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सर्दी में निमोनिया से बचाव के तरीके और लक्षणों पर जानें विशेषज्ञों की सलाह

सर्दी में निमोनिया के खतरे को समझें, लक्षण पहचानें और बचाव के उपाय अपनाएं विशेषज्ञों से

रायपुर(डॉ0 शानू मसीह ‘सहर’)। निमोनिया, एक गंभीर और खतरनाक फेफड़ों का संक्रमण है, जो वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के कारण होता है। यह बीमारी विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उन्हें ज्यादा प्रभावित करती है। सर्दी के मौसम में इसकी दर में वृद्धि होती है क्योंकि इस दौरान लोग अधिकतर घरों में बंद रहते हैं और एक-दूसरे के पास आते जाते हैं, जिससे संक्रमण फैलने की संभावना अधिक हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड के मौसम में इस संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाता है, और इस समय इसके मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के बाल रोग विभाग की प्रो. डॉ. शालिनी त्रिपाठी के अनुसार, इस मौसम में हाइपोथर्मिया और निमोनिया के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में।

निमोनिया का संक्रमण सबसे पहले हलके बुखार, खांसी और सर्दी के रूप में शुरू होता है। लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ता है, इसके लक्षण और भी गंभीर हो सकते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में सीने में दर्द, खांसी, सांस लेने में परेशानी, बुखार, पसीना और शरीर में कंपकंपी शामिल हैं। इसके अलावा, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मानसिक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में भी यह संक्रमण तेजी से फैलता है। वे सामान्य लक्षणों के अलावा, शरीर के तापमान में गिरावट, मतली, उल्टी, दस्त, सिरदर्द, अधिक प्यास लगने जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। साथ ही, खांसी के साथ बलगम में खून आना भी इसका संकेत हो सकता है।

निमोनिया के कारणों में बैक्टीरिया, वायरस और फंगस शामिल हैं। इनमें से कई माइक्रोब्स के बारे में पता नहीं चल पाता कि वे किस कारण से संक्रमण फैला रहे हैं। आमतौर पर, निमोनिया का इलाज अगर समय पर शुरू किया जाए तो यह नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन अगर इसे नजरअंदाज किया जाए या समय पर इलाज न हो, तो यह स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है, जिससे मृत्यु तक का खतरा बढ़ जाता है। दुनिया भर में निमोनिया, मृत्यु का एक प्रमुख कारण बन चुका है और इसके मामलों में हर साल वृद्धि हो रही है।

निमोनिया से बचाव के लिए सबसे प्रभावी तरीका है वैक्सीनेशन। विशेषज्ञों का कहना है कि निमोनिया से बचने के लिए टीकाकरण एक बेहद प्रभावी उपाय है। यह तरीका खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए उपयोगी है। इसके अलावा, नियमित रूप से हाथ धोना, खासकर साबुन और पानी से, संक्रमण के फैलाव को रोकने में मदद करता है। साथ ही, सार्वजनिक स्थानों पर खांसी या छींकने के दौरान मुंह और नाक को ढकना चाहिए, ताकि कीटाणु फैलने से बच सकें।

धूम्रपान से बचने और धुएं से दूर रहने से भी निमोनिया का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है। धूम्रपान से फेफड़ों की क्षमता कम होती है और यह इन्फेक्शन के लिए एक बड़ा खतरा बन जाता है। इसलिए धूम्रपान छोड़ना या इसके संपर्क में आने से बचना इस बीमारी के जोखिम को कम करता है। इसके साथ ही, एक संतुलित आहार भी बेहद महत्वपूर्ण है। फलों, सब्जियों और प्रोटीन से भरपूर आहार इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है। इसके अलावा, पर्याप्त नींद और तनाव कम करने से भी शरीर की रक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जिससे संक्रमण से बचाव होता है।

इस मौसम में खासकर बच्चों और बुजुर्गों को सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि उनकी इम्यून प्रणाली कमजोर होती है। बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर रखने और गर्म कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है, ताकि वे ठंड से बच सकें। साथ ही, ऐसे व्यक्तियों से दूरी बनानी चाहिए, जिनमें खांसी और छींक जैसे लक्षण दिख रहे हों, ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके। निमोनिया के लक्षणों को पहचानना और समय पर इलाज करना इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति में निमोनिया के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। यदि इलाज शुरू किया जाता है तो संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है और व्यक्ति जल्दी स्वस्थ हो सकता है। इसलिए, सर्दियों के मौसम में निमोनिया से बचाव के लिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है। खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों को इस बीमारी से बचने के लिए विशेष ध्यान रखना चाहिए।
(डिस्क्लेमररू यहां दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं। हम इसे वैज्ञानिक शोध, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवरों की सलाह पर आधारित प्रदान कर रहे हैं। इन सुझावों का पालन करने से पहले, कृपया अपने व्यक्तिगत डॉक्टर से सलाह लें।)

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