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मोदी सरकार का बड़ा कदम, लेबर कोड से श्रमिकों और कारोबारियों के लिए नई उम्मीदें

बजट 2025 में लेबर कोड लागू करने का ऐलान, कर्मचारियों और कारोबारियों के लिए नए नियम तय होंगे

नई दिल्ली(स्वाीत गुप्ता)। आगामी वित्तीय वर्ष के लिए मोदी सरकार के बजट में एक बड़ा ऐलान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट 2025 में लेबर कोड के नए नियमों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का ऐलान कर सकती हैं। यह घोषणा भारतीय श्रमिकों और व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है। इन नए नियमों के तहत कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ सकते हैं, वहीं हफ्ते में चार दिन काम करने का विकल्प भी दिया जा सकता है। हालांकि, यदि कर्मचारियों के भविष्य निधि (पीएफ) में ज्यादा पैसा कटेगा, तो उनकी मासिक सैलरी में कमी भी हो सकती है। इस योजना को लागू करने का उद्देश्य कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को और मजबूत करना और साथ ही व्यापारिक गतिविधियों को सरल बनाना है।

नई लेबर कोड की योजना को तीन चरणों में लागू करने का प्रस्ताव है, जिससे विभिन्न आकार की कंपनियों को समय मिल सकेगा और वे इन नए नियमों का पालन कर सकें। पहले चरण में 500 से ज्यादा कर्मचारियों वाली बड़ी कंपनियों को इस कोड का पालन करना अनिवार्य होगा। इसके बाद, दूसरे चरण में 100 से 500 कर्मचारियों वाली कंपनियों को इसे लागू करना होगा। तीसरे और अंतिम चरण में 100 से कम कर्मचारियों वाली छोटी कंपनियां इस कोड के दायरे में आएंगी। यह योजना छोटे और मंझले कारोबारियों को नए नियमों को समझने और अपनाने का पर्याप्त समय देगी, जिससे वे आसानी से इस बदलाव को स्वीकार कर सकेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, छोटे कारोबारियों को इन नए नियमों को लागू करने के लिए करीब दो साल का समय दिया जाएगा। इस समयावधि में वे अपने कार्यस्थलों पर नए श्रम कानूनों को लागू करने में सक्षम होंगे। भारत के व्यवसायिक ढांचे में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम) का योगदान लगभग 85 फीसदी है, और ये छोटे कारोबारी देश की आर्थिक धारा के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। इस फैसले से न केवल कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि व्यवसायिक क्षेत्र में भी यह नियमों का पालन करते हुए स्थिरता आएगी।

लेबर कोड क्या हैं और क्यों आवश्यक हैं? भारत सरकार ने अपने पुराने 29 श्रम कानूनों को संकलित करके इन्हें चार प्रमुख लेबर कोड में समाहित किया है। ये कोड भारत के श्रमिकों और कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित करने के लिए बनाए गए हैं। इन कोडों का उद्देश्य न केवल श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना है, बल्कि व्यापारियों और कंपनियों को भी एक सरल और स्पष्ट कार्य वातावरण देना है। मजदूरी संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता इन चार कोडों में शामिल हैं।

मजदूरी संहिता का उद्देश्य कर्मचारियों को उनकी मेहनत का उचित पारिश्रमिक दिलवाना है। वहीं, सामाजिक सुरक्षा संहिता उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बनाई गई है, ताकि कर्मचारी किसी भी दुर्घटना या बीमारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठा सकें। औद्योगिक संबंध संहिता से उद्योगों में श्रमिकों और मालिकों के बीच विवादों को सुलझाना आसान होगा, जिससे कामकाजी माहौल बेहतर बनेगा। साथ ही, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता यह सुनिश्चित करेगी कि कर्मचारियों को सुरक्षित और स्वास्थ्यकर कार्य वातावरण मिले।

इस नई श्रमिक नीति के लागू होने से जहां एक ओर कर्मचारियों को बेहतर लाभ और सुरक्षा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर कारोबारियों के लिए भी यह बदलाव लाभकारी होगा। वे अब श्रमिकों के साथ बेहतर औद्योगिक संबंध बना सकेंगे और उनके लिए बेहतर कार्य स्थितियां प्रदान कर सकेंगे। यह सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय श्रमिक वर्ग और कारोबारी वर्ग के लिए लंबे समय तक प्रभावी रहेगा। अगर यह बजट में लागू होता है, तो यह भारतीय श्रमिकों के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है।

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