नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। भारत ने आज 76वां गणतंत्र दिवस बड़े धूमधाम और गर्व के साथ मनाया, जिसमें देश की गौरवपूर्ण परंपराओं और सैन्य शक्ति का अद्वितीय प्रदर्शन किया गया। इस वर्ष की परेड में जोश और उत्साह का माहौल था, जहां कर्तव्य पथ पर देश की सांस्कृतिक समृद्धि, एकता, और विकास का अद्भुत मिश्रण देखने को मिला। गणतंत्र दिवस परेड का मुख्य आकर्षण सैन्य परेड और विभिन्न झांकियां थीं, जो भारत के विविधतापूर्ण सांस्कृतिक धरोहर और उसकी सैन्य ताकत का प्रतीक थीं। इस वर्ष इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में उपस्थित हुए, जो इस अवसर को और भी खास बना गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस ऐतिहासिक दिन की शुरुआत करते हुए राष्ट्रीय ध्वज फहराया और परेड की अध्यक्षता की। इसके बाद 21 तोपों की सलामी दी गई और राष्ट्रगान गाया गया, जिससे माहौल में और भी राष्ट्रीय गौरव की भावना पैदा हो गई।
गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के विभिन्न सैनिकों और उपकरणों ने अपनी शक्ति और तत्परता का परिचय दिया। इस बार की परेड में खासतौर पर तीनों सेनाओं की एकता को दर्शाते हुए एकीकृत संचालन कक्ष की झांकी पेश की गई, जो संचार और नेटवर्किंग के माध्यम से सैन्य सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। यह झांकी श्सशक्त और सुरक्षित भारतश् के विषय पर आधारित थी, जो देश की सैन्य ताकत और सुरक्षा को दर्शाता है। इस परेड का विषय भारतीय सेना के भीतर सशस्त्र बलों के बीच सहयोग और संचार को बढ़ावा देने का था। खासकर इस बार की परेड में भारतीय वायुसेना ने अपनी ताकत और उच्चतम तकनीकी क्षमताओं का बेहतरीन प्रदर्शन किया। 22 लड़ाकू विमानों, 11 परिवहन विमानों और 7 हेलीकॉप्टरों सहित कुल 40 विमान कर्तव्य पथ पर उड़ान भरते हुए नजर आए। इसके साथ ही, अपाचे हेलीकॉप्टरों का शानदार प्रदर्शन भी सभी को हैरान करने वाला था, जिन्होंने अपनी मारक क्षमता और विमानन कौशल का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
वहीं, भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध इतिहास की झांकी भी परेड का अहम हिस्सा बनी। उत्तराखंड की झांकी ने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और साहसिक पर्यटन को प्रस्तुत किया, जिसमें राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और साहसिक खेलों को दर्शाया गया। इस झांकी ने यह दिखाया कि किस प्रकार उत्तराखंड की विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक संसाधन, साहसिक पर्यटन के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहे हैं। बीएसएफ की ऊंट टुकड़ी के साथ-साथ एनसीसी की टुकड़ी ने भी परेड में भाग लिया, जिसमें युवाओं का उत्साह और जोश देखने लायक था। इस बार, एनसीसी के युवाओं ने कर्तव्य पथ पर अपनी शानदार प्रस्तुति दी, जिससे परेड में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। यह प्रदर्शन इस बात का प्रतीक था कि भारतीय सेना और समाज का एक सशक्त और समृद्ध भविष्य है, जहां युवा पीढ़ी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।
परेड में तकनीकी क्षेत्र की नायाब पेशकशों ने भी सबका ध्यान खींचा। ब्रह्मोस मिसाइल और पिनाका मल्टी-लॉन्चर रॉकेट प्रणाली जैसे अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया गया, जो भारतीय सेना की मिसाइल शक्ति और रक्षात्मक क्षमता को साबित करते हैं। इसके अलावा, कर्तव्य पथ पर ऑल-टेरेन व्हीकल (एटीवी) श्चेतकश् और श्कपिध्वजश् का प्रदर्शन किया गया, जो विशेष रूप से उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्धाभ्यास के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह दर्शाता है कि भारतीय सेना हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। इसके बाद, लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल, बजरंग और व्हीकल माउंटेड इन्फैंट्री मोर्टार सिस्टम, ऐरावत का भी प्रदर्शन किया गया, जो भारतीय सेना की उच्चतम तकनीकी क्षमता को दर्शाते हैं। इस परेड में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भारतीय रक्षा क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण नवाचारों का भी प्रदर्शन किया गया। स्वदेशी रूप से निर्मित क्विक रिएक्शन फोर्स व्हीकल (हैवी) श्नंदीघोषश् और श्त्रिपुरांतकश् ने यह साबित किया कि भारत अब अपनी रक्षा आवश्यकताओं को स्वयं पूरा करने के लिए सक्षम है।
इंडोनेशियाई सैन्य अकादमी (अकमिल) और मार्चिंग टुकड़ी के 190 सदस्यीय बैंड दल ने भी इस ऐतिहासिक अवसर पर अपनी प्रस्तुति दी। इन कलाकारों ने भारतीय और इंडोनेशियाई संस्कृति का सुंदर मिश्रण पेश किया, जिससे परेड में एक अंतर्राष्ट्रीय तत्व भी जुड़ गया। गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत 300 कलाकारों के एक समूह द्वारा स्वदेशी वाद्ययंत्रों के साथ की गई, जो संस्कृति मंत्रालय द्वारा लाए गए थे। इन वाद्ययंत्रों का मिश्रण देश की सांस्कृतिक धरोहर और उसकी समृद्ध संगीत परंपरा को सम्मानित करता है। कुल मिलाकर, 76वां गणतंत्र दिवस परेड भारतीय लोकतंत्र की शक्ति, समृद्धि और एकता का प्रतीक था, जिसने यह साबित किया कि भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है और एक सशक्त राष्ट्र बनने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।