नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। केंद्र सरकार 2025 के बजट सत्र में एक नए आयकर कानून को पेश करने की तैयारी कर रही है। इस कानून का प्रमुख उद्देश्य मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 को सरल और समझने में आसान बनाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 के बजट भाषण में इस योजना का उल्लेख किया था, और अब इसे लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार का लक्ष्य है कि नए कानून के माध्यम से करदाताओं को अधिक पारदर्शिता और सुविधा प्राप्त हो। यह परिवर्तन न केवल कर प्रणाली को सरल बनाएगा बल्कि टैक्स भरने की प्रक्रिया को भी पहले से कहीं ज्यादा प्रभावी और सहज बना देगा।
इस वर्ष का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें कई महत्वपूर्ण घोषणाओं की उम्मीद है। पहला भाग 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलेगा, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के संयुक्त अधिवेशन में संबोधित करेंगी। इसके बाद आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया जाएगा और फिर 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया जाएगा। इस दौरान, नए आयकर कानून के बारे में भी आधिकारिक जानकारी दी जा सकती है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आगामी बजट में करदाताओं को अधिक राहत मिले और जटिलताओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएं।
आयकर कानून के सुधार की दिशा में सबसे बड़ा बदलाव यह होगा कि वर्तमान में मौजूद जटिलताओं को कम किया जाएगा। सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि करदाता को कम शब्दों में और अधिक स्पष्टता के साथ जानकारी प्रदान की जाए। इसके साथ ही टैक्स कानून में लगभग 60 प्रतिशत तक पृष्ठों की संख्या को घटाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि लोग इसे आसानी से समझ सकें। नए कानून में अनावश्यक प्रावधानों को समाप्त करने और मुकदमेबाजी को कम करने के प्रयास भी किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि इससे टैक्सपेयर्स को अधिक सुविधा मिलेगी और वे अपने टैक्स दायित्वों को सही ढंग से पूरा कर सकेंगे।
आगामी बजट में टैक्स स्लैब में बदलाव की संभावना भी जताई जा रही है, जिससे करदाताओं को राहत मिल सकती है। वर्तमान में 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता, और इस सीमा को बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा, स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 75,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये किए जाने की संभावना है, जो कि करदाताओं के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है। इसके अलावा, 20 प्रतिशत टैक्स स्लैब की सीमा को 12-15 लाख रुपये से बढ़ाकर 15-20 लाख रुपये तक करने की योजना है, जिससे उच्च आय वर्ग के लिए भी राहत मिल सकती है। इन बदलावों से न केवल करदाताओं को राहत मिलेगी बल्कि वे अपनी बचत को बढ़ाकर अधिक खर्च कर पाएंगे, जो अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी होगा।
नए आयकर कानून को प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने लोगों और उद्योग जगत से करीब 6,500 सुझाव प्राप्त किए हैं। इन सुझावों में मुख्य रूप से भाषा के सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी और अनुपालन में राहत देने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा, अप्रचलित प्रावधानों को हटाने पर भी ध्यान दिया जाएगा। सरकार का उद्देश्य है कि यह नया कानून हर एक करदाता के लिए अधिक सहज और प्रभावी हो, ताकि कर भुगतान की प्रक्रिया को किसी भी प्रकार की जटिलता से बचाया जा सके। इन सुधारों के माध्यम से सरकार वित्तीय प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और कार्यक्षम बनाने की कोशिश कर रही है।
इन सब परिवर्तनों का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था को गति देना है। सरकार चाहती है कि करदाताओं को अतिरिक्त राहत मिले ताकि वे अधिक खर्च कर सकें, जिससे आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होगा। टैक्स स्लैब में बदलाव और स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा में वृद्धि से टैक्सपेयर्स को वित्तीय राहत मिलेगी, जिससे वे अपनी व्यक्तिगत और व्यवसायिक जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकेंगे। यह कदम देश की जीडीपी में सुधार और वित्तीय घाटे को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जिससे आर्थिक मजबूती को प्रोत्साहन मिलेगा।