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केजरीवाल ने मिडिल क्लास की समस्याओं को लेकर उठाए महत्वपूर्ण सवाल, सरकार से सात मांगें

केजरीवाल ने मिडिल क्लास के लिए उठाए ज्वलंत मुद्दे, टैक्स आतंकवाद और राहत की मांग

नई दिल्ली(स्वाती गुप्ता)। अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री, ने हाल ही में एक डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से देश के मिडिल क्लास के सामने आने वाली गंभीर समस्याओं को उजागर किया। उन्होंने केंद्र सरकार से सात प्रमुख मांगें की, जिनमें मिडिल क्लास के लिए बेहतर टैक्स व्यवस्था, सस्ती शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं, और अन्य बुनियादी सुविधाओं की मांग प्रमुख थीं। केजरीवाल ने कहा कि भारत का मिडिल क्लास टैक्स टेररिज्म का शिकार हो गया है, जहां वह अपनी आय का आधे से अधिक हिस्सा विभिन्न प्रकार के टैक्सों में दे देता है, लेकिन बदले में उसे कोई खास लाभ नहीं मिलता। उन्होंने इसे एक गंभीर मुद्दा बताते हुए मिडिल क्लास की आवाज को संसद में बुलंद करने की आवश्यकता जताई, ताकि उनके मुद्दों को प्राथमिकता दी जा सके।

अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने मिडिल क्लास के लिए एक मैनिफेस्टो तैयार किया है, जिसे मिडिल क्लास मैनिफेस्टो के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस मैनिफेस्टो का समर्थन करें और इसकी वेबसाइट पर जाकर साइन करें। उनका मानना है कि अगर पूरा मिडिल क्लास एकजुट होकर अपनी आवाज उठाए, तो सरकार को उनकी बात सुननी पड़ेगी। केजरीवाल ने बताया कि मिडिल क्लास को अब तक केवल टैक्स वसूलने वाली मशीन के रूप में देखा गया है, और सरकारें कभी भी उनके लाभ के लिए ठोस कदम नहीं उठातीं। उन्होंने यह भी कहा कि मिडिल क्लास को अपने बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता है, जबकि इसके बदले में उन्हें कुछ विशेष राहत नहीं मिलती।

इसके अलावा, केजरीवाल ने मिडिल क्लास के संघर्ष के बारे में विस्तार से बात की और बताया कि अगर एक मिडिल क्लास परिवार सालाना 10-12 लाख रुपये कमाता है, तो उसे अपनी आय का आधा हिस्सा टैक्स के रूप में देना पड़ता है। इसके बावजूद, जब वह शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी जरूरी सेवाओं पर खर्च करता है, तो उसे सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिलती। उन्होंने इस असंतुलन को गंभीरता से उठाया और सरकार से अनुरोध किया कि मिडिल क्लास को प्राथमिकता दी जाए। केजरीवाल का कहना था कि पिछले 75 वर्षों में मिडिल क्लास को केवल एक टैक्स वसूली करने वाली मशीन माना गया है, और उनके लिए कोई राहत पैकेज नहीं लाया गया है।

केजरीवाल ने मिडिल क्लास के खिलाफ सरकारों की उपेक्षा की आलोचना की और कहा कि जब भी सरकार को पैसों की आवश्यकता होती है, तो मिडिल क्लास से टैक्स वसूला जाता है, लेकिन उनकी समस्याओं के समाधान में सरकार कभी सक्रिय नहीं रहती। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब मिडिल क्लास से इतना अधिक टैक्स लिया जाता है, तो बदले में वह किस प्रकार की सेवाएं और सुविधाएं प्राप्त करता है। उन्होंने मिडिल क्लास को अपने बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा के लिए संघर्ष करते हुए देखा, लेकिन उनके लिए कोई विशेष सरकारी सहायता नहीं है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि मिडिल क्लास अपनी आवाज को मजबूती से उठाए और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय हो। उन्होंने मिडिल क्लास को एकजुट करने के लिए विभिन्न उपायों का सुझाव दिया, ताकि वे एक संगठित मंच पर आकर सरकार से अपनी मांगें पूरी करवा सकें। केजरीवाल का कहना था कि मिडिल क्लास के लिए एक मजबूत और न्यायपूर्ण नीति की आवश्यकता है, जो उन्हें उनके अधिकार और लाभ दे सके। उनकी पार्टी इस दिशा में काम कर रही है, और वे मिडिल क्लास के हर मुद्दे को संसद तक पहुंचाने का वादा करते हैं।

मिडिल क्लास की समस्याओं को लेकर अरविंद केजरीवाल का यह बयान एक मजबूत संदेश है, जिसे केवल टैक्स चुकाने वाले ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को समझने की जरूरत है। उनके अनुसार, अगर मिडिल क्लास एकजुट हो जाए और अपनी समस्याओं को सामने रखे, तो सरकारों को उन पर ध्यान देना ही होगा। यही वक्त है कि मिडिल क्लास अपनी आवाज बुलंद करे और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाए।

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