बनी रहे और उनके बेटे को आशीर्वाद मिल सके।

पत्र में प्रणव चौंपियन ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे इस समय उनके परिवार के लिए शुभकामनाएं भेजें और उनकी कार्यों की सराहना करें। उन्होंने विशेष रूप से अपने बेटे दिव्य प्रताप को आशीर्वाद देने की अपील की, जो इस राष्ट्रीय खेलों में भाग ले रहा है। उन्होंने समाज के लोगों से यह भी कहा कि उनका बेटा इस प्रतियोगिता में जीत हासिल कर, देश का नाम रोशन करे। पत्र में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके द्वारा किए गए कार्यों पर उन्हें कोई पछतावा नहीं है। कुंवर प्रणव चौंपियन ने कहा, ष्हम क्षत्रिय हैं और क्षत्रिय अपना अपमान बर्दाश्त नहीं करते हैं। अगर मैंने अपने सम्मान की रक्षा के लिए जो किया, वह सही किया।ष् उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय खेलों का समर्थन करना उनका फर्ज बनता है, और इसी कारण उन्होंने महापंचायत को स्थगित करने का अनुरोध किया।

26 जनवरी को हरिद्वार जिले के खानपुर क्षेत्र में पूर्व विधायक प्रणव सिंह चौंपियन और वर्तमान विधायक उमेश कुमार के बीच एक बड़े विवाद की घटना घटी थी। इस विवाद में चौंपियन ने उमेश कुमार के कार्यालय पर जाकर न केवल मारपीट की, बल्कि गोलीबारी भी की। इस घटनाक्रम का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिससे मामले ने और तूल पकड़ा। चौंपियन के समर्थकों ने इसे एक व्यक्तिगत लड़ाई और सम्मान की रक्षा का मामला बताया, जबकि विपक्ष ने इसे पूरी तरह से कानून व्यवस्था का उल्लंघन और राज्य की शांति के लिए खतरा करार दिया। उमेश कुमार के कार्यालय पर की गई गोलीबारी ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी थी, और इसके बाद से ही चौंपियन और उमेश कुमार के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई थी। इस घटना के बाद से चौंपियन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी शुरू हो गई थी, और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, चौंपियन का कहना है कि उन्होंने जो भी कदम उठाया, वह सम्मान की रक्षा के लिए था और उन्हें इस पर कोई पछतावा नहीं है।

अब जबकि चौंपियन ने महापंचायत को स्थगित करने की अपील की है, यह सवाल उठता है कि क्या उनके समर्थक इस अपील को स्वीकार करेंगे या यह विवाद और गहरा होगा। चौंपियन के पत्र और उनके बयानों से यह साफ है कि वह अपनी छवि और समाज में अपनी स्थिति को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं, विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस पत्र से चौंपियन की मंशा यह जताना है कि वह आने वाले समय में अपने राजनीतिक कदमों को और ज्यादा संतुलित और व्यावहारिक तरीके से उठाना चाहते हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। महापंचायत को टालने की चौंपियन की अपील के बाद, प्रदेश के गुर्जर समाज में विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे एक सकारात्मक कदम मानते हुए समर्थन दे रहे हैं, जबकि अन्य इसे केवल एक राजनीतिक स्टंट मान रहे हैं। चौंपियन की पत्नी देवयानी ने भी यह बताया कि इस समय उनके परिवार के लिए यह जरूरी है कि वे प्रदेश के राष्ट्रीय खेलों का समर्थन करें और समाज की एकता बनाए रखें।

उम्मीद की जा रही है कि इस अपील के बाद गुर्जर समाज के प्रमुख नेता और विधायक आगामी दिनों में इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे और समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने के प्रयास करेंगे। वहीं, इस घटना के राजनीतिक और सामाजिक असर को लेकर भी कई बातें हो रही हैं, जिन पर आने वाले समय में और भी बहस हो सकती है।

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