नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। भारतीय राजनीति में हाल ही में विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ब्लॉक को लेकर कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने के लिए बने इस गठबंधन को लेकर अब दरारें उभरने लगी हैं। प्रमुख विपक्षी नेताओं ने इस गठबंधन की मजबूती पर सवाल उठाए हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, उमर अब्दुल्ला और संजय राउत जैसे दिग्गज नेताओं ने इस पर अपनी चिंता व्यक्त की है। हालांकि, कांग्रेस ने इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि इंडिया ब्लॉक पूरी तरह से एकजुट है और आगामी बजट सत्र में सरकार के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहेगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि गठबंधन में किसी तरह की दरार नहीं है और सभी विपक्षी दल एक मंच पर आकर जनता के मुद्दों को संसद में उठाएंगे। 30 जनवरी को कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक करेंगी, जिसमें बजट सत्र के लिए रणनीति तय की जाएगी। वहीं, 2 फरवरी को मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी अन्य नेताओं के साथ बैठकर सत्र के दौरान सरकार को घेरने की योजना बनाएंगे। विपक्षी दल अर्थव्यवस्था की स्थिति, महंगाई, बेरोजगारी और किसानों व छात्रों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाने की तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस के अनुसार, यह समय संविधान की रक्षा का है और विपक्षी दल इसे लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
हालांकि, हाल ही में कुछ घटनाओं ने इंडिया ब्लॉक की एकता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस द्वारा आम आदमी पार्टी के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के कारण गठबंधन में खटास आ गई है। आप और टीएमसी सहित कई सहयोगी दलों ने कांग्रेस के इस रुख पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यदि कांग्रेस और आप लोकसभा चुनाव में एक साथ थे, तो अब एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलना गठबंधन की मूल भावना के खिलाफ जाता है। इस मतभेद ने इंडिया ब्लॉक की दीर्घकालिक रणनीति पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि क्षेत्रीय दलों की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं और वे अपने स्थानीय एजेंडों को आगे बढ़ाने में अधिक रुचि रखते हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का नेतृत्व कर रही है, जबकि क्षेत्रीय दल अपनी राजनीतिक जरूरतों के अनुसार बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आप ने पहले ही पंजाब में अलग से चुनाव लड़ा था और दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने की घोषणा कर चुकी है। ऐसे में कांग्रेस को अपनी रणनीति तय करनी होगी।
आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा है कि आप को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसने पिछले 11 वर्षों में दिल्ली में क्या विकास कार्य किए हैं। पार्टी का कहना है कि वह केवल जनता की आवाज उठा रही है और उनकी समस्याओं को सामने ला रही है। वहीं, इस पूरे घटनाक्रम का दिलचस्प पहलू यह है कि संसद का बजट सत्र दिल्ली चुनाव से ठीक पहले हो रहा है, जिससे राजनीतिक सरगर्मियां और बढ़ गई हैं। इस बीच, कांग्रेस 27 जनवरी को मध्य प्रदेश के महू में एक महत्वपूर्ण रैली करने जा रही है, जहां पार्टी संविधान बचाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा करेगी।
इंडिया ब्लॉक को लेकर बनी राजनीतिक अस्थिरता ने विपक्षी दलों के बीच मतभेद को उजागर कर दिया है। हालांकि, कांग्रेस की कोशिश है कि गठबंधन को एकजुट रखा जाए और आगामी चुनावों में बीजेपी को कड़ी चुनौती दी जाए। अब देखना होगा कि विपक्षी दल अपने मतभेदों को भुलाकर एकजुट रह पाते हैं या नहीं।