काशीपुर(एस पी न्यूज़)। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं आदरणीय निरंकारी राजपिता जी के पावन सान्निध्य में सोमवार, 27 जनवरी को आयोजित सामूहिक विवाह समारोह ने एक नई मिसाल पेश की। इस भव्य आयोजन में देशभर के विभिन्न राज्यों और विदेशों से कुल 93 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के विधिवत समापन के बाद, पिंपरी पुणे स्थित मिलिटरी डेअरी फार्म ग्राउंड पर आयोजित इस समारोह ने समग्र समाज को सादगी और प्यार का सशक्त संदेश दिया। यह अद्वितीय विवाह समारोह, जहां जीवन के सबसे महत्वपूर्ण फैसले को पारंपरिक और साधारण तरीके से लिया गया, सभी के लिए एक अत्यंत प्रेरणादायक अनुभव था।
इस सामूहिक विवाह समारोह में भाग लेने वाले 93 युगलों में महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना और विदेशों से भी वर-वधू शामिल हुए। इन सबका विवाह निरंकारी पद्धति के तहत हुआ, जो जाति, धर्म और भेदभाव से परे एकात्मता का प्रतीक है। इस अवसर पर निरंकारी मिशन की शिक्षाओं के अनुरूप एक आदर्श गृहस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए इन जोड़ों ने पवित्र वचन लिए। नव विवाहित वर-वधुओं को सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने आशीर्वाद देते हुए उन्हें जीवन में परस्पर प्रेम और भक्ति भाव से युक्त होकर कर्तव्यों का पालन करने का मार्गदर्शन दिया।

सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने नव विवाहित जोड़ों को उनके परिवारों का अभिनंदन करते हुए यह भी कहा कि निरंकारी पद्धति द्वारा सादे विवाह को अपनाना ही जीवन की सच्ची दिशा है। उन्होंने इन विवाहों को सामाजिक एकता का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह विचारधारा लोगों के दिलों में प्रेम, भाईचारे और समानता का संदेश फैला रही है। यह एक अहम कदम है, जो समाज में जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में बड़ा बदलाव ला सकता है। माता जी ने अपने आशीर्वाद में यह भी कहा कि परिवारों को एक-दूसरे का सम्मान करते हुए सामूहिक रूप से सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में काम करना चाहिए।
कार्यक्रम में एक और विशेष घटना देखने को मिली, जब सभी नवविवाहितों को पारंपरिक जयमाला पहनाने के बाद निरंकारी विवाह का प्रतीक सांझा-हार भी पहनाया गया। यह हार एक अनमोल चिन्ह था, जो मिशन के प्रतिनिधियों द्वारा प्रत्येक जोड़े को सौंपा गया। इस क्षण ने विवाह समारोह को एक और अद्वितीय रूप प्रदान किया और यह एक यादगार पल बन गया। साथ ही, विवाह समारोह के बाद एक अनूठी परंपरा का पालन करते हुए निरंकारी लावें पढ़ी गई, जिससे गृहस्थ जीवन की सही राह को स्पष्ट रूप से समझाया गया।

समारोह के दौरान सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता रमित जी ने वर-वधू पर पुष्प वर्षा कर उन्हें दिव्य आशीर्वाद प्रदान किया। यह दृश्य सचमुच अलौकिक था, जब कार्यक्रम में उपस्थित परिवारजनों और साध संगत ने भी पुष्प वर्षा की। एक तरफ जहां नव विवाहित जोड़ों के चेहरे पर खुशी और आशीर्वाद की चमक थी, वहीं दूसरी ओर उपस्थित सभी साध संगत भी इस सुखद अवसर का हिस्सा बनने में गर्व महसूस कर रहे थे। यह एक अद्भुत अनुभव था, जो शायद जीवनभर कभी भूलने वाला नहीं होगा।
सामूहिक विवाह के इस महान अवसर पर महाराष्ट्र के पुणे, कोल्हापुर, सोलापुर, सातारा, डोंबिवली, छत्रपती संभाजीनगर, अहिल्यानगर, धुले, नासिक, नागपुर, वारसा, चिपलुन और खरसई सहित अन्य स्थानों से जोड़े शामिल हुए। इसके अलावा, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना जैसे विभिन्न राज्यों से भी जोड़े आए, और यह दर्शाता है कि निरंकारी मिशन की पहुंच अब केवल महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे देश और विदेशों में भी इसकी लोकप्रियता और शिक्षाओं का प्रभाव बढ़ रहा है। इस समागम में देश-विदेश से आए वर-वधुओं को विवाह के बाद सामाजिक समरसता और एकता की भावना का अहसास हुआ।

निरंकारी पद्धति के तहत आयोजित इस सामूहिक विवाह समारोह ने सादे शादियों की एक नई परंपरा स्थापित की है। इसमें वर-वधू के परिवारों ने धूमधाम और आडंबर से परे एक आदर्श विवाह के रूप में इस पद्धति को अपनाया। यह समारोह दर्शाता है कि सादा जीवन और उच्च विचार के साथ किसी भी रिश्ते को मजबूत और स्थिर बनाया जा सकता है। इस प्रकार के विवाह समाज में जातिवाद, वर्ण व्यवस्था और भेदभाव को समाप्त करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। इसके माध्यम से समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाया जा सकता है।
यह आयोजन समाज के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरा है और इसने यह सिद्ध कर दिया कि केवल शाही विवाह ही नहीं, बल्कि साधारण तरीके से की गई शादियां भी उतनी ही सुखद और सफल हो सकती हैं। इस विवाह समारोह के द्वारा निरंकारी मिशन ने एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश दिया कि सादा विवाह समाज में समरसता और प्रेम का आदर्श प्रस्तुत कर सकते हैं।