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उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य आगाज, देशभर के खिलाड़ी देंगे दमखम का प्रदर्शन

देवभूमि उत्तराखंड में पहली बार 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन, 17,000 से ज्यादा खिलाड़ी दिखाएंगे अपना जलवा

राामनगर(एस पी न्यूज़)। देश और दुनिया की निगाहें इस समय देवभूमि उत्तराखंड पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यहां 28 जनवरी से 38वें राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ होने जा रहा है। यह पहला अवसर है जब उत्तराखंड अपने इतिहास में इस भव्य आयोजन की मेजबानी कर रहा है। यह आयोजन न केवल प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में राज्य सरकार ने इस आयोजन को ऐतिहासिक और भव्य बनाने के लिए हर संभव तैयारी की है।

राष्ट्रीय खेलों में देश भर से 9545 खिलाड़ी उत्तराखंड की धरती पर अपने हुनर और ताकत का प्रदर्शन करेंगे। कुल मिलाकर इस आयोजन में 16,000 से अधिक लोग शामिल होंगे, जिनमें खिलाड़ी, तकनीकी अधिकारी और सपोर्ट स्टाफ भी शामिल हैं। अब तक 8627 खिलाड़ियों ने अपने नामांकन की प्रक्रिया पूरी कर ली है, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इस आयोजन में कुल 34 खेलों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें 4701 महिला और 4844 पुरुष खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।

इस राष्ट्रीय आयोजन में एथलेटिक्स सबसे बड़ा खेल होगा, जिसमें 700 से अधिक खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा वुशु, शूटिंग, बैडमिंटन, फुटबॉल, रग्बी, वेटलिफ्टिंग, स्क्वैश, बॉक्सिंग, योगासन, रोइंग और हॉकी जैसे प्रमुख खेलों में भी खिलाड़ियों का जबरदस्त उत्साह देखने को मिलेगा। कुल मिलाकर, यह आयोजन विभिन्न खेल विधाओं के माध्यम से भारत की खेल प्रतिभा को एक मंच प्रदान करेगा।

उत्तराखंड के खेल विभाग ने इस मेगा इवेंट को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। खेल विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने सभी राज्यों के संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे खिलाड़ियों और अधिकारियों की विस्तृत जानकारी को जीएमएस पोर्टल पर जल्द से जल्द अपलोड करें। इससे न केवल खिलाड़ियों की सुविधाओं का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा, बल्कि आयोजन के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा से बचा जा सकेगा।

इस आयोजन की एक और खासियत यह है कि डे-नाइट प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी। सभी खेल मैदानों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है, जिनमें विशेष प्रकार की लाइटिंग सिस्टम का उपयोग किया गया है। इन लाइटों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वे खिलाड़ियों को नेचुरल फील दें और खेल के दौरान किसी भी प्रकार की छाया या रोशनी से परेशानी न हो। सुबह 6 बजे से देर रात तक प्रतियोगिताएं चलेंगी, जिसमें एथलेटिक्स, रग्बी, आर्चरी, फुटबॉल और हॉकी जैसे आउटडोर खेल शामिल हैं। राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी उत्तराखंड के लिए सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह आयोजन न केवल राज्य के खेल इतिहास को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि इससे पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार ने इस आयोजन के माध्यम से देश-विदेश से आने वाले खिलाड़ियों और पर्यटकों के लिए उत्तराखंड की संस्कृति और मेहमाननवाजी को प्रदर्शित करने का अवसर तैयार किया है।

इसके साथ ही, यह आयोजन उत्तराखंड के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को अपने सामने खेलते देखना, युवा पीढ़ी को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करेगा। राज्य सरकार ने इसके लिए स्थानीय युवाओं को भी आयोजन में शामिल किया है। वॉलंटियर्स के रूप में शामिल इन युवाओं को खेल आयोजन का अनुभव मिलेगा, जो उनके भविष्य के लिए लाभदायक होगा। राष्ट्रीय खेलों की तैयारियों में राज्य सरकार ने पर्यावरण के प्रति भी विशेष संवेदनशीलता दिखाई है। आयोजन स्थलों पर पर्यावरण के अनुकूल सुविधाएं विकसित की गई हैं और कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह पहल उत्तराखंड की हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित रखने के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इस आयोजन में भाग लेने वाले खिलाड़ियों और अधिकारियों को उच्च स्तरीय सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। उनके रहने, खाने-पीने और स्वास्थ्य संबंधी सभी आवश्यक व्यवस्थाओं का ध्यान रखा गया है। प्रतियोगिताओं के दौरान मेडिकल टीम्स और एम्बुलेंस की तैनाती भी सुनिश्चित की गई है। उत्तराखंड में पहली बार आयोजित हो रहे इस राष्ट्रीय खेल आयोजन के प्रति लोगों में जबरदस्त उत्साह है।

स्थानीय नागरिकों से लेकर राज्य सरकार के अधिकारी तक, सभी इसे सफल बनाने में जुटे हुए हैं। यह आयोजन न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। यह न केवल भारतीय खेलों को बढ़ावा देगा, बल्कि देश में खेल संस्कृति को भी मजबूत करेगा। आगामी कुछ दिनों में उत्तराखंड खेलों के रंग में डूबा रहेगा। इस आयोजन की सफलता न केवल राज्य सरकार की योजना और मेहनत का परिणाम होगी, बल्कि यह उत्तराखंड की जनता के समर्थन और सहयोग का भी प्रतीक बनेगी। 38वें राष्ट्रीय खेल निस्संदेह उत्तराखंड के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किए जाएंगे।

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